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उत्तराखंड में 30 हजार से अधिक ग्रामीण परिवार जुड़ेंगे 'आजीविका पैकेज मॉडल' से, जानिए इसके बारे में

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने का बड़ा जरिया बना महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) अब उत्तराखंड में एक और नई इबारत लिखने जा रहा है। ग्रामीण आजीविका में सुधार के लिए आजीविका पैकेज मॉडल लागू कर दिया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 06:30 AM (IST)
उत्तराखंड में 30 हजार से अधिक ग्रामीण परिवार जुड़ेंगे 'आजीविका पैकेज मॉडल' से, फाइल फोटो।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोनाकाल में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने का बड़ा जरिया बना महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) अब उत्तराखंड में एक और नई इबारत लिखने जा रहा है। मनरेगा में केंद्राभिसरण के माध्यम से ग्रामीण आजीविका में सुधार के लिए 'आजीविका पैकेज मॉडल' लागू कर दिया गया है। इसमें चयनित परिवारों को उनकी भूमि की उपलब्धता और रुचि के अनुसार एक से अधिक सेक्टर में आजीविकापरक परिसंपत्तियां प्रदान की जाएंगी। इस संबंध में मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने आदेश भी जारी कर दिए हैं। राज्य के करीब 30 हजार परिवारों को इस मॉडल से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

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मनरेगा के तहत प्रतिवर्ष हजारों परिवारों को व्यक्तिगत श्रेणी में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पशु आश्रयस्थल, उद्यानीकरण, भूमि सुधार, सिंचाई समेत अन्य सुविधाओं से लाभान्वित किया जाता है। प्रदेश में प्रतिवर्ष औसतन 24 हजार व्यक्तिगत लाभ की परिसंपत्तियां निर्मित की जाती हैं। अब ऐसे परिवारों को उनकी रुचि और भूमि की उपलब्धता के अनुसार एकमुश्त पर्याप्त परिसंपत्तियां सुविचारित पैकेज मॉडल के जरिये उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है, जिससे सालभर में अधिकांश समय उनकी आजीविका सुनिश्चित हो सकेगी। इसी कड़ी में मनरेगा और विभिन्न विभागों की व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के केंद्राभिसरण से जॉब कार्ड धारक परिवार को आजीविकापरक परिसपंत्तियां एकमुश्त देने के लिए आजीविका पैकेज मॉडल लाया गया है।

मुख्य सचिव की ओर से सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में भेजे गए आदेश के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में जिन रेखीय विभागों की व्यक्तिगत लाभ की योजनाएं संचालित की जाती हैं, उनके साथ मनरेगा का केंद्राभिसरण अनिवार्य होगा। इसके लिए तय लक्ष्य से अधिक लाभार्थी सामने आते हैं तो लाभार्थी के अंश के साथ मनरेगा के जरिये भी परिसंपत्तियां विकसित की जा सकती हैं।

अधिकतम 99 हजार का व्यय

आजीविका पैकेज मॉडल में प्रस्तावित किए जाने वाले पैकेज में कार्य के आधार पर अधिकतम व्यय 99 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। यानी प्रति परिवार इसी अधिकतम सीमा तक परिसंपत्तियां प्रदान की जा सकेंगी। जिलों को अपनी आवश्यकताओं का आकलन कर व्यय की सीमा के अधीन रहते हुए नवीन पैकेज विकसित करने की छूट होगी। जिलों से यह अपेक्षा की गई है कि मनरेगा के लाभार्थियों को अधिकतम लाभ देने के उद्देश्य से वे यथासंभव अलग से व्यक्तिगत परियोजनाएं स्वीकृत न करें।

भूमिहीन जॉब कार्ड धारकों को प्राथमिकता

इस मॉडल के तहत सबसे पहले भूमिहीन जॉब कार्ड धारक परिवारों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके पश्चात एसईसीसी (सामाजिक आर्थिक जातिगत गणना) में स्वत: सम्मिलित परिवारों और उनके आच्छादन के बाद एक से तीन, तीन से छह, छह से 10 और 10 से अधिक नाली भूमि वाले परिवारों को लाभान्वित किया जाएगा। सभी श्रेणियों में वंचित परिवारों, अनुसूचित जाति, जनजाति और प्रवासियों को तवज्जो दी जाएगी। किसी श्रेणी में लाभार्थी उपलब्ध न होने पर अगली श्रेणी के लाभार्थियों को लाभ दिया जाएगा। क्लस्टर आधार पर आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूहों को भी वरीयता दी जा सकती है। लाभार्थियों का चयन ब्लाक और ग्राम पंचायत स्तर पर होगा।

त्रैमासिक होगी समीक्षा

आजीविका पैकेज मॉडल की शासन स्तर पर प्रत्येक तीन माह में समीक्षा होगी। जिलों में मॉडल के क्रियान्वयन की समीक्षा सीडीओ और डीएम प्रत्येक माह करेंगे।

मॉडल में शामिल गतिविधियां

नर्सरी, होम फ्रूटगार्डन, मत्स्य पालन, मशरूम उत्पादन, डेमस्क रोज व लैमनग्रास का रोपण, पशुपालन, कुक्कुट पालन, बकरीपालन, सब्जी उत्पादन, गोशाला निर्माण जैसी गतिविधियां इस मॉडल में शामिल हैं। प्रत्येक गतिविधि के लिए मनरेगा और संबंधित विभाग मिलकर कदम उठाएंगे। मसलन, बकरीपालन के लिए पशुपालन विभाग बकरी मुहैया कराएगा तो मनरेगा से इनके लिए शेड निर्माण कराया जाएगा।

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तीन विभागों द्वारा निर्धारित यूनिट

पशुपालन- आठ हजार गो-पालन, 20 हजार कुक्कुट पालन और पांच हजार भेड़-बकरी पालन

मत्स्य- 248 मत्स्य इकाइयां

उद्यान-728.49 हेक्टेयर में नर्सरी और 361 हेक्टेयर में सगंध पौध रोपण

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