Move to Jagran APP

फिर आइएएस अधिकारी बन सकते हैं आइजी जेल, कवायद शुरू

प्रदेश में एक बार फिर महानिरीक्षक जेल का पद आइएएस संवर्ग को देने की कवायद चल रही है। शासन स्तर पर इसमें कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं।

By Edited By: Published: Sat, 11 May 2019 08:57 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 07:51 AM (IST)
फिर आइएएस अधिकारी बन सकते हैं आइजी जेल, कवायद शुरू

देहरादून, विकास गुसाईं। उत्तराखंड में एक बार फिर महानिरीक्षक (आइजी) जेल का पद आइएएस संवर्ग को देने की कवायद चल रही है। शासन स्तर पर इसमें कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। कार्मिक और न्याय का परामर्श लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि आचार संहिता के बाद इस मसले को कैबिनेट में लाया जा सकता है। 

loksabha election banner

राज्य गठन के बाद से वर्ष 2014 तक आइएएस संवर्ग के अधिकारी ही आइजी जेल का पदभार संभालते थे। हालांकि, पुलिस प्रशासन लगातार इस पद को आइपीएस संवर्ग को देने की मांग कर रहा था। उनकी मांग को तब जायज भी माना गया। दरअसल, राज्य गठन के बाद जेलों की सुरक्षा सवालों के घेरे में रही। जेलों के भीतर से अपराधियों के नेटवर्क संचालित होने के आरोप भी लगते रहे हैं। 

कई बड़ी घटनाओं में जेल प्रशासन और पुलिस के बीच आपसी समन्वय में कमी पाई गई। इस दौरान यह कहा गया कि पुलिस का जेल के भीतर सीधा हस्तक्षेप नहीं है। पुलिस बिना कोर्ट की अनुमति के जेल में प्रवेश नहीं कर सकती है। आपसी समन्वय में कमी के कारण जेलों में कैद अपराधियों के बारे में पुलिस बहुत अधिक सूचना नहीं रख पाती है। इस कारण पुलिस लंबे समय से आइजी जेल के पद पर आइपीएस स्तर के अधिकारी की तैनाती की मांग करती रही। 

वर्ष 2014 में जब जेलों के बाहर गैंगवार की घटनाएं सामने आईं, तब पुलिस अधिकारियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने आईजी जेल का पद पुलिस को दिए जाने का प्रस्ताव दिया और दिसंबर 2014 में सरकार ने आइजी जेल का पद आइपीएस संवर्ग के सुपुर्द कर दिया। तब से अभी तक आइजी डॉ. पीवीके प्रसाद इस जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं। वर्ष 2014 के बाद जेलों की संख्या बढ़ाने, इनके आधुनिकीकरण को लेकर केंद्र ने कई योजनाएं बनाई, जिन पर अभी काम भी चल रहा है। 

इन योजनाओं की सुस्त रफ्तार पर आइएएस लॉबी ने इसका ठीकरा जेल प्रशासन पर फोड़ा। दरअसल, सूत्रों की मानें तो जेल अधिनियम में आइजी जेल का पद आइएएस को दिए जाने का ही प्रावधान है। यह पद आइपीएस संवर्ग को दिया जाना शासन में बैठे नौकरशाहों को रास नहीं आ रहा था। यही कारण भी रहा कि कुछ समय पहले इस पद को फिर से आइएएस को दिए जाने की कवायद शुरू हुई और इस मामले में कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं। सूत्रों के अनुसार अब न्याय विभाग की राय के बाद इस मसले को आचार संहिता समाप्त होने के बाद कैबिनेट के समक्ष लाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: 108 नंबर डायल करने पर मोबाइल पर आएगा यह संदेश, जानिए

यह भी पढ़ें: सेफ दून एप से आपदा में मिलेगी राहत, पढ़िए पूरी खबर

यह भी पढ़ें: इस बीमारी से 30 दिन खुला रहा मरीज का मुंह, डॉक्टरों ने की सर्जरी

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.