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भागीरथी में मलबा डालने पर दो करोड़ का जुर्माना, पढ़िए पूरी खबर

भागीरथी में मलबा डालने पर कार्यदायी कंपनी नेशनल हाइवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना पर लगाया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 02:26 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 02:26 PM (IST)
भागीरथी में मलबा डालने पर दो करोड़ का जुर्माना, पढ़िए पूरी खबर
भागीरथी में मलबा डालने पर दो करोड़ का जुर्माना, पढ़िए पूरी खबर

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने भागीरथी नदी में ऑलवेदर रोड का मलबा डालने से हुए नुकसान की भरपाई को कार्यदायी कंपनी नेशनल हाइवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना पर लगाया है। साथ ही ऑलवेदर रोड निर्माण के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।

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'दैनिक जागरण' ने अपने 16 फरवरी 2018 के अंक में 'भागीरथी में समा रहा मलबा' शीर्षक से प्रकाशित खबर में चुंगी बड़ेथी व नालूपानी के पास ऑलवेदर के कार्य का मलबा भागीरथी में डालने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद वन विभाग की ओर से निर्माण कंपनी एनएचआइडीसीएल को नोटिस जारी किया गया। साथ ही दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता गौरव जैन ने एनजीटी में जनहित याचिका दायर की। 

एनजीटी ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जबाव मांगने के साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जीबी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान अल्मोड़ा, केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण बोर्ड, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान चंडीगढ़ की एक संयुक्त जांच टीम गठित की। टीम ने भागीरथी व अलकनंदा नदी में गिराए जा रहे ऑलवेदर रोड के मलबे की स्थिति को देखा और रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी। 

गत एक नवंबर को एनजीटी ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। ऑलवेदर रोड कटिंग का मलबा नदी में डालने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एनजीटी ने एनएचआइडीसीएल पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए जुर्माने की राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करने के आदेश दिए। इसके साथ ही एनजीटी ने भागीरथी व अन्य नदियों में मलबा न डालने के लिए भी खास दिशा-निर्देश दिए हैं। 

ये हैं खास दिशा-निर्देश 

-जहां सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा है, वहां रिटेनिंग वॉल बनाई जाए, ताकि नदी में मलबा न गिरे। 

-सड़क के चौड़ीकरण से पहले ही डंपिंग जोन का डिजाइन किया जाए और उसके रख-रखाव के इंतजाम भी किए जाएं।   

-डंपिंग जोन के पास एक बोर्ड लगाया जाए, जिसमें क्षेत्रफल व स्थान आदि का उल्लेख हो।   

-डंपिंग जोन में भी अधिक मलबा न डालें, ताकि वह इधर-उधर न बिखरे।   

-डंपिंग जोन की सुरक्षा दीवार अच्छी तकनीकी से बनाएं। 

-जो डंपिंग जोन भर चुके हैं, उनमें घास और पौधों का रोपण करें। 

-सभी सड़कों के निर्माण में मलबा निस्तारण प्रबंधन नियम-2016 के नियमों का पालन किया जाए। 

-एनजीटी की ओर से गठित कमेटी हर तीसरे माह डंपिंग की स्थिति की निगरानी करेगी और रिपोर्ट करेगी। 

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि ऑलवेदर रोड के मलबे की डंपिंग को लेकर एनजीटी के फैसले की प्रति अभी मुझे नहीं मिली है। एनजीटी के जो भी दिशा-निर्देश होंगे, उनका कड़ाई से पालन कराया जाएगा।  

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