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ऊर्जा निगम उत्तराखंड में बिजली चोरी रोकने को करेगा ऊर्जागिरी

बिजली चोरी रोकने के लिए ऊर्जा निगम ने अनूठी तरकीब निकाली है। फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस की गांधी गिरी की तर्ज पर ऊर्जा निगम भी ऊर्जा गिरी चलाएगा।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 01:12 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 08:51 PM (IST)
ऊर्जा निगम उत्तराखंड में बिजली चोरी रोकने को करेगा ऊर्जागिरी
ऊर्जा निगम उत्तराखंड में बिजली चोरी रोकने को करेगा ऊर्जागिरी

देहरादून, जेएनएन। बिजली चोरी रोकने के लिए ऊर्जा निगम ने अनूठी तरकीब निकाली है। फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस की गांधी गिरी की तर्ज पर ऊर्जा निगम भी 'ऊर्जा गिरी' चलाएगा। इसमें शहरवासियों को बिजली चोरी रोकने की सूचना देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। दो अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस अभियान का शुभारंभ करेंगे।

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प्रदेश में ऊर्जा निगम बिजली चोरी रोकने में हर मोर्चे पर विफल रहा है। विजिलेंस सेल, छापामारी, निगरानी तक की जा रही है, लेकिन स्थानीय डिविजन, सब डिविजन की मेहरबानी से बिजली चोरी रुकने का नाम नहीं ले रही है। विभाग छोटी मोटी चोरी पकड़ कर किसी तरह अपनी लाज बचाता है। इससे बड़ी मछलियां बच जाती हैं। 

इन बड़ी मछलियों को फंसाने और बिजली चोरी एवं लाइन लॉस रोकने के लिए ऊर्जा गिरी अभियान चलाया जाएगा। इसमें लोगों को बिजली चोरी रोकने के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही प्रेरित किया जाएगा कि वे बिजली चोरी की सूचनाएं ऊर्जा निगम, अधिकारियों को दे। इस बाबत उन्हें ईनाम भी दिया जाएगा। 

सालाना एक हजार करोड़ तक की बिजली चोरी

ऊर्जा निगम को हर साल बड़ा नुकसान लाइन लॉस की वजह से होता है। इसमें बिजली चोरी बड़ी वजह है। आंकड़ों के मुताबिक हर साल तकरीबन 15 फीसदी लाइन लॉस होता है। इससे ऊर्जा निगम को एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

रिश्वत नहीं दी तो लटका दी बिजली कनेक्शन की फाइल

ऊर्जा निगम में कुछ कर्मचारियों को रिश्वत नहीं दी तो उन्होंने कनेक्शन की फाइल लटका दी। दो माह तक कनेक्शन नहीं मिला तो मामला अधिशासी अभियंता तक पहुंचा। ईई ने उपभोक्ता का कनेक्शन लगाने के निर्देश दिए हैं।

विद्युत वितरण खंड दक्षिण के अंतर्गत बसंत विहार के पुरवा नगर निवासी ने अगस्त माह में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। जिस पर कर्मचारियों ने कमी निकाल कर कनेक्शन देने से इंकार कर दिया। कमी पूरा कर दोबारा आवेदन किया। आरोप है कि अलग-अलग कर्मचारी ने पांच सौ से दो हजार रुपये तक की रिश्वत मांगी। 

जब उसने मना कर दिया तो फाइल को लटका दी। जब डेढ़ दो माह बाद भी कनेक्शन नहीं मिला तो पीड़ित ने अधिशासी अभियंता अनिल मिश्रा से शिकायत की। इस पर मिश्रा ने संबंधित अधिकारी-कर्मी से पूछताछ की। साथ ही उन्हें निर्देश दिए कि यदि उपभोक्ता की सभी औपचारिकताएं पूरी हैं तो तत्काल कनेक्शन दिया जाए। 

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मिश्रा ने बताया कि रिश्वत के आरोपों की कोई लिखित शिकायत नहीं है। पहले निर्माण कार्य पूरा नहीं था, इसलिए कनेक्शन की फाइल रिजेक्ट कर दी थी। अब दोबारा फाइल आई है तो जांच कर कनेक्शन के निर्देश दिए गए हैं।

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