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यूपीआरएनएन का पत्ता साफ, एमडीडीए ने छीना हाउसिंग प्रोजेक्ट Dehradun News

एमडीडीए ने यूपीआरएनएन से आइएसबीटी स्थित निर्माणाधीन एचआइजी आवासीय परियोजना का काम छीन लिया। अब 43.93 करोड़ रुपये के अवशेष कार्यों के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर दिए गए हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 01:53 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 01:53 PM (IST)
यूपीआरएनएन का पत्ता साफ, एमडीडीए ने छीना हाउसिंग प्रोजेक्ट Dehradun News
यूपीआरएनएन का पत्ता साफ, एमडीडीए ने छीना हाउसिंग प्रोजेक्ट Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) की हीलाहवाली पर अब मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने भी सख्त कदम उठा दिया है। प्राधिकरण ने यूपीआरएनएन से आइएसबीटी स्थित निर्माणाधीन एचआइजी (हाई इनकम ग्रुप) आवासीय परियोजना का काम छीन लिया। अब 43.93 करोड़ रुपये के अवशेष कार्यों के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर दिए गए हैं।

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एमडीडीए ने आइएसबीटी स्थित एचआइजी आवासीय परियोजना का निर्माण कार्य का जिम्मा करीब तीन साल पहले यूपीआरएनएन को दिया था। इस काम में निगम की हीलाहवाली शुरू से ही जारी थी। पहले एमडीडीए दावा कर रहा था कि वर्ष 2019 के आरंभ में ही एचआइजी के आवासों पर कब्जा दे दिया जाएगा। 

हालांकि, तय समय के भीतर काम पूरा न होने और निर्माण निगम की तरफ से बार-बार विलंब किए जाने पर अब एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने यूपीआरएनएन के साथ किए गए अनुबंध को समाप्त कर दिया। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि निगम को बार-बार अतिरिक्त समय दिए जाने के बाद भी कार्य की प्रगति संतोषजनक न होने पर यह कदम उठाया गया है। अब अवशेष काम को पूरा करने के लिए नई कंपनी को आठ माह का समय दिया जाएगा।

उपाध्यक्ष के सवालों का संतोषजनक जवाब न देना पड़ा भारी

कुछ दिन पहले एमडीडीए उपाध्यक्ष ने निर्माणाधीन एचआइजी परियोजना का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने निगम के परियोजना प्रबंधक को कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे और पूछा था कि क्यों अधिकारी काम में ढिलाई बरत रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस पर वाजिब जवाब देने की जगह अधिकारियों ने अटपटे तर्क देने शुरू कर दिए थे। 

इसके बाद जब एमडीडीए उपाध्यक्ष ने निगम के साथ अनुबंध समाप्त करने की कवायद शुरू की तो निगम के कुछ आलाधिकारी भी उपाध्यक्ष से आग्रह करने पहुंचे थे। हालांकि, इसका उन पर कुछ असर नहीं पड़ा।

एमडीडीए में प्री-बिड मीटिंग  

एमडीडीए ने अवशेष काम को पूरा करने के लिए टेंडर जारी करने से पहले प्रतिभाग करने को इच्छुक कंपनियों को प्री-बिड मीटिंग में आमंत्रित किया है। इसका मकसद यह है कि कोई भी रेट दर्ज करने से पहले कंपनी पूरी परियोजना की प्रकृति व अब तक की प्रगति से वाकिफ हो जाए। 

आठ नवंबर तक आमंत्रित किए गए टेंडर

एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि अवशेष कार्यों के लिए टेंडर आमंत्रित करने की अंतिम तिथि आठ नवंबर तय की है। इसकी खास बात यह भी है कि अवशेष निर्माण के साथ फ्लैट्स की मार्केटिंग को भी शामिल किया गया है। इसमें यह शर्त भी जोड़ी गई है कि संबंधित कंपनी को 70 लाख रुपये की बैंक गारंटी/एफडीआर एमडीडीए सचिव के पक्ष में जमा करानी होगी। 

एचआइजी फ्लैट की स्थिति

टाइप ए----------300 (110 बुक हो चुके)

टाइब बी----------38 (36 बिक चुके)

टाइप ए, शेष----------190 फ्लैट

टाइप बी, शेष----------02 फ्लैट

फ्लैट की कीमत 

टाइप ए----------राशि, 71.50 लाख रुपये

टाइप बी----------9.20 लाख रुपये

नए कार्यों पर रोक, पुराने कार्यों पर सवाल

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को नए कार्य आवंटित करने पर रोक लगाई जा चुकी है। इसकी बड़ी वजह यह रही कि निगम के पुराने व गतिमान कार्यों पर कई तरह के सवाल खड़े हो चुके हैं। 

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वर्तमान में यूपीआरएनएन दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक का निर्माण कर रही है। यह काम भी तय समय से काफी पीछे चल रहा है। इसके अलावा निगम एमडीडीए की ओर से आवंटित रिवर फ्रंट डेवपलमेंट परियोजना के तहत रिस्पना व बिंदाल नदी के कुछ हिस्से पर 45 करोड़ रुपये के पुश्ते लगा चुका है। इस राशि का भुगतान किया जा चुका है, जबकि रिस्पना नदी पर लगाए गए कई पुश्ते पहली बरसात में ही ढहने लगे थे।

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