मार्कंडेय काटजू बोले, आज संविधान में आमूलचूल बदलाव की जरूरत
पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू का कहना है कि देश को नए संविधान की आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने नेताओं को भी निशाने पर लिया।
देहरादून, जेएनएन। अपनी बेबाक बयानों के लिए चर्चित उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने कहा कि आज संविधान में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है। कहा कि 'संसदीय प्रजातंत्र में मेरा भरोसा नहीं रहा। जीवन में मैंने सिर्फ एक बार मतदान किया है।'
उत्तराचंल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में 'संविधान एवं भारत का भविष्य' विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संसद में अपराधियों का बोलवाला है। इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दोषी हैं। राजनीति समाज को जाति, धर्म और सम्प्रदाय में बांट रही है। काटजू ने अमेरिका, ब्रिटेन और स्कॉटलैंड जैसे देशों के मॉडल संविधान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां आधुनिक एवं पेशेवर शिक्षा संस्थान व समाज निर्माण पर सरकार का फोकस है।
भारत जब गणतंत्र की 72वीं जयंती मना रहा है, यहां नेता संविधान का चीरहरण करने पर तुले हुए हैं। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर वोट मांगनी वाली सरकार आज राममंदिर व गोरक्षा जैसे अर्थहीन मुद्दों पर राजनीति करने पर लगी है। कहा कि विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र वाले देश भारत के पड़ोसी चीन में कोई गणतंत्र नहीं है, लेकिन वह सुपरपावर बनकर दुनिया को डरा रहा है। काटजू ने कहा कि देश में रोजगार के अवसर सीमित हो रहे हैं। उद्योगों की उत्पादकता घट रही है। यह चिंता का विषय है। समान नागरिक संहिता की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए यह जरूरी है।
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