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उत्तराखंड: बोल्डर और मलबे के बीच करना पड़ा जोखिम भरा सफर

बुधवार रात हुए भूस्खलन से जौनसार-बावर क्षेत्र के दो प्रमुख मार्ग बाधित होने से क्षेत्र की सैकड़ों की आबादी का जनजीवन प्रभावित हो गया है। लोग जोखिम उठाकर प्रभावित क्षेत्र को पार कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 04:00 PM (IST)
उत्तराखंड: बोल्डर और मलबे के बीच करना पड़ा जोखिम भरा सफर
उत्तराखंड: बोल्डर और मलबे के बीच करना पड़ा जोखिम भरा सफर

विकासनगर, देहरादून[जेएनएन]: भूस्खलन से जौनसार-बावर क्षेत्र के दो प्रमुख मार्ग बाधित हो गए। जिससे क्षेत्र के सौकड़ों ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित हो गया है। उधर, कालसी-बैराटखाई मार्ग भी पांच दिन से बाधित है। तीन मार्गों के एक साथ बाधित होने के कारण जौनसार के 350 गांवों, खेड़ों व मजरों के ग्रामीण बेहाल हैं। 

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आपको बता दें कि बुधवार रात हरिपुर कोटी-मीनस मार्ग लालढांग और क्वानू के पास मलबा आने से बाधित हो गया, जबकि ककाड़ी खड्ड व जजरेड़ पहाड़ी से बोल्डर गिरने के चलते जौनसार की लाइफ लाइन कालसी-चकराता रोड पर आवागमन ठप रहा। लोनिवि व अन्य विभागों की जेसीबी दिनभर मलबा हटाने में जुटी रहीं, करीब 11 घंटे बाद कालसी-चकराता व हरिपुर-मीनस मोटर मार्ग पर यातायात सुचारू हो सका। इस दौरान वाहन सवार जान जोखिम में डालकर प्रभावित क्षेत्र को पार करते नजर आए। 

जौनसार में कालसी-चकराता, हरिपुर मीनस व कालसी-बैराटखाई मार्गों के बंद होने से करीब 350 गांवों, खेड़ों व मजरों के ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित हो गया। मार्ग बंद होने से नकदी फसलें टमाटर, सेब, धनिया, मिर्च, अदरक, गागली से लदे वाहन सड़कों पर फंसे रहे। समय पर उपज मंडी नहीं पहुंच पाई, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ा। बुधवार रात में करीब 11 बजे के करीब ककाड़ी खड्ड व जजरेड़ पहाड़ी पर मलबा आने से मुख्य कालसी-चकराता मोटर मार्ग बाधित हो गया। इसी के साथ ही हरिपुर मीनस इच्छाड़ी मोटर मार्ग भी बुधवार रात में लालढांग व क्वानू के बीच मलबा आने से करीब दस बजे बंद हो गया। 

दो प्रमुख मार्ग एक साथ बंद होने पर दोनों तरफ वाहनों की कतारें लग गई। विकासनगर या देहरादून जाने के लिए इन मार्गों के अलावा कोई मार्ग नहीं है, जिस कारण लोगों ने पूरी रात वाहनों में काटी। इसके अलावा शिक्षक व नौकरीपेशा लोग भी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सके। लोनिवि के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह ने मौके पर जेसीबी व डोजर आदि सभी मशीनों को तीनों जगह लगाया है, मार्ग करीब 11 घंटे बाद खुल पाए। 

ग्रामीणों का कहना है कि आए दिन मार्ग बाधित होने से किसानों की कमर टूट गई है, उपज समय पर मंडी न पहुंचने के कारण किसान घाटा झेल रहे हैं। साथ ही लोगों का कहना है कि मलबा आने के कारण सड़कों की हालत बेहद खराब हो गई है। कई वाहन चालक खतरा मोल लेकर प्रभावित क्षेत्र को पार कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की मदद से कई चौपहिया वाहनों को बामुश्किल पार करवाया जा रहा है। क्षेत्र के प्रमुख मार्ग बेहद खतरनाक बने हुए हैं, जबकि विभाग की ओर से मार्ग सुचारू करने के प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। पांच दिन बाद भी नहीं खुल पाया कालसी-बैराटखाई मार्ग 

लोनिवि की लचर व्यवस्था के चलते कालसी-बैराटखाई मोटर मार्ग से पांचवें दिन गुरुवार को भी पूरा मलबा नहीं हटाया जा सका, जिसके कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मार्ग बंद होने के कारण थैना के महासू चालदा मंदिर में चल रही जागड़ा पर्व की तैयारियां भी प्रभावित हो गई हैं। मंदिर समिति को पर्व का सामान लाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। पांच दिन बाद भी उपज मंडी न पहुंचने से किसानों को लाखों रुपये का घाटा हो चुका है। क्षेत्र में जनजीवन प्रभावित है। 

समिति के सीताराम चौहान, क्षेत्र पंचायत सदस्य इंदर सिंह नेगी, प्रधान शशिपाल तोमर, गुलाब भट्ट आदि का कहना है कि मार्ग न खुलने पर लोग परेशान हैं। श्रद्धालु थैना मंदिर तक नहीं जा पा रहे हैं।

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