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एनटीपीसी को जल विद्युत परियोजना के 1000 करोड़ देने से पहले सरकार ने रखी शर्त

600 मेगावाट की लोहारी नागपाला परियोजना को हाथ में लेने से पहले सरकार ने शर्त रख दी है। इसे पूरा करने के बाद ही के बाद ही राज्य सरकार एक हजार करोड़ की देनदारी पर हामी भरेगी।

By Edited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 07:45 AM (IST)
एनटीपीसी को जल विद्युत परियोजना के 1000 करोड़ देने से पहले सरकार ने रखी शर्त

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं पर रोक लगने के बाद 600 मेगावाट की लोहारी नागपाला परियोजना को लेकर उत्तराखंड सरकार में हिचक बनी हुई है। इस परियोजना पर अब तक करीब 1000 करोड़ खर्च करने के बाद नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद राज्य सरकार ने भी इसे अपने हाथ में लेने से पहले शर्त रख दी है। परियोजना पर आगे रोक न लगे, इसके लिए तमाम स्वीकृतियों के साथ ही एनटीपीसी को शेष बचे सुरक्षा कार्य पूरे करने होंगे। इसके बाद ही राज्य सरकार एक हजार करोड़ की देनदारी पर हामी भरेगी। 

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इस मामले पर अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 10 अक्टूबर को श्रम शक्ति भवन नई दिल्ली में बैठक बुलाई है। पर्यावरणीय बंदिशें उत्तराखंड की निर्माणाधीन महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं के कदम थाम चुकी हैं। इनमें कई परियोजनाओं पर बड़ी धनराशि खर्च की जा चुकी है। अब लोहारी नागपाला परियोजना को भी इसी परेशानी से जूझना पड़ रहा है। 

इस परियोजना से कुल 600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना है। इसके लिए 150 मेगावाट की चार यूनिट स्थापित की जानी हैं। बतौर निर्माण एजेंसी केंद्र सरकार का उपक्रम एनटीपीसी लोहारी नागपाला परियोजना पर अब तक करीब एक हजार करोड़ खर्च कर चुका है। 

यह राशि परियोजना के लिए आधारभूत संरचना तैयार करने और सुरक्षा कार्यो पर खर्च हुई है। परियोजना पर पर्यावरणीय स्वीकृति को लेकर रोक लगने के बाद एनटीपीसी ने आगे काम करने में अनिच्छा जता दी है। इसके बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की पहल के बाद राज्य सरकार ने लोहारी नागपाला परियोजना का निर्माण खुद करने पर सहमति दे दी है। 

इस परियोजना का निर्माण उत्तराखंड जलविद्युत निगम करेगा। इस मामले में पेच एनटीपीसी की अब तक खर्च हुई धनराशि की देनदारी को लेकर है। तमाम कारणों से बंद पड़ी इस परियोजना पर खर्च की गई 1000 करोड़ की राशि का भार उठाने को राज्य सरकार तैयार नहीं है। 

ऊर्जा प्रदेश का ख्वाब चकनाचूर होने से परेशानहाल सरकार ने इस राशि की देनदारी को लेकर शर्त रखी है। इस राशि से पहले उक्त परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति के साथ ही उसे शुरू करने में पेश आने वाली दिक्कतें दूर करने का भरोसा केंद्र सरकार को देना होगा। 

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इसके साथ ही उक्त परियोजना के स्थल पर सुरक्षा संबंधी कार्य अभी शेष हैं। एनटीपीसी को पहले इन सुरक्षा कार्यो को पूरा करना होगा। इसके बाद राज्य सरकार हामी भर सकेगी। एनटीपीसी की ओर से खर्च की गई धनराशि के भुगतान के संबंध में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 10 अक्टूबर को मंत्रालय के ही श्रम शक्ति भवन में विशेष सचिव की अध्यक्षता में बैठक बुलाई है। संपर्क करने पर ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा कि बैठक में राज्य सरकार अपना पक्ष प्रस्तुत करेगी।

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