यहां ट्रॉली से नदी पार करने का नहीं उठाना पड़ेगा जोखिम, झूला पुल तैयार
केदारनाथ आपदा के साढ़े पांच वर्ष बाद विजयनगर में मंदाकिनी नदी पर आखिरकार झूलापुल का निर्माण हो ही गया।
देहरादून, [बृजेश भट्ट]: केदारनाथ आपदा के साढ़े पांच वर्ष बाद विजयनगर में मंदाकिनी नदी पर आखिरकार झूलापुल का निर्माण हो ही गया। हालांकि, 60 मीटर लंबे इस झूलापुल पर अभी एप्रोज रोड बननी बाकी है। पुल बनने से क्षेत्र के तीन दर्जन से अधिक गांवों की समस्या भी दूर गई है। अब ग्रामीणों को बरसात के दौरान ट्रॉली पर लटककर नदी पार करने का जोखिम नहीं उठाना पड़ेगा।
वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा में विजयनगर झूलापुल समेत केदारघाटी के डेढ़ दर्जन पुल बह गए थे। क्षेत्र की समस्या को देखते हुए वर्ष 2014 में देशभर के सांसदों ने अपनी निधि से नौ पैदल पुलों के निर्माण के लिए 20.48 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया। इसके बाद सभी पुलों का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया।
इनमें से सिल्ली, माई की मंडी व चंद्रापुरी में तो पुल बनकर तैयार हो गए, लेकिन विजयनगर के लिए स्वीकृत लगभग 3.5 करोड़ की लागत के पुल पर महज दो पिल्लर ही बन पाए। इसके चलते बरसात के दौरान ग्रामीणों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही थी।
निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग रुद्रप्रयाग की ओर से पुल के अवशेष कार्य के लिए रिवाइज आगणन तैयार कर शासन को भेजा गया, लेकिन स्वीकृति न मिलने से कार्य अब तक लटका हुआ था।
पुल न होने से क्षेत्र के कई गांवों के लोगों को मंदाकिनी नदी पार करने में दिक्कत आ रही थी। नदी में लगी ट्रॉली में कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी थी। इसके नदी पार करने में जान का जोखिम रहता था।
केदारनाथ विधायक मनोज रावत समेत क्षेत्रीय ग्रामीणों की ओर से बनाए जा रहे दबाव के बाद विभाग की ओर से शासन को भेजे गए रिवाइज इस्टीमेट के तहत इसी वर्ष फरवरी में लगभग चार करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ। साथ ही पुल निर्माण के कार्य में भी तेजी आ गई।
लोक निर्माण विभाग रुद्रप्रयाग के अधिशासी अभियंता इन्द्रजीत बोस ने बताया कि अब पुल बनकर तैयार हो गया है और ग्रामीणों ने इस पर आवाजाही भी शुरू कर दी है। जल्द ही पुल का एप्रोज मार्ग भी तैयार कर लिया जाएगा।
झूलापुल निर्माण संघर्ष समिति के संरक्षक विजय मलासी व जेएस नेगी ने बताया कि पुल तैयार होने से अब थाती बड़मा, फुटगढ़ व सिलगढ़ पट्टी के तीन दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों को बरसात के दौरान ट्रॉली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
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