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Coronavirus: निजी लैब के खिलाफ जांच पर आइएमए ने खोला मोर्चा, शासन-प्रशासन के रवैये पर उठाए सवाल

Coronavirus Outbreak कोरोना सैंपलों की जांच कर रही निजी लैब के खिलाफ जांच से प्राइवेट डॉक्टरों में रोष व्याप्त है। इसे लेकर उन्होने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोविड जांच बंद करने के भी संकेत दिए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 07:26 PM (IST)
Coronavirus: निजी लैब के खिलाफ जांच पर आइएमए ने खोला मोर्चा, शासन-प्रशासन के रवैये पर उठाए सवाल
निजी लैब के खिलाफ जांच पर आइएमए ने खोला मोर्चा।

देहरादून, जेएनएन। राजधानी में कोरोना सैंपलों की जांच कर रही निजी लैब के खिलाफ जांच से प्राइवेट डॉक्टरों में रोष है। इसे लेकर उन्होने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोविड जांच बंद करने के भी संकेत दिए हैं। देहरादून के जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव पर भी उन्होंने निजी चिकित्सकों और पैथोलॉजी लैब संचालकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी इस मामले में हस्तक्षेप करें।

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दरअसल, मंगलवार को चकराता रोड स्थित कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में आइएमए के प्रांतीय महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने कहा कि आहूजा पैथ लैब राज्य की पहली प्राइवेट लैब है, जिसे आइसीएमआर से कोविड जांच की मंजूरी मिली है। यह लैब पिछले पांच माह से सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। पर जांच कराने वालों की संख्या और पॉजिटिविटी रेट को लेकर बिना वजह का भ्रम पैदा किया जा रहा है, जबकि दून मेडिकल कॉलेज में की जा रही कोविड जांच से निजी लैब की जांच ज्यादा सुरक्षित और फुलप्रूफ है। दून मेडिकल कॉलेज को अब तक एनएबीएल की मंजूरी भी नही मिली है। 

उन्होंने कहा कि सीएम और स्वास्थ्य सचिव को निजी लैबों के साथ किए जा रहे भेदभाव पर हस्तक्षेप करना चाहिए। एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि निजी चिकित्सक हर तरह से सहयोग करने को तैयार है। बशर्ते कि जिला प्रशासन उन्हें लेकर गलत अवधारणा बनाने से बचे। दून में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और मरीजों के लिए उचित इलाज की व्यवस्था जरूरी है। पर जिस तरह जिलाधिकारी द्वारा व्यवहार किया जा रहा है वह अनुचित है। उन्होंने कहा कि मामले बढ़ने पर सारा ठीकरा निजी लैब पर फोड़ना सिस्टम की हताशा को दर्शाता है, जबकि टिहरी और अन्य जिलों में जिलाधिकारियों ने बेहतर प्रबंधन कर कोरोना संक्रमण की रोकथाम की है। 

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टेस्ट की संख्या, अधिक पॉजिटिविटी रेट का कारण 

-परिवार के एक शख्स के पॉजिटिव आने पर अन्य लोग भी जांच करा रहे हैं। 

-निजी लैब में हाई सेंसिटिविटी किट इस्तेमाल की जा रही हैं। 

-मानकों के अनुरूप ज्यादा सटीक सैंपलिंग की जा रही है। 

-निजी लैब सैंपल लेने के तुरंत बाद जांच करते हैं।

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