वकील दुष्कर्म के आरोप में दोषी, सात साल कठोर कारावास की हुई सजा
एडीजे चतुर्थ सुबीर कुमार की अदालत ने दुष्कर्म के आरोपित वकील अब्बास को दोषी करार दे दिया है। कोर्ट ने दोषी को सात साल की सजा सुनाई।
देहरादून, जेएनएन। हिंदू युवती से पहचान छिपाकर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के दोषी अधिवक्ता अब्बास अली को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ शंकर राज की अदालत ने सात साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने वकील पर चालीस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है, जिसमें से तीस हजार रुपये पीडि़ता को दिए जाएंगे। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को तीन वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने अदालत को बताया कि घटना की शुरूआत वर्ष 2013 में हुई। पीडि़ता कचहरी के बाहर एक दुकान पर टाइपिस्ट थी। उसके माता-पिता का निधन हो चुका था और वह यहां भाई के साथ रहती थी। जिस दुकान पर पीडि़ता नौकरी करती थी, वहां एक अधिवक्ता भी अक्सर काम के सिलसिले में आता रहता था। उसी दौरान एक युवक उससे मिला और खुद को वकील बताते हुए अपना नाम अनिल बताया। धीरे-धीरे दोनों में बातचीत बढऩे लगी। इस बीच उस शख्स ने पीडि़ता से शारीरिक संबंध भी बनाए।
जब पीड़िता ने शादी की बात की तो वह टालमटोल करने लगा। दिसंबर 2017 में उसने कहा कि इस शादी से उसके घर वाले तैयार नहीं होंगे। लिहाजा वह पहले शादी करते हैं, फिर घर वालों को बताएंगे। हालांकि पीडि़ता का भाई शादी के खिलाफ था। नौ दिसंबर 2017 को वकील ने दस हजार रुपये दिए और कहा कि वह शादी के कपड़े खुद खरीद ले, मंगलसूत्र वह लेकर आएगा। 11 दिसंबर को शहर के ब्यूटी पार्लर में वह तैयार होने गई, जहां वकील कार से उसे लेने आया। कार में बैठाकर उसे मसूरी के पास ले गया।
जहां वकील के कुछ दोस्त और एक पंडित मौजूद था। यहां दोनों की ङ्क्षहदू रीति के अनुसार विवाह हुआ। शादी के बाद वकील उसे बड़ोवाला, पटेलनगर में स्थित एक मकान में ले गया। अगले जब वकील किसी से फोन पर बात कर रहा था, तब उसे पता चला कि वकील का नाम अनिल नहीं है, बल्कि उसका असली नाम अब्बास अली पुत्र मिसार अहमद है और वह हरभजवाला मेहंूवाला, पटेलनगर का मूल निवासी है। यह भी पता चला कि वह पहले से शादीशुदा है।
इस पर जब अब्बास उर्फ अनिल से बात की गई तो वह उसे धमकी देने लगा। जिससे वह काफी डर गई। चार जनवरी 2018 को अब्बास ने पीडि़ता को बुरी तरह पीटा और कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए। उसी समय यह भी पता चला कि अब्बास किसी और युवती से शादी करने वाला है। 12 जनवरी 2018 को मामले में पटेलनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने अब्बास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अदालत ने एसराम कृष्णा बनाम राज्य और उड़ीसा राज्य बनाम सुक्कू गोड़ा के केस में आए फैसले की नजीर के आधार पर सजा का ऐलान कर दिया।
पीड़िता, पंडित की गवाही रही अहम
केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल सात गवाह पेश किए। इसमें पीड़िता और शादी कराने वाले पंडित की गवाही अहम रही। वहीं बचाव पक्ष ने तीन गवाह पेश किए, लेकिन अदालत ने उनके तर्कों को न मानते हुए अब्बास को दोषी करार देते हुए सजा सुना दी।
एक साल के भीतर आया फैसला
जनवरी 2018 में अब्बास अली पर मुकदमा दर्ज होने के बाद उस पर तीन अगस्त 2018 को आरोप तय कर दिए गए। इसके बाद गवाहों के बयान शुरू हुए। मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने एक साल के भीतर सजा सुना दी।
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