दूसरों के चेहरों पर खुशी लाने वाले कलाकारों की पीड़ा आई सामने, जानिए क्या कहा
हास्य कलाकारों का कहना है कि रुलाना बेहद आसान होता है। लेकिन किसी को हंसाना बेहद ही मुश्किल होता है।
देहरादून, [दीपिका नेगी]: यूं तो हंसने के कई बहाने होते हैं, लेकिन चुटकुला हंसाने का सबसे मनोरंजक जरिया होता है। एक जुलाई को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस मनाया जाता है। हमारे बीच भी कुछ ऐसे ही व्यंग्यकार और हास्य कलाकार हैं, जो वर्षों से लोगों को हंसाने का काम कर रहे हैं। लेकिन, इसके पीछे उनकी मेहनत और चुनौतियां कुछ कम नहीं हैं। तभी तो कहा जाता है कि किसी को रुलाना तो आसान है पर हंसाना मुश्किल। पेश है हमारे कुछ अनोखे हास्य कलाकारों से बातचीत के अंश।
बॉलीवुड में बतौर हास्य कलाकार अपनी पहचान बनाने वाले 48 वर्षीय हेमंत पांडेय कहते हैं कि बचपन से ही उनका स्वभाव खुशमिजाज रहा है। मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले हेमंत का मानना है कि हास्य परिवार से पैदा होता है। लेकिन, आज पहाड़ों में स्थिति ऐसी हो गई है कि लोगों की मासूमियत खोती जा रही है। हास्य कलाकार भी अपनी रोटी के इंतजाम में लगा हुआ है। सरकार की ओर से भी इन कलाकारों के लिए प्रदेश में ऐसी कोई खास पहल नहीं की जा रही है। हेमंत कहते हैं कि पहाड़ों में भी उमंग और उत्साह की जगह अब तनावपूर्व जिंदगी ने ले ली है।
मुश्किल होता जा रहा हंसाना
सर्द हवाएं चलती है ठंडा पानी बहता है, देख जमाने की हालत सुनो बगोट क्या कहता है...80 साल का आशाराम इस कलयुग में ये कहता है, मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है। चुगलैर बगोट के नाम से प्रसिद्ध 50 वर्षीय हास्य कलाकार किशन सिंह रावत उर्फ किशना बगोट समाज की वर्तमान स्थिति पर इसी तंज के साथ अपनी बात शुरू करते हैं। उनका कहना है कि आज हास्य कलाकारों के लिए लोगों को हंसाना मुश्किल होता जा रहा है। क्योंकि हर कोई आज हंसाने का काम कर रहा है। राजनेता हो, अभिनेता हो या कोई संत। सभी आजकल हास्य कलाकार बन गए हैं।
हास्य बनकर रह गया है हास्य कलाकार
चक्रचाल, घरजवैं, बेटी ब्वारी जैसी सुपरहिट गढ़वाली फिल्मों से हास्य अभिनेता के रूप में लोकप्रिय हुए घनानंद गगोडिया उर्फ घन्ना भाई सभी के दिलों पर राज करते हैं। 65 वर्षीय कलाकार कहते हैं कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि उत्तराखंड में हास्य कलाकारों को संस्कृति निदेशालय कलाकार नहीं मानता। हास्य कलाकार खुद एक हास्य बन कर रह गया है। घन्ना कहते हैं कि समाज की एकरसता के लिए हंसना, हंसाना बेहद जरूरी है। बड़े स्तर पर भी हास्य कलाकारों ने अपनी पहचान बनाई है। प्रदेश में भी ऐसी योजनाएं बननी चाहिए जिससे यहां के कलाकारों को बढ़ावा मिले।
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