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शासन से वार्ता विफल, 16 जनवरी से हड़ताल पर जाएंगे रोडवेज कर्मचारी

रोडवेज कर्मियों की सचिव परिवहन शैलेश बगोली के साथ दो घंटे चली वार्ता विफल हो गई। इस पर 16 जनवरी से रोडवेज कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर जा रहे हैं।

By Edited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 09:15 AM (IST)
शासन से वार्ता विफल, 16 जनवरी से हड़ताल पर जाएंगे रोडवेज कर्मचारी
शासन से वार्ता विफल, 16 जनवरी से हड़ताल पर जाएंगे रोडवेज कर्मचारी

देहरादून, जेएनएन। कुमाऊं में निजी आपरेटरों को रोडवेज के मार्गो पर परमिट के प्रस्ताव के विरोध में 16 जनवरी से रोडवेज कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर जा रहे हैं। हड़ताल को लेकर शुक्रवार देर शाम रोडवेज कर्मियों की सचिव परिवहन शैलेश बगोली के साथ दो घंटे चली वार्ता विफल हो गई। कर्मचारी नेताओं ने बताया कि सचिव परिवहन कोई ठोस कदम नहीं उठा सके, लिहाजा पूर्व निर्धारित आंदोलन के तहत 15 जनवरी की मध्य रात्रि 12 बजे से पूरे राज्य में बसों का संचालन ठप कर दिया जाएगा।

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सरकार ने गत 12 दिसंबर को कुमाऊं में राष्ट्रीयकृत मार्गो पर निजी बसों को चलाने की मंजूरी देते हुए इस पर आपत्तियां मागी थी। इसका पता लगते ही रोडवेज कर्मियों का पारा चढ़ गया और कर्मियों ने सरकार के विरुद्ध आंदोलन का बिगुल फूंक दिया। 

इसी क्रम में सभी यूनियनों का उत्तराखंड रोडवेज अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा बनाया गया। मोर्चा ने परमिट और विभिन्न मांगों को लेकर गत चार जनवरी को परेड ग्राउंड से सचिवालय कूच एवं 16 जनवरी से बेमियादी हड़ताल का एलान किया था। 

चिंतित सरकार ने आनन-फानन में प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर तीन जनवरी को रोडवेज कर्मियों को वार्ता के लिए बुला लिया। कर्मियों के आगे शासन को लचीला रवैया अपनाने को मजबूर होना पड़ा। 

जनकल्याणकारी योजना के लंबित देयको समेत सरकार पर बकाया करीब 80 करोड़ रुपए में से शासन ने 22 करोड़ रुपये तत्काल जारी करने पर मंजूरी देकर फौरी तौर पर कर्मियों को सचिवालय कूच टालने के लिए मना लिया। निजी बसों के परमिट का निस्तारण नहीं होने पर कर्मी 16 जनवरी से बेमियादी हड़ताल के फैसले पर अडिग रहे। 

इसके लिए सरकार ने सचिव परिवहन की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी गठित कर दी थी व 11 जनवरी को दोबारा बैठक बुलाई थी। तय कार्यक्रम के तहत सचिव परिवहन के साथ शुक्रवार को रोडवेज संयुक्त मोर्चा की सचिवालय में दो घंटे तक लंबी बैठक चली। 

दरअसल, कर्मियों की तीन ही मुख्य मांगे हैं। इनमें सरकार पर बकाया 79.75 करोड़ रुपये के भुगतान, कुमाऊं मंडल में रोडवेज के रूटों पर निजी बस संचालन के प्रस्ताव को खारिज करना व पर्वतीय मार्गो पर संचालन से हो रहे घाटे को सरकार के जरिए प्रतिपूर्ति करना शामिल है। 

इन मांगों पर रोडवेज की छह कर्मचारी यूनियनों द्वारा संगठित होकर संयुक्त मोर्चे का गठन किया गया है। मोर्चा ने शुक्रवार को दो मांगों पर फैसला लेने की बात कही। निजी बसों के संचालन का प्रस्ताव तत्काल खारिज करने व पर्वतीय मार्गो पर घाटे की प्रतिपूर्ति किए जाने पर। 

सचिव परिवहन ने पर्वतीय मार्गो पर घाटे के मामले में वित्त सचिव के साथ वार्ता करने की बात कही, जबकि कुमाऊं में निजी बसों के संचालन पर रोडवेज की आपत्ति को सबसे ऊपर रखने का भरोसा दिया। लंबी जिद्दोजहद के बावजूद इसके अलावा कोई हल नहीं निकला तो रोडवेज कर्मियों का मूड उखड़ गया। 

कर्मचारी बैठक छोड़कर बाहर आ गए व सामूहिक मंत्रणा के बाद फैसला लिया कि 16 जनवरी से प्रदेश में बेमियादी हड़ताल की जाएगी। बैठक में अपर सचिव परिवहन एचसी सेमवाल, रोडवेज के प्रबंध निदेशक बृजेश कुमार संत, वित्त नियंत्रक पंकज तिवारी व महाप्रबंधक दीपक जैन सरकार की ओर से शामिल रहे।

वहीं, संयुक्त मोर्चा से रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री दिनेश पंत, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक कुमार चौधरी, रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री भोला जोशी, उत्तरांचल परिवहन मजदूर संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सहदेव सिंह, उत्तराखंड परिवहन निगम एससी-एसटी श्रमिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम किशन, राज्यपथ परिवहन कर्मचारी यूनियन के महामंत्री दया किशन पाठक व मोर्चा संयोजक विपिन बिजल्वाण शामिल रहे।

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