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कर्मकार बोर्ड को नहीं श्रम विभाग की जांच पर भरोसा, बोर्ड के अध्यक्ष ने शासन को भेजे पत्र में लिखी ये बात

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को श्रम विभाग के जरिये कराई जा रही जिलों में साइकिल वितरण की जांच पर भरोसा ही नहीं है। यह साइकिलें पिछले बोर्ड के कार्यकाल में वितरित की गई थीं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 08:20 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 08:20 AM (IST)
कर्मकार बोर्ड को नहीं श्रम विभाग की जांच पर भरोसा, बोर्ड के अध्यक्ष ने शासन को भेजे पत्र में लिखी ये बात
कर्मकार बोर्ड को नहीं श्रम विभाग की जांच पर भरोसा।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को श्रम विभाग के जरिये कराई जा रही जिलों में साइकिल वितरण की जांच पर भरोसा नहीं है। यह साइकिलें पिछले बोर्ड के कार्यकाल में वितरित की गई थीं। बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने शासन को पत्र भेजकर प्रकरण की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराने का आग्रह किया है। सचिव श्रम हरबंस सिंह चुघ ने बोर्ड के अध्यक्ष का पत्र मिलने की पुष्टि की।

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कर्मकार कल्याण बोर्ड पिछले साल अक्टूबर से चर्चा में है। तब शासन ने बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देख रहे श्रम मंत्री डा. हरक सिंह रावत को अध्यक्ष पद से हटा दिया था। बोर्ड के अध्यक्ष पद पर शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया। इसके बाद बोर्ड का नए सिरे से गठन किया गया। बोर्ड की पहली ही बैठक में पिछले बोर्ड के फैसलों को पलट दिया गया। साथ ही ये बात भी सामने आई कि पिछले बोर्ड ने तमाम कार्यों में नियमों की अनदेखी की। बोर्ड ने पिछले बोर्ड के कार्यकाल में हुए कार्यों का स्पेशल आडिट कराने का निर्णय लिया, मगर तभी कैग ने भी बोर्ड के कार्यकाल का आडिट शुरू कर दिया। कैग की रिपोर्ट का शासन को इंतजार है।

इस बीच बोर्ड के माध्यम से कोटद्वार में ईएसआइ के अस्पताल निर्माण के लिए 20 करोड़ रुपये की राशि ऋण के रूप में एक कंपनी को दे दिए जाने का मामला उछला। यह कंपनी पूरी राशि बोर्ड को लौटा चुकी है। हालांकि, शासन ने इस प्रकरण में आइएएस वी.षणमुगम की अध्यक्षता में अन्वेषण समिति गठित की। यह समिति अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंप चुकी है। इसमें बोर्ड की तत्कालीन सचिव के अलावा ईएसआइ के एक चिकित्सक समेत तीन कार्मिकों के खिलाफ एफआइआर की संस्तुति की गई है। इस पर भी फैसला होना अभी बाकी है।

इसके अलावा पूर्व में ये बात भी सामने आई कि पिछले बोर्ड के कार्यकाल में जिलों में साइकिल वितरण में अनियमितता बरती गई। कई ऐसे व्यक्तियों को भी साइकिलें बांट दी गईं, जो इसके पात्र ही नहीं थे। इसकी जांच श्रम विभाग के जरिये कराई जा रही है। अब इस मामले में नया मोड़ आया है। बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने शासन को भेजे पत्र में कहा है कि साइकिल वितरण का कार्य श्रम विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। अब उन्हीं के माध्यम से जांच कराने से इसकी निष्पक्षता पर संदेह है। उन्होंने मांग की है कि यह जांच किसी अन्य एजेंसी से कराई जाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

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