करवाचौथ के बाद अब अहोई अष्टमी के लिए सजा बाजार, पढ़िए पूरी खबर
21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी त्योहार है। जिसके लिए बाजारों में मौजूद ज्वेलरी शॉप में चांदी सोने और मोती के अहोई अष्टमी वाले लॉकेट्स की खरीददारी शुरू हो गई है।
देहरादून, जेएनएन। करवाचौथ के चार दिन बाद यानि कि 21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी त्योहार है। जिसके लिए बाजारों में मौजूद ज्वेलरी शॉप में चांदी, सोने और मोती के अहोई अष्टमी वाले लॉकेट्स की खरीददारी शुरू हो गई है। इसके अलावा अन्य आभूषणों की भी खरीदारी चल रही है।
राजपुर रोड स्थित काशी ज्वेलर्स से मोहित मैसोन ने बताया कि उनके पास अहोई अष्टमी माता के अलावा गाय के साथ सात बछड़े वाले लॉकेट भी उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि सात बछड़े वाले लॉकेट की अपनी अलग कहानी है। मान्यता है कि एक साहूकार की पत्नी की जितनी भी संताने होती हैं, सभी मर जाती हैं। इसके बाद साहूकार की पत्नी ने अहोई अष्टमी का व्रत रखा। जिससे प्रसन्न होकर अहोई माता ने उन्हें सात बेटों और बहुओं का वरदान दिया।
ढाई सौ रुपये की शुरुआती कीमत में लॉकेट उपलब्ध
मोहित ने बताया कि चार ग्राम वाले लॉके ट की शुरुआती कीमत ढाई सौ रुपये है, जबकि 40 ग्राम वाले सबसे वजनदार लॉकेट की कीमत ढाई हजार रुपये है। इन लॉकेट में घुंघरू वाले विशेष लॉकेट भी उपलब्ध है। इसके अलावा मार्केट में लोग अहोई अष्टमी की व्रत कथा वाली किताबें और कैलेंडर की खरीददारी कर रहे हैं। जिसकी शुरुआती कीमत 10 और 10 रुपये से शुरू है।
चांदी में भी खास डिजाइन वाले लॉकेट उपलब्ध
मोहित ने बताया कि उनके शोरूम में सौ प्रतिशत चांदी से बने डिजाइन वाले मोती उपलब्ध हैं। जिसकी शुरुआती कीमत डेढ़ सौ रुपये है, जबकि छोटे साइज वाले चांदी के प्लेन मोती की शुरुआती कीमत सौ रुपये है। वहीं सोने में छोटे साइज के मोती की कीमत तीन हजार रुपये, माध्यमिक साइज के मोती की कीमत साढ़े सात हजार रुपये और बड़े साइज के मोतियों की कीमत साढ़े नौ हजार रुपये है।
अहोई अष्टमी पर बन रहा यह विशेष योग
पंडित वंशीधर नौटियाल के अनुसार इस बार अहोई अष्टमी पर स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो संतान के लिए बहुत शुभ रहेगा। इस योग में चंद्रमा-पुष्प नक्षत्र योग-साध्य सर्वार्थ सिद्धि योग शाम पांच बजकर 33 मिनट से अगले दिन छह बजकर 22 मिनट तक अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा पुष्प नक्षत्र में रहेगा।
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कुछ ऐसी है मान्यता
कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को मां अपनी संतान के सुख और आयु वृद्धि के लिए रखती है। जिसे माताएं शाम को अहोई माता की पूजा करके तारों की छांव में तारे को देखकर खोलती है। ऐसी मान्यता है कि महिलाएं धागे में चांदी की अहोई पिरोकर उसकी पूजा करती हैं और अपनी संतान की आयु के अनुसार अहोई के दोनों ओर हर साल एक-एक मोती पिरोती हैं, जबकि माला छोटी रखने के लिए कुछ लोग एक साल में एक तरफ एक ही मोती पिरोते हैं। पूजा के बाद महिलाएं इस माला को पहनती हैं।
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शुभ मुहूर्त
- शाम छह बजकर दस मिनट
- पूजा मुहूर्त
- शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक
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