lockdown के बाद बनेगा देश का पहला स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर, जानिए कहां होगा स्थापित
प्रोजेक्ट सिक्योर हिमालय के तहत स्वीकृत देश के पहले स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर का निर्माण लॉकडाउन के बाद होगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के गंगोत्री नेशनल पार्क में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रोजेक्ट सिक्योर हिमालय के तहत स्वीकृत देश के पहले स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर का निर्माण लॉकडाउन के बाद होगा। इस सेंटर के लिए प्रथम किस्त के रूप में 85 लाख रुपए की राशि अवमुक्त कर दी गई है। सेंटर में स्नो लेपर्ड को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम तो चलेंगे ही, साथ ही वहां शोधार्थियों के लिए भी व्यवस्था होगी। साथ ही वन्यजीव पर्यटन के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों को डाक्यूमेंट्री के माध्यम से जानकारी दी जाएगी, जिससे वे उच्च हिमालयी क्षेत्र की इस दुर्लभ जीव के संरक्षण में भागीदारी निभा सकें।
उत्तराखंड समेत चार हिमालयी राज्यों में चल रहे सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट के तहत उच्च हिमालयी क्षेत्र की शान हिम तेंदुओं (स्नो लेपर्ड) के संरक्षण की पहल की गई है। उत्तराखंड में गंगोत्री नेशनल पार्क, गो¨वद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक का क्षेत्र इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत है। इस कड़ी में राज्य के इन क्षेत्रों में भी हिम तेंदुओं के संरक्षण के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों की आजीविका पर फोकस किया गया है। अब प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर स्थापित किया जा रहा है।
राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी बताते हैं कि यह सेंटर गंगोत्री पार्क के प्रवेश द्वार भैरोंघाटी में करीब 2800 फीट की ऊंचाई पर लंका पुल के पास बनेगा। इसका डिजाइन नीदरलैंड के मशहूर आर्किटेक्ट प्रो.ऐने फीनिस्त्र ने तैयार किया है। 5.30 करोड़ की लागत वाले देश के इस पहले स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर के लिए बजट प्रविधान किया गया। अब प्रथम किश्त के रूप में 85 लाख की राशि मंजूर हो गई है। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद स्थिति सामान्य होने के साथ ही जल्द ही इसका निर्माण शुरू किया जाएगा।
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गणना भी आगे खिसकी
सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट के तहत राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं की गणना का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है, लेकिन कोरोना संकट के चलते यह भी अब आगे खिसक गई है। पहले गणना के तहत मार्च में हिम तेंदुआ संभावित स्थल चिह्नित होने थे और इसके बाद जगह- जगह कैमरा ट्रैप लगाए जाने के साथ ही अन्य कदम उठाए जाने थे। अब यह कार्य भी स्थिति सामान्य होने के बाद ही शुरू हो पाएगा। गौरतलब है कि राज्य में हिम तेंदुओं की अच्छी-खासी संख्या में मौजदूगी के पुख्ता प्रमाण तो हैं, मगर इनकी वास्तव में संख्या है कितनी इसे लेकर रहस्य बना हुआ है। गणना होने के बाद ही इसे लेकर तस्वीर साफ हो पाएगी।
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