IFS संजीव चतुर्वेदी के फैसलों-सुझावों पर सरकार गंभीर, 27 दिन में लिए ताबड़तोड़ 20 फैसले
आइएफएस के तेज तर्रार अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक के तौर पर लिए गए फैसलों और दिए गए सुझावों को लेकर राज्य सरकार सक्रिय हो गई है।
देहरादून, जेएनएन। भारतीय वन सेवा के तेज तर्रार अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक के तौर पर लिए गए फैसलों और दिए गए सुझावों को लेकर राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। चतुर्वेदी ने 27 दिन के कार्बेट निदेशक के कार्यकाल में ताबड़तोड़ 20 फैसले लिए थे। वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के अनुसार कार्बेट फाउंडेशन की शासी निकाय की बैठक में इन फैसलों और सुझावों पर चर्चा कर एनटीसीए की गाइडलाइन की कसौटी पर इन्हें परखा जाएगा। कार्बेट और व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए जरूरत पडऩे पर आवश्यक संशोधन भी किए जाएंगे।
कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल के प्रशिक्षण के लिए जाने पर वन मुख्यालय ने 27 मई को वन अनुसंधान वृत्त के वन संरक्षक चतुर्वेदी को कार्बेट के निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी। वह 27 दिन तक कार्बेट के निदेशक रहे और इस दौरान उन्होंने एक के बाद एक कार्बेट के साथ ही सैलानियों व स्थानीय निवासियों के हित में फैसले लिए।
बतौर निदेशक चतुर्वेदी ने कार्बेट रिजर्व में सफारी और ठहरने के लिए वीआइपी राज की समाप्ति के आदेश किए। कार्बेट टाइगर रिजर्व के नाम पर चल रही फर्जी वेबसाइट चिह्नित कराकर इन्हें बंद करने के लिए नोटिस भेजे गए। उन्होंने कार्बेट में आने वाले पर्यटकों की दिक्कतें दूर कराने के लिए दो फ्लाइंग स्क्वॉड गठित कराए हैं। यही नहीं, अब ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले पर्यटकों को बुकिंग पर्ची में वाहन का नंबर समेत पूरा ब्योरा दिया जाएगा। एक माह में अब केवल एक ही व्यक्ति बुकिंग करा पाएगा। इसके अलावा रेलवे टिकट की भांति बुकिंग निरस्त कराने पर रिफंड का प्रावधान भी किया गया।
उन्होंने कार्बेट के ढिकाला पर्यटक जोन में रात्रि विश्राम बंद करने, कार्बेट के खुलने व बंद होने के समय में बदलाव करने, रामगंगा बांध के जलाशय में नौकायन शुरू कराने, आमडंडा-छोटा पनौद को पर्यटक जोन के रूप में खोलने, कार्बेट में पर्यटन से होने वाली संपूर्ण आय को संरक्षण और स्थानीय लोगों के हित में खर्च करने, होटल-रिजॉट्र्स से ईको विकास सेस की वसूली समेत अन्य कई अहम प्रस्ताव भी दिए हैं। कार्बेट में बाघ व हाथियों के मध्य छिड़ी जंग को लेकर कराए गए अध्ययन में तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई थी।
इन फैसलों व सुझावों के बाद यह सवाल फिजां में तैर रहा है कि इनका क्रियान्वयन हो पाएगा अथवा नहीं। या फिर ये रस्मी होकर रह जाएंगे। हालांकि, सरकार इन फैसलों व सुझावों को लेकर गंभीर है। वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत कहते हैं कि कार्बेट फाउंडेशन की शासी निकाय की बैठक में इन फैसलों व सुझावों पर गहनता से मंथन किया जाएगा।
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