शहीद संदीप के परिवार का सेना से गहरा नाता, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून के शहीद लांस नायक संदीप के परिवार का सेना से गहरा नाता रहा है। पिता चाचा ताऊ सभी सेना में सेवाएं दे चुके हैं। जबकि शहीद संदीप का छोटा भाई भी सेना में है।
विकासनगर, जेएनएन। शहीद लांस नायक संदीप के परिवार का सेना से गहरा नाता रहा है। पिता, चाचा, ताऊ सभी सेना में सेवाएं दे चुके हैं। जबकि शहीद संदीप का छोटा भाई भी सेना में है।
शहीद के पिता भगवान सिंह ने बताया कि पिताजी से लेकर उनके तीन अन्य भाई भी सेना में रह चुके हैं। वह खुद भी सेना से रिटायर हुए हैं। शहीद लांस नायक संदीप थापा का छोटा भाई नवीन थापा भी गोरखा रेजीमेंट में ही हैं। वह राजौरी के नौशेरा सेक्टर में ही तैनात है। नवीन थापा भी सीमापार से हो रही गोलीबारी में कुछ दिन पहले घायल हो गए थे। अब वह ठीक हैं। पिता बताते हैं कि बच्चों के कॅरियर से लेकर आम तौर पर होने वाली आपसी बातचीत में सेना का ही जिक्र होता रहता है। सेना में रहने के कारण उन्होंने हमेशा अपने बच्चों को देश सेवा के लिए ही तैयार किया। यही वजह है कि उनके पुत्र संदीप व नवीन थापा सेना का हिस्सा बने।
बहन ने दोनों भाइयों को भेजी थी राखी
लांस नायक संदीप थापा व नवीन थापा की इकलौती बहन ने रक्षाबंधन से पूर्व दोनों भाइयों को राखी भेजी थी। सरहद की सुरक्षा कर रहे भाइयों को राखी भेजते समय बहन को गर्व था कि उसके दोनों भाई देश की रक्षा में लगे हैं। अब भाई की शहादत की खबर सुनने के बाद से बहन के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बार-बार उसे राखी याद आ रही है। कभी कोई सांत्वना देता है तो थोड़ा संभल जाती है, मगर भाई की याद आते ही फिर सुबकने लगती है।
जिसने भी सुनी खबर, वही पहुंचा शहीद के घर
देश की रक्षा में लांस नायक संदीप थापा के शहीद होने की खबर पाते ही आम लोगों से लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों का घर पर तांता लग गया। हर किसी की आंखें संदीप थापा के शहीद होने पर नम थीं। शहीद सैनिक के ताऊ व पूर्व सैनिक किशन सिंह थापा ने प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी देते हुए बताया कि सेना के हेडक्वार्टर से मिली जानकारी के मुताबिक शहीद संदीप का पार्थिव शरीर रविवार को दिन में ग्यारह बजे आवास पर लाया जाएगा।
रक्षाबंधन पर मायके गई पत्नी भी लौटी
रक्षाबंधन के लिए लांस नायक संदीप की पत्नी निशा अपने साढ़े तीन साल के बेटे सात्विक को लेकर डोईवाला के दूधली स्थित मायके गई थी। जैसे ही निशा को पति के शहीद होने की जानकारी मिली, उसका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। जबकि बेटा सात्विक यह नहीं समझ पा रहा था कि आखिर मां को क्या हो गया है? वह क्यों रो रही है? रात करीब आठ बजे वह दूधली से अपनी ससुराल पहुंच गई। यहां परिजनों ने निशा को किसी तरह संभाला। वहीं बेटे को अभी भी कुछ पता नहीं था, वह कभी घर के बाहर तो कभी भीतर चक्कर लगा रहा था।
दो माह पहले छुट्टी काट ड्यूटी गए थे लांस नायक
विकासनगर: देश की की रक्षा करते हुए राजौरी के नौशेरा सेक्टर में शहीद हुए लांसनायक संदीप थापा दो माह पहले ही छुट्टी काटकर डयूटी पर गए थे। घर से डयूटी पर जाने के बाद से परिवार के लोगों की संदीप से बात तक नहीं हुई थी। बेटे से बात न आखिरी बार बात न हो पाने का मलाल पिता को बार-बार सालता है। बेटे को याद कर उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। सेलाकुई क्षेत्र के पौडवाला-राजावाला निवासी भगवान सिंह थापा के बड़े बेटे संदीप थापा राजौरी के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गोलीबारी में शहीद हो गए। शहीद सैनिक के पिता भगवान सिंह ने बताया कि संदीप वर्ष 2004 में सेना में भर्ती हुआ था। दो माह पहले संदीप छुट्टी पर घर आया था। नौशेरा सेक्टर में फोन सुविधा नहीं है। इसके चलते उनकी बेटे से बात नहीं हो सकी थी, इसका उन्हें मलाल है। संदीप के घायल होने की जानकारी अस्पताल लेकर आए सैनिकों से शनिवार को ढाई बजे मिली। लेकिन जानकारी देने के बाद उनके फोन बंद हो गए। जिसके चलते उनसे दोबारा संपर्क नहीं हो सका। इसके पश्चात आर्मी हेडक्वार्टर से संदीप के शहीद होने की जानकारी मिली। संदीप की शहादत की जानकारी मिलते ही घर और मोहल्ले में मातम छा गया। जैसे-जैसे यह खबर फैली, शहीद के घर सांत्वना देने के लिए लोग पहुंचने लगे।
दो माह पहले छुट्टी काट ड्यूटी गए थे लांस नायक
देश की की रक्षा करते हुए राजौरी के नौशेरा सेक्टर में शहीद हुए लांसनायक संदीप थापा दो माह पहले ही छुट्टी काटकर डयूटी पर गए थे। घर से डयूटी पर जाने के बाद से परिवार के लोगों की संदीप से बात तक नहीं हुई थी। बेटे से बात न आखिरी बार बात न हो पाने का मलाल पिता को बार-बार सालता है। बेटे को याद कर उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
सेलाकुई क्षेत्र के पौडवाला-राजावाला निवासी भगवान सिंह थापा के बड़े बेटे संदीप थापा राजौरी के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गोलीबारी में शहीद हो गए। शहीद सैनिक के पिता भगवान सिंह ने बताया कि संदीप वर्ष 2004 में सेना में भर्ती हुआ था। दो माह पहले संदीप छुट्टी पर घर आया था। नौशेरा सेक्टर में फोन सुविधा नहीं है। इसके चलते उनकी बेटे से बात नहीं हो सकी थी, इसका उन्हें मलाल है। संदीप के घायल होने की जानकारी अस्पताल लेकर आए सैनिकों से शनिवार को ढाई बजे मिली, लेकिन जानकारी देने के बाद उनके फोन बंद हो गए। जिसके चलते उनसे दोबारा संपर्क नहीं हो सका। इसके पश्चात आर्मी हेडक्वार्टर से संदीप के शहीद होने की जानकारी मिली। संदीप की शहादत की जानकारी मिलते ही घर और मोहल्ले में मातम छा गया। जैसे-जैसे यह खबर फैली, शहीद के घर सांत्वना देने के लिए लोग पहुंचने लगे।
यह भी पढ़ें: देहरादून के शहीद मेजर विभूति व मेजर चित्रेश की वीरता का सम्मान
जिसने भी सुनी खबर, वही पहुंचा शहीद के घर
देश की रक्षा में लांस नायक संदीप थापा के शहीद होने की खबर पाते ही आम लोगों से लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों का घर पर तांता लग गया। हर किसी की आंखें संदीप थापा के शहीद होने पर नम थीं।सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर, यशपाल नेगी, तहसीलदार प्रकाश शाह, नायब तहसीलदार पंचम सिंह नेगी, सेलाकुई चौकी इंचार्ज नरेंद्र पुरी समेत काफी संख्या में ग्रामीण संदीप थापा के घर पहुंचे। उन्होंने संदीप के परिवार को ढांढस बंधाया। क्षेत्रीय विधायक पुंडीर ने कहा लांस नायक की शहादत को क्षेत्रवासी कभी भुला नहीं पाएंगे। कहा दुख की इस घड़ी में सरकार से लेकर तमाम क्षेत्रवासी उनके परिवार के साथ हैं। उन्होंने शहीद के पिता भगवान सिंह व उनकी माता दुर्गा थापा कोढांढस भी बंधाया। शहीद सैनिक के ताऊ व पूर्व सैनिक किशन सिंह थापा ने प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी देते हुए बताया कि सेना के हेडक्वार्टर से मिली जानकारी के मुताबिक शहीद संदीप का पार्थिव शरीर रविवार को दिन में ग्यारह बजे आवास पर लाया जाएगा।
यह भी पढ़ें: मेजर चित्रेश बिष्ट ने कुपवाड़ा में बचाई साथियों की जान, पढ़िए पूरी खबर
रक्षाबंधन पर मायके गई पत्नी भी लौटी
रक्षाबंधन के लिए लांस नायक संदीप की पत्नी निशा अपने साढ़े तीन साल के बेटे सात्विक को लेकर डोईवाला के दूधली स्थित मायके गई थी। जैसे ही निशा को पति के शहीद होने की जानकारी मिली, उसका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। जबकि बेटा सात्विक यह नहीं समझ पा रहा था कि आखिर मां को क्या हो गया है? वह क्यों रो रही है? रात करीब आठ बजे वह दूधली से अपनी ससुराल पहुंच गई। यहां परिजनों ने निशा को किसी तरह संभाला। वहीं बेटे को अभी भी कुछ पता नहीं था, वह कभी घर के बाहर तो कभी भीतर चक्कर लगा रहा था।
यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की गोलाबारी में उत्तराखंड का एक जवान शहीद