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देहरादून में इगास पर बिखरी पहाड़ी की परंपरा और संस्कृति की छटा

पहाड़ की दीपावली इगास का उल्लास उत्तराखंड में चहुंओर बिखरा। भैलू और पारंपरिक नृत्य के साथ पहाड़ी व्यंजनों की खुशबू गांव ही नहीं शहरों में भी महकी। बग्वाल (दीपावली) के ठीक 11वें दिन देहरादून समेत अन्य जिलों में इगास पर्व धूमधाम से मनाया गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 08:25 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 10:37 PM (IST)
देहरादून में इगास पर बिखरी पहाड़ी की परंपरा और संस्कृति की छटा
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा इगास के अवसर पर कहचरी स्थित शहीद स्माकर पर भैलो खेला गया।

देहरादून, जेएनएन। पहाड़ की दीपावली इगास का उल्लास उत्तराखंड में चहुंओर बिखरा। भैलू और पारंपरिक नृत्य के साथ पहाड़ी व्यंजनों की खुशबू गांव ही नहीं शहरों में भी महकी। बग्वाल (दीपावली) के ठीक 11वें दिन देहरादून समेत अन्य जिलों में इगास पर्व धूमधाम से मनाया गया। विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से पारंपरिक व सांस्कृतिक आयोजनों से शाम रोशन हुई।

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पहाड़ की दीपावली इगास में लक्ष्मी पूजन के साथ ही गायों की पूजा जाती है। इस पर्व की खास बात यह है कि आतिशबाजी करने के बजाय लोग रात के समय पारंपरिक भैलो खेलते हैं। इस दिन मवेशियों के लिए भात, झंगोरा का पींडू (पौष्टिक आहार) तैयार किया जाता है। उनका तिलक लगाकर फूलों की माला पहनाई जाती है। इसके बाद उन्हें ये आहार खिलाया जाता है। कुछ संस्थाओं की ओर से युवा पीढ़ी को पहाड़ की संस्कृति व परंपराओं से रूबरू कराने के लिए भी इगास पर विभिन्न आयोजन किए गए। जिसमें लोकगीत, लोक नृत्य के साथ पहाड़ी व्यंजनों की धूम रही।

इगास पर शहीदों के नाम जलाए दीये

राज्य आंदोलनकारी मंच ने शहीद स्मारक में इगास के शुभ अवसर पर शहीदों के नाम दीये जलाए। शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद आचार्य श्रीत सुंदरियाल ने पकौड़ी व स्वाले का भोग लगाया गया। आंदोलनकारी जगमोहन सिंह नेगी व रविंद्र जुगरान ने कहा कि पहाड़ की परंपरा ही उत्तराखंड की पहचान है। उड़द व लोबिया दाल की पकौड़ी व गहथ की दाल के स्वाले (भरवां पूरी) युवाओं तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि वे परंपरागत खेती से भी जुड़ सके। आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने सभी साथियों से अनुरोध किया कि पहाड़ी व्यंजनों का प्रचार करें और अपने घर से ही इसकी शुरुआत करें। इस दौरान ओमी उनियाल, अरुणा थपलियाल, सुरेश नेगी, लुसुन टोडरिया, मोहन खत्री, अजय डबराल, वेदा कोठारी, अविनाश मणि, प्रभात डंडरियाल, सुनील बडोनी आदि उपस्थित थे।

महिलाओं ने प्रस्तुतियों से बांधा समा

गढ़ी कैंट गढ़वाल सभा की ओर से इगास महोत्सव पर भव्य आयोजन किया गया। डाकरा स्थित दुर्गा मंदिर प्रांगण में सांस्कृति प्रस्तुतियों से महिलाओं ने समा बांधा। इस दौरान कार्यक्रम में शिरकत करने वालों को तुलसी का पौधा भेंट किया गया। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को भी पुरस्कृत किया गया। इस दौरान बच्चों ने दीये जलाकर जीवन में प्रकाश लाने का संदेश दिया। संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह राणा ने सभी को इगास की शुभकामनाएं दीं।

आप ने मनाया उत्तराखंड का पौराणिक त्योहार इगास

आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्त्‍ताओं ने उत्तराखंड के पौराणिक त्योहार इगास-बग्वाल को पूरे प्रदेश में धूम धाम से मनाया। पहाड़ों में जहां कार्यकर्त्‍ताओं ने खाली पड़े गांवों और घरों में दीपक जलाकर जगमग किया। वहीं राजधानी देहरादून में भी आप कार्यकर्त्‍ताओं ने धर्मपुर में एकत्रित होकर एक साथ कई दीपक जलाकर बड़े धूम धाम से इगास त्योहार को मनाया। कार्यकर्त्‍ताओं ने सैकड़ों दीप जलाकर व पहाड़ी गीतों पर जमकर झूमे। आम आदमी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता उमा सिसोदिया ने बताया कि इगास कार्यक्रम में आप के सभी कार्यकर्त्‍ताओं ने संकल्प लिया कि अगले साल 2021 तक उनका प्रयास रहेगा कि पहाड़ों में खाली पड़े सभी गांवों में दिए जले। इस दौरान भूपेंद्र फरासी, हिमांशु पुंडीर, राजू मौर्य, सतीश शर्मा, राकेश काला समेत अन्य मौजूद रहे।

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भैलू खेलकर मनाया इगास

उत्तराखंड का लोक पर्व इगास को उत्तराखंड क्रांति दल ने हर्षोल्लास के साथ मनाया। राज्य के शहीदों को नमन करते हुए कचहरी परिसर शहीद स्मारक पर दीये जलाए गए। इसके बाद पार्टी कार्यालय में भी दीप जलाए गए। कार्यकर्त्‍ताओं ने भैलू खेलकर और एक-दूसरे को पहाड़ी पकवान खिलाकर खुशियां मनाईं। वक्ताओं ने कहा कि यह पर्व भैलू के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस अवसर पर लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी, जय प्रकाश उपाध्याय, राजेंद्र बिष्ट, धर्मेंद्र कठैत, अशोक नेगी, विजेंदर रावत, सीमा रावत, कमल कांत आदि मौजूद थे।

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