हवा से बातें करता दून अस्पताल और फर्श पर गर्भवती
देहरादून के सबसे बड़े दून अस्पताल में अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। आलम यह है कि गर्भवती महिलाओं और प्रसूता महिलाओं फर्श पर जगह तलाशनी पड़ रही है।
देहरादून, [जेएनएन]: अगर आप राज्य की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर देखना चाहते हैं तो किसी दुरूह क्षेत्र में जाने की जरूरत नहीं। राजधानी में ही दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के महिला विंग पहुंच जाइए, यहां के हालात देखकर आप सहज ही अंदाजा लगा लेंगे कि पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में स्थितियां कितनी बदतर हो सकती हैं। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के महिला विंग में मरीज व्यवस्था के मर्ज से जूझ रहे हैं। यहां व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो चुकी हैं।
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार इस चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं को बेड तक मयस्सर नहीं हैं। अस्पताल पर क्षमता से चार गुना ज्यादा दबाव है। जिस कारण महिलाओं की डिलीवरी अव्यवस्थाओं के बीच होती है। अस्पताल के सभी वार्ड फुल हैं और एक बेड पर दो-दो महिलाएं भर्ती हैं। यहां प्रसूताएं नवजात के साथ गर्मी और उमस से भी जूझ रही हैं।
हालात यह है कि अस्पताल में बेड के लिए भी सिफारिश आ रही है। ऐसा नहीं है कि सरकार व शासन को इस बात का इल्म नहीं। हाकिम भी यह जानते हैं कि कम बेड के कारण मरीज परेशानी में हैं, लेकिन स्थिति बदल नहीं रही। हालत यह कि प्रसव उपरांत महिलाएं नवजात संग कॉरिडोर में फर्श पर अपना ठिकाना तलाश रही हैं। एकाध नहीं कई मरीज फर्श पर चादर डालकर गुजारा कर रहे हैं। जबकि प्रसव उपरांत एक महिला को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। गैलरी में भारी भीड़ के चलते जमीन पर लेटे मां और बच्चे को बिल्कुल भी आराम नहीं मिलता। मंगलवार सुबह हुई बारिश के दौरान बौछारें गैलरी तक पहुंच गईं, जिससे कई नवजात भी भीग गए।
लिफ्ट खराब, कंधे पर मरीज
अस्पताल की बदहाली का एक उदाहरण यह भी है। मंगलवार को शॉर्ट सर्किट से फिर अस्पताल की बिजली गुल हो गई। जिससे एक बार फिर ऑपरेशन अंधेरे में करने पड़े। अस्पताल की लिफ्ट तो काफी वक्त से बंद है। ऐसे में लेबर रूम से वार्ड तक जच्चा-बच्चा को कंधे पर ले जाना पड़ रहा है। इस स्थिति में कई महिलाओं के टांके तक खुल जा रहे हैं।
वहीं मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. नवीन बलूनी का कहना है कि इस संबंध में अब सीधे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की जाएगी। महिला अस्पताल की हर दिक्कत को दूर करना सरकार की प्राथमिकता में है।
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