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दो दिन से कर रहे थे तैयारी, मॉक ड्रिल में खुली पोल

अग्निकांड और भगदड़ से निपटने के लिए दो दिन की तैयारी भी मॉक ड्रिल में हवा हो गई। इसमें होमवर्क की कमी साफ नजर आई। साथ ही अस्पताल में वास्तविक मरीजों की भी फजीहत हुई।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 10:08 AM (IST)Updated: Fri, 03 Nov 2017 11:03 PM (IST)
दो दिन से कर रहे थे तैयारी, मॉक ड्रिल में खुली पोल
दो दिन से कर रहे थे तैयारी, मॉक ड्रिल में खुली पोल

देहरादून, [जेएनएन]: सिनेमाघरों में अग्निकांड और भगदड़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन व जिला प्रशासन की ओर से किए गए मॉक ड्रिल में होमवर्क की कमी साफ नजर आई। शहर में शोभायात्रा की वजह से लगे जाम के कारण जहां पूर्वाभ्यास शुरू होने में आधे घंटे से अधिक की देरी हुई, वहीं घटनास्थल पहुंचने और वहां से घायलों को लेकर दून अस्पताल के लिए रवाना एंबुलेंस जाम में फंस गई। पूर्वाभ्यास खत्म होने के बाद अधिकारियों ने दून अस्पताल में ही खामियों पर चर्चा की और संबंधित विभागों को उसके अनुसार तैयारियां करने पर जोर दिया।

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दरअसल, सिनेमाघरों में आग लगने से होने वाली भगदड़ और उसमें घायल होने वाले व्यक्तियों को सुरक्षित बचाने का पूर्वाभ्यास किया गया। इसे सही तरीके से संचालित करने के लिए डीएम एसए मुरूगेशन ने आपदा प्रबंधन, पुलिस, एसडीआरएफ, आइटीबीपी व सिविल डिफेंस के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी, मगर इस बैठक में गुरुवार दोपहर शहर में गुरुनानक जयंती पर निकलने वाली शोभायात्रा की वजह से लगने वाले जाम को नजरअंदाज कर दिया गया। 

लिहाजा क्रॉस रोड मॉल, एस्ले हॉल और चकराता रोड स्थित सिनेमाघरों में आग लगने की घटना का पूर्वाभ्यास निर्धारित समय शाम छह बजे के बजाए आधे घंटे की देरी से शुरू हुआ। साढ़े छह बजे वायरलेस सेट पर तीनों सिनेमाघरों में एक साथ आग लगने की सूचना प्रसारित हुई तो मौके पर एंबुलेंस पहुंचने में बीस से पचीस मिनट का समय लग गया। 

सिनेमाघरों में आग बुझाने का प्रदर्शन करने के बाद घायलों को एंबुलेंस से दून अस्पताल के लिए रवाना किया गया। मगर एस्ले हाल, क्रॉस रोड मॉल और चकराता रोड पर नटराज सिनेमा से घायलों को लेकर चली दोनों एंबुलेंस जाम में फंस गईं। जिन्हें वहां से बाहर निकालने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

घायलों को नहीं मिली स्ट्रेचर

मॉक ड्रिल के मद्देनजर दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता समेत तमाम डॉक्टर और प्रशिक्षु डॉक्टरों की टीम एक घंटे पहले ही मुस्तैद हो गई थी। मगर इन सब के बाद भी जब एंबुलेंस से घायल दून अस्पताल पहुंचे तो उन्हें स्ट्रेचर तक नहीं मिल पाया। पहले दो एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचे 12 मरीज इमरजेंसी के गलियारे में बनाए गए वार्ड में पैदल ही पहुंचे।

वास्तविक मरीजों को झेलनी पड़ी दिक्कत

मॉक ड्रिल की वजह से दून अस्पताल आने वाले वास्तविक मरीजों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ी। शाम छह बजे ही दून अस्पताल के तीनों प्रमुख गेट पर आइटीबीपी के जवान तैनात हो गए। लिहाजा गंभीर मरीजों की गाडिय़ां पहले गेट पर रोकी गई, फिर पूछताछ के बाद उन्हें अस्पताल में दाखिल होने दिया गया।

सिनेमा हॉल के बाहर रुका दमकल

घटनास्थल पर आग बुझाने के लिए आई टीमों के पास पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं थे। चूंकि घटनास्थल सिनेमा हाल के अंदर था, लिहाजा फायर ब्रिगेड की बड़ी गाडिय़ां बाहर ही रुक गईं। मॉक ड्रिल के बाद हुई ब्रीफिंग में इस पर चर्चा की और अग्निशमन की छोटी गाडिय़ों का बंदोबस्त न हो पाने पर अग्निशमन विभाग को स्थितियों के अनुसार वाहनों का चयन करने का निर्देश दिया गया।

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