शासन व उच्च शिक्षा निदेशालय में दिखी संवाद की कमी, जानिए क्या है वजह
कोरोनाकाल में उच्च शिक्षा संस्थानों को लेकर सरकार की उदासीनता कहीं छात्रों पर भारी न पड़ जाए। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण करीब साढ़े महीने बाद 15 दिसंबर से प्रदेश सरकार ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को खोलने का निर्णय लिया।
जागरण संवाददाता, देहरादून : कोरोनाकाल में उच्च शिक्षा संस्थानों को लेकर सरकार की उदासीनता कहीं छात्रों पर भारी न पड़ जाए। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण करीब साढ़े महीने बाद 15 दिसंबर से प्रदेश सरकार ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को खोलने का निर्णय लिया और उसी दिन उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी ने राजकीय महाविद्यालयों में शीतकालीन अवकाश की अधिसूचना जारी कर दी।
शिक्षाविदों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण करीब साढ़े आठ महीने प्रदेश के राजकीय महाविद्यालय, सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय व निजी कॉलेज बंद रहे। एक से दो घंटे कुछ संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई हुई। बाकी समय शिक्षक खाली ही रहे। ऐसे में उच्च शिक्षा निदेशालय इस बार शीतकालीन अवकाश को या तो टाल सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहाड़ों के राजकीय महाविद्यालयों में चार जनवरी से चार फरवरी तक एक महीने और मैदानी क्षेत्र के कॉलेजों में 11 जनवरी से 20 दिनों के लिए शीतकालीन अवकाश रहेगा। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार करीब साढ़े तीन लाख छात्र-छात्राओं की पढ़ाई लगभग चौपट रही। जबकि सभी शिक्षकों करे इस अवधि में पूरा वेतन प्राप्त हुआ। इसलिए छात्र हित में अवकाश के बजाए पढ़ाई को प्राथमिकता दी जाती तो बेहतर होता। प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं राज्य व देश का भविष्य हैं।
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इन्हीं छात्रों में से कुछ वैज्ञानी, डाक्टर, इंजीनियर, सैन्य अधिकारी या शिक्षाविद बन सकते हैं। कई दशकों बाद पहली बार कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपने जद में ले रखा है ऐसे समय शिक्षा व आर्थिक विकास की गति को यदि पटरी पर लाना है तो समाज के हर व्यक्ति को अपनी ओर से कुछ अतिरिक्त सहयोग की जरूरत है। एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस कॉलेज के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की।