नौकरशाहों के खास बंगलों पर ग्रहण, सरकार ने बैठाई जांच
उत्तराखंड के वरिष्ठ नौकरशाहों के लिए बनाए जा रहे खास बंगले बनने से पहले ही सवालों के घेरे में आ गए। सरकार ने घपले का संदेह होने पर इसकी जांच बैठा दी है।
देहरादून, [संतोष भट्ट, देहरादून]: सोलह करोड़ की लागत से प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाहों के लिए बनाए जा रहे 'खास बंगले' बनने से पहले ही सवालों के घेरे में आ गए। इनमें से एक बंगला तो जैसे-तैसे आबाद हो गया, लेकिन बाकी चार निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही खंडहर होने की स्थिति में पहुंच गए। सरकार ने इनके लिए और बजट देने से साफ मना कर दिया है। यही नहीं, अभी तक हुए निर्माण कार्यों में घपले का संदेह होने पर इसकी जांच बैठा दी है। लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड इंजीनियरों की कमेटी को यह जिम्मा सौंपा गया है।
पूर्ववर्ती सरकार का था प्रोजेक्ट
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गढ़ी कैंट क्षेत्र में वरिष्ठ आइएएस अफसरों के लिए अलग कालोनी बनाने का प्रोजेक्ट बनाया गया था। इसके तहत पर्यटन निदेशालय से सटी 10 एकड़ जमीन में पांच आलीशान बंगले बनाने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को दी गई। इनके लिए 15.99 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
चार साल पहले हुआ था काम शुरू
इस प्रोजेक्ट पर सितंबर 2014 में काम शुरू हुआ। तीन साल तक तो काम की रफ्तार ठीक रही, लेकिन उसके बाद मंद पड़ती गई। प्रोजेक्ट पर 13.50 करोड़ खर्च करने के बाद निर्माण एजेंसी के हाथ तंग हो गए और उसने राज्य सरकार से अवशेष धनराशि की मांग की, जो अब तक नहीं मिली। नतीजतन, पिछले साल मार्च से प्रोजेक्ट पर काम ठप है।
गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं सरकार
इन बंगलों के निर्माण कार्य की गुणवत्ता से राज्य की मौजूदा सरकार संतुष्ट नहीं है। सूत्रों के अनुसार निर्माण एजेंसी के बजट की मांग करने पर सरकार ने मौका मुआयना कराया तो इसमें उसे गुणवत्ता से लेकर डिजाइन तक की खामियां नजर आईं। गड़बड़ी की अंदेशा देख सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए अवशेष बजट रिलीज करने से इन्कार कर दिया।
पूर्व सीएस ने तैयार कराया था एक बंगला
प्रोजेक्ट के पांच बंगलों में से एक को तत्कालीन मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने अपने लिए तैयार करा लिया था। वह सेवानिवृत्त होने तक इसमें रहे भी। अब इसमें राजस्व परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य सचिव रामास्वामी रह रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस बंगले पर यूपीआरएनएन के अलावा दूसरी निर्माण एजेंसियों से भी शेष कार्य कराया गया था।
चार बंगले खंडहर बने
चार बंगले निर्माण से पहले की खंडहर होने की स्थिति में आ गए हैं। पूरा होने से पहले ही इनका अधिकांश निर्माण जर्जर हाल में पहुंच गया है। बंगलों के अंदर और बाहर घास उग आई हैं। इनके दरवाजे-खिड़कियों की चौखट सड़ने लगी हैं। बंगलों की सफेदी भी काली पड़ गई है। दरवाजे और टाइल्स भी टूट-फूट गए हैं।
यूपीआरएनएन ने बेहद घटिया निर्माण किया
अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का कहना है कि 16 करोड़ में पांच आवास बनेंगे, यह बात गले नहीं उतर रही है। इस पर भी यूपीआरएनएन ने बेहद घटिया निर्माण किया है। ऐसे में पूरे प्रकरण की जांच के लिए लोनिवि के सेवानिवृत्त इंजीनियर आरपी भट्ट के नेतृत्व में उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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