पलायन रोकने के लिए पर्वतीय कृषि नीति की दरकार
पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि जब तक किसान और गांव को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक किसानों की दशा सुधरने वाली नहीं है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में कृषि की दशा और दिशा तभी सुदृढ़ होगी जब 'पर्वतीय कृषि नीति' बनेगी। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि युवाओं में कृषि के प्रति रूझान भी बढ़ेगा, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन थमेगा। इस उद्देश्य को धरातल पर उतरने के लिए वक्ताओं ने राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन में अपने विचार रखे और इन मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठाया।
शनिवार को श्री गुरुराम राय विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि जब तक किसान और गांव को महत्व नहीं दिया जाएगा तब तक किसानों की दशा सुधरने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में अनाज का उत्पादन सरप्लस हो रहा है अन्न भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था तक नहीं है उसके बाद भी किसान आत्महत्या करने का मजबूर है। यह सोचनीय प्रश्न है इस पर सरकार और विशेषज्ञों को मंथन करना चाहिए।
डॉ. जोशी ने कहा कि हकीकत यह है कि उत्पादक का पूरा मूल्य किसान को नहीं मिल रहा है। आम आदमी महंगाई से त्रस्त है जबकि बिचौलिए मोटी कमाई कर चांदी काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने की जो पहल की है यह सार्थक प्रयास है। डॉ. जोशी ने हैरानी जताई कि हिमालय के नाम पर कुछ कंपनियां अपने-अपने उत्पाद बेचकर मालामाल बन रही है लेकिन यह निवास करने वाले बदहाली में जी रहे हैं।
उनकी स्थिति सुधारने की दशा में ठोस प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय कृषि को बढ़वा देने के लिए युवा तकनीकी कृषि को अपनाएं और स्वरोजगार को अपना लक्ष्य बनाएं। तभी पलायन पर अंकुश लगेगा। कार्यक्रम का संचालन यूसर्क वैज्ञानिक डॉ. ओपी नौटियाल ने किया। इस मौके पर एसजीआरआर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. वीए बौड़ाई, मैती संस्था के संस्थापक कल्याण सिंह रावत, विज्ञान भारती उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ.महेश भट्ट, विशेषज्ञ विनीता शाह, बीजू नेगी, कुसुम रावत, कमला पंत, कर्नल हरिराज सिंह राणा आदि मौजूद थे।
पहली बार किसान विज्ञान की चौपाल
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क), श्री गुरुराम राय विवि देहरादून व विज्ञान भारती उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन में यूसर्क के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि पहली बार किसान-विज्ञान 'चौपाल' और किसान-वैज्ञानिक 'संवाद' का आयोजन किया गया। हमारी कोशिश होगी कि इस पर समय-समय पर मंथन हो इसका लाभ किसानों की दशा सुधारने में किया जाए।
किसानों को मिले विज्ञान का लाभ
सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी है कि वे किसानों तक विज्ञान की तमाम उपलब्धियों को पहुंचाएं। जिससे वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर किसान आर्थिक रूप सुदृढ़ बन सके। यदि किसान और वैज्ञानिक साझा काम करें तो उत्तराखंड देश का पहलाकृषि उन्नत राज्य बन सकता है।हिमाचल के किसान अधिक संपन्न
मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने आकड़ों के साथ हिमाचल और उत्तराखंड की खेती किसानी के तथ्य सम्मेलन में रखे। उन्होंने कहा कि हिमाचल का किसान उत्तराखंड से आगे है। हमें भी संपन्न बनने के लिए अपनी स्थानीय तकनीकों पर भरोसा करना होगा।
दो महिला वैज्ञानिक सम्मानित
सम्मेलन में महिला वैज्ञानिक वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान से डॉ. अर्पणा शुक्ला व हेस्को की सामाजिक विज्ञानी सुधा शर्मा को विशिष्ट महिला सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉ.भवतोष शर्मा के जल संरक्षण, जल गुणवत्ता एवं स्वास्थ्य स्वच्छता प्रशिक्षण मैनुअल का लोर्कापण किया गया।
सम्मेलन पुलवामा शहीदों को समर्पित
सम्मेलन पुलवामा में शहीद जवानों को समर्पित किया गया। शहीदों को को सम्मान देते हुए सम्मेलन के आरंभ में श्रद्धांजलि यज्ञ किया गया जिसमें अतिथियों ने आहुति डाल शहीदों को नमन किया।
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