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कॉलेजों में विलंब शुल्क से कश्मीरी छात्रों में बढ़ा आक्रोश Dehradun News

देहरादून के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ रहे जम्मू-कश्मीर के छात्र-छात्रओं में विलंब शुल्क को लेकर आक्रोश है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 04:49 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 04:49 PM (IST)
कॉलेजों में विलंब शुल्क से कश्मीरी छात्रों में बढ़ा आक्रोश Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। देहरादून के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ रहे जम्मू-कश्मीर के छात्र-छात्रओं में विलंब शुल्क को लेकर आक्रोश है। छात्र-छात्रओं का आरोप है कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद अवकाश पर गए सैकड़ों बच्चों को करीब दो माह घरों में रुकना पड़ा। ऐसे में कॉलेज प्रशासन का विलंब शुल्क वसूलना उचित नहीं है। दूसरी ओर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि मामले में जल्द ही बैठक बुलाई जा रही है। 

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जम्मू एंड कश्मीर स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर खुहेमानी ने बताया कि देहरादून में दो हजार से ज्यादा छात्र-छात्रएं विभिन्न कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद कश्मीर में लगभग दो महीने कर्फ्यू था। इसके चलते छात्र कॉलेजों में समय पर नहीं पहुंच सके। बैंकिंग सुविधा सुचारु न होने के कारण घर से फीस भरना संभव नहीं हो पाया। अब बहुत से कॉलेज लेट फीस मांग रहे हैं, फीस नहीं देने पर परीक्षा में नहीं बैठने देने की चेतावनी मिल रही है। विलंब शुल्क के नाम पर कई कॉलेज तीन से 12 हजार रुपये मांग रहे हैं। 

कश्मीर में बारामुला के छोटे से गावं भोमाइपुर के छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि वह एक इंस्टीट्यूट में हॉस्पिटल मैनेजमेंट में स्नातक के छात्र हैं। पिता किसान हैं, खेती से ही घर का खर्चा चलता है। कश्मीर में कर्फ्यू लगने के बाद से घर से निकलना मुश्किल था।

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वह कहते हैं कि बड़ी मुश्किल से पिता ने फीस चुकाई, अब विलंब शुल्क देना मुश्किल है। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की कुल सचिव डॉ. अनीता रावत ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज में जम्मू-कश्मीर के छात्र-छात्रओं से जबरन लेट फीस वसूलने की शिकायत नहीं मिली है, यदि ऐसी शिकायत मिली तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। 

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