उत्तराखंड में मौसम का कहर: दो की मौत, 16 घर ढहे
उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते सड़कें तालाब बन गई हैं। साथ ही कई मार्ग बंद पड़े हैं। सुरक्षा के लिहाज से केदारनाथ यात्रियों को यात्रा पड़ावों पर रोका गया है।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड में मानसून लगातार सितम ढा रहा है। बुधवार को देहरादून में बारिश ने दो और जानें ले लीं। इनमें एक वन गुर्जर की आसन नदी पार करते वक्त मौत हुई, जबकि कारगी क्षेत्र में खेत में भरे पानी में गिरकर दूध विक्रेता की।
इसके साथ ही 24 घंटे में दून में आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर छह हो गई है। वहीं, डॉटकाली मंदिर के नजदीक पहाड़ी पर भू-स्खलन का मलबा आने से दिल्ली-देहरादून हाईवे सात घंटे बाधित रहा। मसूरी-देहरादून मार्ग का आलम भी इससे जुदा नहीं रहा। शहर में जलभराव ने दिक्कतें बढ़ाए रखीं तो आसपास के क्षेत्रों में चार घरों व इतनी ही दुकानों को क्षति पहुंची है। कार्लीगाड और रंगडग़ांव क्षेत्रों की 20 हजार से अधिक आबादी का देहरादून से सड़क संपर्क टूट गया। स्कूलों में भी बच्चे फंसे रहे।
वहीं, भारी वर्षा के मद्देनजर केदारनाथ यात्रियों को ऐहतियातन बुधवार को गौरीकुंड में रोका गया है। गंगाजल लेने गोमुख जाने वाले कांवड़ियों को उत्तरकाशी में रोका गया है। बदरीनाथ राजमार्ग का लामबगड़ में करीब 20 मीटर हिस्सा बह गया। गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे भी बंद होते और खुलते रहे। यही नहीं, राज्यभर में नदी-नाले उफान पर हैं।
हरिद्वार में गंगा चेतावनी रेखा से ऊपर बह रही है। टिहरी झील के जल स्तर में तीन मीटर का इजाफा हुआ है। उधर, अल्मोड़ा हाईवे पर बस पर गिरे बोल्डर की चपेट में आकर चालक घायल हो गया। पिथौरागढ़ में सात और नैनीताल में पांच घर अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त हुए हैं। दूसरी ओर, राज्यभर में 172 संपर्क मार्ग बंद हो गए हैं।
मौसम के कहर से बुधवार को देहरादून सबसे अधिक प्रभावित रहा। सुबह करीब आठ बजे से छह घंटे तक वर्षा का क्रम जारी रहने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। रिस्पना, बिंदाल, आसन, बाल्दी समेत अन्य नदियों के उफान ने सांसें अटकाए रखीं।
सहस्रधारा में बाल्दी नदी ने खासा नुकसान पहुंचाया। सिल्ला गांव में कई घरों में फिर मलबा आ घुसा। प्रेमनगर क्षेत्र में चार वाहन बह गए। दिल्ली-देहरादूनहाइवे बंद रहने से सात घंटे तक यात्री परेशान रहे, जबकि मसूरी-देहरादून मार्ग पर भी मलबा आने से यातायात बाधित होता रहा। यही नहीं, शहर में सड़कों ने नालों का रूप धरे रखा तो जगह-जगह जलभराव ने मुसीबतें बढ़ाए रखीं। कुछेक स्कूलों में भी बच्चे फंसे रहे।
ऋषिकेश के गौहरी क्षेत्र में निरीक्षण के लिए गए एसडीएम भी वहां कई घंटे तक फंसे रहे। बारिश के मद्देनजर जिलाधिकारी ने गुरुवार को जिले में माध्यमिक तक के स्कूलों में छुट्टी घोषित की है। पर्वतीय जिलों में भी बारिश से जनजीवन प्रभावित रहा। टिहरी के बडियार नैलचामी में बड़े पैमाने पर खेतों में मलबा आ घुसा, जबकि कीर्तिनगर के जाखी डागर में चार परिवारों ने गांव छोड़ दिया।
केदारनाथ यात्रियों को गौरीकुंड में रोका गया है। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन के मुताबिक गुरुवार को मौसम खुलने के बाद यात्रियों को आगे जाने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
कुमाऊं में भूस्खलन से पिथौरागढ़ में सात व नैनीताल जिले में पांच घर क्षतिग्रस्त हो गए। पेयजल योजनाएं भी ध्वस्त हुई हैं। हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे पर केएमओयू की बस पर पहाड़ी से विशाल बोल्डर आ गिरा। बस में सवार 22 यात्री बाल-बाल बचे। बाजपुर में नैनीताल रोड पर दर्जन भर कालोनियां जलमग्न हो गई हैं।
कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग ब्यालधार के पास मलबा आने से बाधित है। पिथौरागढ़ में पर्वतीय क्षेत्रो के मार्गों की खराब हालत को देखते हुए प्रशासन ने रात आठ से सुबह पांच बजे तक वाहनों के संचालन पर पाबंदी लगा दी है। आपातकालीन सेवाओं को इससे मुक्त रखा गया है।
चारधाम यात्रा मार्गों की स्थिति
केदारनाथ : गौरीकुंड तक खुला
बदरीनाथ: लामबगड़ में बंद
यमुनोत्री : ओरछा व राड़ी टॉप में बंद
गंगोत्री : गंगोत्री तक खुला
मौसम पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार गुरुवार से एक हफ्ते तक मानसून की रफ्तार मंद रहने की संभावना है। हालांकि, कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होगी, लेकिन भारी अथवा बहुत भारी वर्षा की संभावना फिलहाल नहीं है।
उत्तराखंड में दरक रहे पहाड़ और सड़कें बनी तालाब, देखें तस्वीरें
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