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मंत्री हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री से की मुलाकात, जानिए पूरा मामला

वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गुरुवार को सचिवालय में मुलाकात की। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद हरक सिंह रावत की नाराजगी खासी चर्चा में रही है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 05:00 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 06:55 PM (IST)
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के मुताबिक केवल वन विभाग में नए मुखिया की तैनाती पर ही बात हुई।

देहरादून, जेएनएन। वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गुरुवार को सचिवालय में मुलाकात की। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद वन एवं पर्यावरण व श्रम सेवायोजन मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी खासी चर्चा में रही है।

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 कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के मुताबिक आज की मुलाकात में केवल वन विभाग में नए मुखिया की तैनाती पर ही बात हुई। बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने के मामले में चर्चा आज नहीं हुई। इस विषय पर अगली मुलाकात में चर्चा की जाएगी। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद वन एवं पर्यावरण तथा श्रम सेवायोजन मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी कम होती नजर नहीं आ रही है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को तेज तर्रार नेताओं में शुमार किया जाता है। कांग्रेस में रहें हों या अब भाजपा में, वह कभी भी अपनी बात सार्वजनिक करने का मौका नहीं चूके। वर्ष 2012 में, जब उत्तराखंड में विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी, तब हरक सिंह रावत भी कैबिनेट मंत्री बने। वर्ष 2014 की शुरुआत में कांग्रेस आलाकमान ने बहुगुणा को पद से हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया, उस समय रावत मंत्रिमंडल का भी हरक हिस्सा रहे।

हरक को विजय बहुगुणा का करीबी माना जाता है। यही वजह रही कि मार्च 2016 में जब विजय बहुगुणा के नेतृत्व में नौ कांग्रेस विधायकों ने पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम हरीश रावत सरकार को संकट में डाला, इस घटनाक्रम में हरक की महत्वपूर्ण भूमिका थी। दरअसल, उनकी पटरी तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ बिल्कुल नहीं बैठी, तो वह पार्टी में विभाजन कराने जैसा बड़ा कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटे।

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मुख्‍यमंत्री के कार्यक्रम में हरक नहीं हुए शामिल 

हरक अपने मंत्रालयों के उन कार्यक्रमों में भी शामिल नहीं हुए, जिनमें मुख्यमंत्री मौजूद थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात करने की बजाए नाराज हरक अपने चुनाव क्षेत्र कोटद्वार चले गए और बुधवार को वापस देहरादून लौटे। उनका फोन भी पिछले कई दिनों से स्विच ऑफ है। हालांकि हरक ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं, लिहाजा फोन बंद किया, लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कैसे कैबिनेट का एक वरिष्ठ सदस्य इस तरह तमाम जिम्मेदारियों से स्वयं को अलग रख सकता है। इस बीच डॉ. रावत ने एक बयान दिया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उनसे फोन पर संपर्क साधा था, मगर बात नहीं हो पाई। ऐसे में यह भी साफ हो गया कि यह मामला भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में भी है।

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