नमो विजन के अनुरूप निखर रही केदारपुरी, कोरोना काल में आसान नहीं केदारनाथ यात्रा
केदारपुरी अब नए कलेवर में निखरकर सामने आई है तो इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही विजन है। इसके बावजूद कोरोना काल में केदारनाथ यात्रा आसान नहीं होगी।
देहरादून, जेएनएन। केदारपुरी अब नए कलेवर में निखरकर सामने आई है तो इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही विजन है। इसके बावजूद कोरोना काल में केदारनाथ यात्रा आसान नहीं होगी। तीर्थ पुरोहित और व्यापारी भी अभी चारधाम यात्रा के पक्ष में नहीं हैं। इसे लेकर उनमें असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
चारों धाम में सबसे चुनौतीपूर्ण यात्र केदारनाथ की होती है। ऐसे में सरकार की ओर से स्थानीय लोगों को यात्रा की अनुमति के बाद भी यात्रा शुरू करना आसान नहीं है। खासकर तब, जब धाम में अभी बुनियादी सुविधाएं बहाल नहीं हो पाई हैं। यहां तक कि 16 किमी लंबे पैदल मार्ग पर यात्रा व्यवस्थाएं जुटाने के लिए भी अभी प्रशासन ने कोई खास तैयारियां नहीं की हैं।
केदारनाथ धाम का भूगोल अन्य तीन धामों से बिल्कुल अलग है। इसलिए यहां यात्र व्यवस्थाएं जुटाने को कार्मिकों को पसीना बहाना पड़ता है। कोरोना काल चल रहा है, ऐस में पुलिस, प्रशासन व स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग कोरोना संकट से निपटने में जुटे हैं। जिससे वो केदारनाथ यात्र तैयारियों पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पा रहे।
अब जबकि, रुद्रप्रयाग जिले के लोगों को धाम में दर्शनों की अनुमति दे दी गई है, तो जाहिर है उनके रहने-खाने की व्यवस्था भी धाम व यात्र पड़ावों पर होनी चाहिए। अभी केदारनाथ में किसी भी व्यापारी व तीर्थ पुरोहित ने अपने प्रतिष्ठान नहीं खोले हैं। यात्रा पड़ाव भी सूने पड़े हुए हैं। तय सीमा में 800 लोग रोजाना पहुंचते हैं तो व्यवस्था कैसे होगी, इसका किसी के पास जवाब नहीं। डीएम वंदना सिंह ने यात्र शुरू होने पर पुलिस व स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं।
मंदिर के बाहर से ही करने होंगे बाबा के दर्शन
प्रदेश सरकार की ओर से भले ही रुद्रप्रयाग जिले के लोगों को केदारनाथ जाने की अनुमति दे दी गई हो, लेकिन जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार उन्हें मंदिर के बाहर से ही बाबा केदार के दर्शन करने होंगे। मंदिर के गर्भगृह में जाने की किसी भी भक्त को अनुमति नहीं होगी।
रुद्रप्रयाग की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा कि बाहरी राज्यों सहित कंटेनमेंट जोन और उत्तराखंड के अन्य जिलों के लोगों को केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं है। जिला स्तर पर भी बिना पास के ऊखीमठ, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग व केदारनाथ क्षेत्र में आवागमन प्रतिबंधित रहेगा।
चारधाम यात्रा के पक्ष में नहीं तीर्थ पुरोहित और व्यापारी
चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिले के लोगों को अपने-अपने जिलों में स्थित धामों में दर्शनों की अनुमति दिए जाने के बाद भी चारों धाम में असमंजस का माहौल है। चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की ओर से छूट दिए जाने के बावजूद बुधवार को एक भी यात्री संबंधित जिलों से चारों धाम नहीं पहुंचा।
उधर, केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित और व्यापारी धाम के लिए यात्रा शुरू किए जाने का विरोध कर रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर समितियां भी दोनों धाम के लिए यात्र शुरू करने के कतई पक्ष में नहीं हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि कोरोना महामारी से पूरी तरह निजात मिलने तक चारधाम यात्र शुरू नहीं की जानी चाहिए।
देवस्थानम बोर्ड की ओर से चमोली जिले से रोजाना1200 लोगों को बदरीनाथ धाम में दर्शनों की अनुमति दी गई है। बावजूद इसके कोई भी यात्री बुधवार को वहां दर्शनों को नहीं पहुंचा। हां, बामणी और माणा गांव से छह लोगों ने जरूर बदरीनाथ पहुंचकर मंदिर में पूजा-अर्चना की।
बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि इसके अलावा दिल्ली व बरेली के दो भक्तों की ओर से भी महाभिषेक पूजा की गई। उन्होंने पूजा के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराई थी। इस दौरान शारीरिक दूरी के मानकों का पूरी तरह पालन किया गया।
केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग व तीर्थ पुरोहित कुबेरनाथ पोस्ती ने कहा कि कोरोना काल में यात्रा शुरू कराने से पूरी केदारपुरी असुरक्षित हो जाएगी। केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि जिले के लोग भी धाम व यात्रा पड़ावों पर जरूरी व्यवस्थाएं बहाल होने के बाद ही यात्र शुरू के पक्ष में हैं।
नमो विजन के अनुरूप निखर रही केदारपुरी
जून 2013 की आपदा में तबाह हुई केदारपुरी अब नए कलेवर में निखरकर सामने आई है तो इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही विजन है। केदारपुरी का पुनर्निर्माण प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस परियोजना पर सीधी नजर रखे हुए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भी समय-समय पर इसकी समीक्षा करते रहते हैं। बुधवार को इसी कड़ी में उन्होंने इस परियोजना की समीक्षा कर प्रगति का ब्योरा लिया और कार्यो के संबंध में दिशा-निर्देश दिए। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का उत्तराखंड और खासकर केदारनाथ से दशकों पुराना नाता है। तकरीबन 34 साल पहले उन्होंने केदारनाथ के नजदीक गरुड़चट्टी में साधना की थी। इसके बाद से वह निरंतर उत्तराखंड और केदारनाथ आ रहे हैं। वर्ष 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान नमो उत्तराखंड आए थे, तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने उत्तराखंड के प्रति अपना विशेष स्नेह प्रदर्शित किया। केदारनाथ का पुनर्निर्माण और चारधाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड उनकी प्राथमिकता में शामिल हैं। अब उन्होंने बदरीनाथ धाम को और आकर्षक बनाने के लिए भी निर्देश दिए हैं। मौजूदा परिस्थितियों में इसे उत्तराखंड के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। वे संभवत: देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होने यह पद संभालने के बाद प्रदेश के 14 दौरे किए हैं।
प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले 11 सितंबर 2015 को वह निजी दौरे पर ऋषिकेश के दयानंद आश्रम आए और अपने गुरु स्वामी दयानंद गिरी से मुलाकात की। 27 दिसंबर 2016 में उन्होंने देहरादून में चारधाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड परियोजना की आधारशिला रखी। उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के दौरान 2017 में प्रधानमंत्री ने तीन दिन में चार स्थानों पर जनसभाओं को संबोधित किया।
तीन मई 2017 को केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर वह मौजूद रहे। पांच अक्टूबर को वह मसूरी में लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी आए। 20 अक्टूबर को केदारनाथ के कपाट बंद होने के अवसर पर भी प्रधानमंत्री पहुंचे और पुनर्निर्माण से जुड़ी कई योजनाओं की शुरुआत की। 26 व 27 अक्टूबर को उन्होंने दो दिन लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षु आइएएस के साथ बिताए।
जून 2018 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मुख्य कार्यक्रम के लिए देहरादून का चयन किया। इसके बाद अक्टूबर में उन्होंने देहरादून में आयोजित इन्वेस्र्ट्स समिट का उद्घाटन भी किया। सात नवंबर को वह दीपावली के अवसर पर केदारनाथ धाम पहुंचे और यहां पुनर्निर्माण कार्यो का जायजा लिया।
वर्ष 2019 में 14 फरवरी को वह उत्तराखंड के कार्बेट रिजर्व पहुंचे। तब उन्हें रुद्रपुर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेना था, मगर मौसम की खराबी के कारण वहां नहीं जा पाए थे। इसके बाद उन्होंने 28 मार्च को रुद्रपुर और पांच अप्रैल को देहरादून में जनसभा की। पिछले लोकसभा चुनाव की आपाधापी से निबटने के बाद 18 मई 2019 को वह केदारनाथ आए थे। तब उन्होंने केदारनाथ के नजदीक एक गुफा में ध्यान लगाया था। अगले दिन 19 मई को उन्होंने बदरीनाथ के दर्शन किए थे।
ओपन म्यूजियम में दिखेगा केदारनाथ का इतिहास
द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथधाम में बनने वाले ओपन म्यूजियम में निकट भविष्य में श्रद्धालुजन केदारनाथ के धार्मिक, पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व से रूबरू हो सकेंगे। राज्य सरकार की योजना केदारनाथ में प्रशासनिक ब्लॉक बनाने की है, जिसमें यह म्यूजियम भी होगा।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फेंसिंग के दौरान इस योजना के बारे में उन्हें जानकारी दी। बाद में मुख्य सचिव ने बताया कि प्रशासनिक ब्लाक में यात्री सुविधाएं भी होंगी। साथ ही वहां बनने वाले ओपन म्यूजियम में केदारनाथ की स्थापना से लेकर अब तक के सफर के बारे में श्रद्धालुओं को जानकारी मिलेगी।
उन्होंने बताया कि केदारनाथ में चल रहे अधिकांश पुननिर्माण कार्य अगले साल मार्च तक पूरे हो जाएंगे। गरुड़चट्टी को जोड़ने वाले मार्ग पर मंदाकिनी के ऊपर पुल के निर्माण के लिए 31 मार्च 2021 की तिथि तय की गई है। आद्य गुरु शंकराचार्य की समाधिस्थल का पुनर्निर्माण कार्य इसी वर्ष 31 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा।
सरस्वती घाट का निर्माण 30 जून और केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों के लिए बनाए जा रहे ब्लाकों में घरों का निर्माण सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। इसी तरह केदारनाथ के नजदीक बन रही तीन गुफाओं का निर्माण भी सितंबर तक पूर्ण हो जाएगा। इसके अलावा केदारपुरी में अन्य यात्री सुविधाओं का भी विकास किया जा रहा है।
स्थानीय दुकानदारों के लिए दुकानों की व्यवस्था की जा रही है। मुख्य सचिव के अनुसार केदारनाथ में सभी पुनर्निर्माण कार्य मास्टर प्लान के अनुरूप हो रहे हैं। इसमें ग्रीन और स्मार्ट केदारपुरी की परिकल्पना के आधार पर आगे बढ़ा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि केदारनाथ में अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं, जो अलग-अलग फेज में पूरे होंगे।
केदारनाथ पुनर्निर्माण को पीएफसी देगा 25 करोड़
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम पावर फाइनेंस कारपोरेशन (पीएफसी) केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों के लिए 25 करोड़ 96 लाख 50 हजार चार सौ अठानवे रुपये की वित्तीय मदद देगा। इस सिलसिले में पीएफसी और श्री केदारनाथ उत्थान चेरिटेबल ट्रस्ट (एसकेयूसीटी) के मध्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
पीएफसी के मुख्य महाप्रबंधक (सीएसआर एंड एसडी) एम प्रभाकर दास और एसकेयूटीसी की ओर से अपर स्थानिक आयुक्त इला गिरि ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत केदारनाथ और उसके आसपास के क्षेत्रों के बुनियादी ढाचे के पुनर्निर्माण के लिए पीएफसी सीएसआर के तहत यह राशि देगा। इसके तहत सिविक सेंटर, इंटरप्रिटेशन सेंटर, संग्रहालय का निर्माण और सरस्वती युग के साथ नए बुनियादी ढांचे का निर्माण कराया जाएगा। परियोजना में सोनप्रयाग में रेन शेल्टर और गौरीकुंड में सुरक्षा द्वार का निर्माण भी कराया जाएगा।
यह भी पढ़ें: Chardham Yatra 2020: बदरी-केदार में लगातार हो रही ऑनलाइन पूजाएं, ऐसे कर सकते हैं बुकिंग