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उत्तरखंड में बंदरों का आतंक, वन विभाग के छूट रहे पसीने

उत्तराखंड में उत्पाती बंदरों ने लोगों की नाक में दम किया हुआ है। हालात ये हैं कि उनके इस उत्पात से वन विभाग के भी पसीने छूट रहे हैं।

By raksha.panthariEdited By: Published: Fri, 27 Oct 2017 01:20 PM (IST)Updated: Fri, 27 Oct 2017 11:16 PM (IST)
उत्तरखंड में बंदरों का आतंक, वन विभाग के छूट रहे पसीने
उत्तरखंड में बंदरों का आतंक, वन विभाग के छूट रहे पसीने

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: 71 फीसद वन भूभाग वाला उत्तराखंड भले ही वन्यजीव विविधता के लिए मशहूर हो, लेकिन ये भी सच है कि यही जंगली जानवर स्थानीय निवासियों के लिए आफत का सबब भी बन गए हैं। खासकर, बंदरों की आबादी वाले क्षेत्रों में लगातार धमक ने नाक में दम किया है। इन पर नियंत्रण के लिए वन महकमे को पसीने छूट रहे हैं। आलम ये है कि 2015 से चल रही बंदर बंध्यीकरण योजना में अभी तक लगभग 1200 बंदरों की ही नसबंदी हो पाई है। यही नहीं, बंदरों को पकड़कर बंदरबाड़ों में छोड़ने के मद्देनजर दो प्रस्तावित बाड़े भी अस्तित्व में नहीं आ पाए हैं। 

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बंदरों के उत्पात की लगातार गहराती समस्या को देखते हुए पूर्व में विभाग ने सर्वे कराया तो इसमें राज्यभर में बंदरों की तदाद 1.46 लाख सामने आई, जबकि लंगूरों की संख्या 54800। गणना में यह बेसलाइन डेटा मिलने के बाद भी बंदरों पर नियंत्रण के लिए कारगर उपाय नहीं हो पाए तो हरिद्वार वन प्रभाग में चिड़ियापुर में खोले गए राज्य के पहले रेसक्यू सेंटर में अक्टूबर 2015 में बंदरों के बंध्यीकरण की की योजना शुरू की गई। जोर-शोर से इसका प्रचार-प्रसार भी हुआ, मगर प्रभावी नतीजे अब तक सामने नहीं आ पाए। 

स्थिति ये है कि दो करोड़ की लागत से चिड़ियापुर में बंध्यीकरण सेंटर के निर्माण के अलावा अब तक लगभग 1200 बंदरों का ही बंध्यीकरण हो पाया। हालांकि, इसके पीछे बजट की कमी, एक्सपर्ट टीमों का अभाव, बंदर पकडने की दरों का निर्धारण न होने समेत अन्य कारण गिनाए जाते रहे, मगर विभाग अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकता। वहीं, हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ एचके सिंह का कहना है कि बंदर बंध्यीकरण योजना में अब और तेजी लाई जाएगी।  

महंगा पड़ता है एक बंदर 

विभाग के पास बंदर पकड़ने के लिए ट्रेंड कार्मिकों की कमी है। मथुरा सहित अन्य जगहों से एक्सपर्ट टीमों को बुलाकर बंदर पकड़े जाते हैं। एक बंदर को पकड़ने में 200 से 480 रुपये तक का व्यय आता है। हालांकि, विभाग का कहना है कि इस दिशा में कर्मचारियों को ट्रेंड किया जा रहा है। 

प्रदेश में प्रमुख क्षेत्रों में बंदर 

प्रभाग              संख्या 

तराई पूर्वी              9963 

अल्मोड़ा              9477 

रामनगर              8400 

नैनीताल              7500 

तराई पश्चिमी              7100 

टिहरी              7020 

कालसी              6900 

कार्बेट पार्क (रामनगर)      6000 

कार्बेट पार्क (हल्द्वानी)      5300 

देहरादून              4900 

राजाजी पार्क      4600 

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