भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआइ जांच के हाइकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश देने का किया स्वागत
भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआइ जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश दिए जाने का स्वागत किया है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ था।
देहरादून, जेएनएन। भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआइ जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश दिए जाने का स्वागत किया है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ था। इस मामले में याचिकाकर्ता ने सीबीआइ जांच की मांग की ही नहीं थी। यही नहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट में स्वीकार किया था कि उसने मुख्यमंत्री को लेकर गलत जानकारी दी थी। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो बात हमने कल मीडिया के सामने कही थी सुप्रीम कोर्ट ने भी उसी बात पर मुहर लगा दी है.। इससे यह भी साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई मामला था ही नहीं। मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने इस मामले में उमेश शर्मा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री को बदनाम करने की साजिश की। यह साजिश अब बेनकाब हो गई है। मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़े सभी लोगों के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने दरवाजे बंद कर दिए हैं।
बता दे कि हाईकोर्ट के निर्णय के बाद बुधवार का दिन राजधानी में सियासी गहमागहमी वाला था। सुबह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अल्मोड़ा जाने का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम निरस्त कर दिया। इसके बाद उनका दिल्ली जाने का कार्यक्रम बना। बताया गया कि विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल होने दिल्ली जा रहे हैं। दोपहर में यह कार्यक्रम भी निरस्त हो गया। इस बीच मुख्यमंत्री की कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के साथ गहन मंत्रणा भी हुई थी।
इधर, पहले मीडिया को सूचना दी गई कि सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक इस मसले पर मीडिया से रूबरू होंगे, लेकिन कुछ देर बात यह कार्यक्रम भी रद कर दिया गया। इसके बाद भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने मीडिया के सामने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हम न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन इस निर्णय से सहमत नहीं हैं। मुख्यमंत्री को पूरे मामले में नही सुना गया। उन्हें पार्टी नहीं बनाया गया। बावजूद इसके मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने का फैसला दिया गया। हाईकोर्ट में शिकायतकर्ता ने भी यह स्वीकार किया है कि हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी की मुख्यमंत्री से रिश्तेदारी के संबंध में दी गई जानकारी गलत है। यहां तक कि जिन बैंक खातों का जिक्र है, उनमें पैसे का लेन-देन नहीं हुआ। शिकायतकर्ता का झूठ जब कोर्ट में पकड़ा गया, तो उसने इस बात को स्वीकार किया कि उसने गलत जानकारी दी थी। जब इन शिकायतों का ही कोई औचित्य नहीं, तो इसमें फिर जांच का प्रश्न कहां उठता है।
भाजपा मुख्य प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री पद जैसी संस्था को बदनाम करने की नीयत से मनगढ़ंत बातें करना क्या कानून की दृष्टि से अनुचित नहीं है। यहां तक कि शिकायतकर्ता पर पांच राज्यों में मुकदमें चल रहे हैं। इसी कारण हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में जीरो टॉलरेंस नीति से काम कर रहे हैं। जो बोलते हैं, उसका अनुसरण वह खुद भी करते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कांग्रेस द्वारा नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा आधारहीन तथ्यों पर कांग्रेस यह मांग कर रही है।