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शासन ने एससी-एसटी कार्मिक संघ को मान्यता देने से किया इन्कार

सचिवालय संघ के बीस सदस्यों द्वारा बीते अक्टूबर महीने में गठित उत्तराखंड सचिवालय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कार्मिक संघ को शासन ने मान्यता देने से इन्कार कर दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 09:04 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 09:04 AM (IST)
शासन ने एससी-एसटी कार्मिक संघ को मान्यता देने से किया इन्कार

देहरादून, जेएनएन। सचिवालय संघ के बीस सदस्यों द्वारा बीते अक्टूबर महीने में गठित उत्तराखंड सचिवालय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कार्मिक संघ को शासन ने मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। कार्मिक संघ की ओर से अक्टूबर में ही मान्यता के लिए सचिवालय प्रशासन को पत्र लिखा गया था। 

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बिना आरक्षण पदोन्नति को लेकर जनरल-ओबीसी और एससी-एसटी कर्मचारियों के बीच महीनों से खींचतान चल रही है। बीते अक्टूबर महीने में सचिवालय संघ के एससी-एसटी कर्मचारियों ने उत्तराखंड सचिवालय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कार्मिक संघ नाम से अलग संगठन बना लिया। इस बीच आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला था। चार फरवरी को कार्मिक संघ सचिवालय संघ पर एससी-एसटी कार्मिकों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए संघ से त्याग-पत्र देने की पेशकश कर दी। सचिवालय संघ ने इस पर आपत्ति की और एससी-एसटी कार्मिक संघ बनाने वाले बीस कार्मिकों को नोटिस जारी कर दिया। 

नोटिस के जवाब में एससी-एसटी कार्मिक संघ के पदाधिकारियों ने उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह सचिवालय संघ के अध्यक्ष होते हुए जनरल-ओबीसी संगठन की अगुवाई कर रहे हैं। ऐसे में वह सचिवालय संघ से तत्काल इस्तीफा दें। वहीं, अब अपर सचिव प्रताप सिंह शाह का छह फरवरी को जारी वह पत्र सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि एससी-एसटी कार्मिक संघ को उत्तर प्रदेश सेवा संघों को मान्यता नियमावली 1979 के प्रावधानों को देखते हुए मान्यता नहीं दी जा सकती है।

सोसायटी एक्ट में है पंजीकरण

उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने बताया कि इस संगठन का पंजीकरण सोसायटी एक्ट में कराया गया है। जाति के आधार पर कर्मचारियों के संगठन नहीं बनाए जा सकते हैं। जहां तक सचिवालय संघ की बात है तो उसमें सभी वर्गों के अधिकारी-कर्मचारी सदस्य हैं। जहां बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल करने की लड़ाई का सवाल है तो यह जनरल-ओबीसी एसोसिएशन के बैनर तले लड़ी जा रही है।

सचिवालय संघ से निष्कासन को कार्यकारिणी की सहमति

उत्तराखंड सचिवालय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कार्मिक संघ का गठन करने वाले बीस सदस्यों के सचिवालय संघ से निष्कासन को कार्यकारिणी ने सहमति दे दी है। अब यह मामला आमसभा के समक्ष रखा जाएगा। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि आमसभा बीस फरवरी को होने वाली महारैली के बाद बुलाई जाएगी। 

बता दें, पदोन्नति में आरक्षण को लेकर कर्मचारियों में चल रही खींचतान के बीच गत दिनों सचिवालय में एससी-एसटी कार्मिक संघ बनाने वाले सचिवालय संघ के बीस सदस्यों की सदस्यता को लेकर कार्यकारिणी की सोमवार को बैठक हुई। बैठक में अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि कुछ सदस्यों ने सचिवालय संघ की एकता व अखंडता को विखंडित करने, संघ की छवि धूमिल करने का काम किया है। संघ के प्रति प्रतिकूल कार्य करने का भी दोषी पाया गया है। ऐसे बीस सदस्यों को सचिवालय संघ के संविधान के प्रस्तर 15 में निहित प्रावधानों के अधीन संघ की सदस्यता से निष्कासित करने का प्रस्ताव कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति के पास कर दिया है। अब जल्द ही आमसभा बुलाकर प्रकरण को उसमें रखा जाएगा। वहीं, दीपक जोशी ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनकी ओर से सचिवालय संघ के पैड का इस्तेमाल कभी भी उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के लिए नहीं किया गया है। 

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इनकी सदस्यता खत्म होना तय

वीरेंद्र पाल सिंह, कमल कुमार, दिनेश बड़वाल, चंद्र बहादुर, आनंद कुमार, प्रमिला टम्टा, राहुल गोर्धने, हुकुम सिंह, प्रमोद कुमार, प्रदीप आगरी, प्रेम सिंह राणा, प्रदीप कुमार, विजय पाल सिंह, सुशील कुमार, विपिन कुमार, जमुना आर्य, शशिकांत, अरविंद कुमार, जोगेंद्र सिंह, नीता जयराज।

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