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    घुघुती महोत्सव में दिखी पहाड़ी संस्कृति की झलक Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 12 Jan 2020 06:59 AM (IST)

    प्राउड पहाड़ी संस्था की ओर से तृतीय घुघुती महोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर कलाकारों ने नंदा राजजात यात्रा समेत कई आकर्षक प्रस्तुतियों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

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    घुघुती महोत्सव में दिखी पहाड़ी संस्कृति की झलक Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। प्राउड पहाड़ी संस्था की ओर से तृतीय घुघुती महोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर कलाकारों ने नंदा राजजात यात्रा समेत कई आकर्षक प्रस्तुतियों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

    परेड ग्राउंड में आयोजित महोत्सव की शुरुआत सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुई। समारोह में पहाड़ी संस्कृति से जुड़ी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कलाकारों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी और खूब तालियां बटोरी। 

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    इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले नौ पहाड़ी युवाओं को संस्था की ओर से सम्मानित भी किया गया। सम्मानित होने वालों में सौरभ मैठाणी लोक गायक, नरेश नोटियाल गढ़वाली खाद्य प्रमोटर, मीनाक्षी खाती ऐपन गर्ल, योगेश पेंटिंग आर्टिस्ट, भास्कर भोरियाल पेंटिंग आर्टिस्ट, सोनी बिष्ट ग्रीन पहाड़ी फूड, मोहित डिमरी युवा लेखक, भगवान धामी कॅरियर काउंसलिंग व शकुंतला रमोला लोक गायिकी, शामिल रहे। 

    कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि पहाड़ के नौजवानों को आज अगर प्राउड पहाड़ी कहलाना है तो उनको सबसे पहले पहाड़ में फैल रहे नशे के खिलाफ संघर्ष छेड़कर पहाड़ को नशा मुक्त बनाना होगा। आज पूरे पहाड़ में नशा महामारी की तरह फैल चुका है और खाली होते पहाड़ों में बचे युवा आज नशे की गिरफ्त में आ कर बर्बाद हो रहे हैं जो बहुत चिंता का विषय है।

    धस्माना ने कहा कि प्राउड पहाड़ी जैसी युवाओं की संस्थाओं को अपनी संस्कृति साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ अपने पहाड़ के ज्वलंत मुद्दों पर भी काम करने की आवश्यकता है। इस मौके पर प्राउड पहाड़ी सोसायटी के सदस्य राजेश भट्ट, बाला नेगी आदि ने सूर्यकांत धस्माना को संस्था की ओर से स्मृति चिह्न भेंट किया।

    साहित्य समारोह में कलाकारों का किया सम्मान

    विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर ओएनजीसी की ओर से साहित्य सम्मान समारोह और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान कलाकार, साहित्यकार और कथाकारों को सम्मानित किया गया।

    ग्रीन हिल्स प्रांगण में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि ओएनजीसी की कार्यकारी निदेशक प्रीता पंत व्यास ने शिकरत की। उन्होंने हिंदी क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों  की जानकारी दी। इसके बाद साहित्यकार डॉ. विद्या सिंह, कथाकार कुसुम भट्ट, साहित्यकार राम प्रताप मिश्र, कवयित्री डॉ. बसंती मठपाल के अलावा कलाकार बाल कृष्ण धस्माना, गिरीश चंद्र, रोहित, गीता धामी, अलका, आशा नेगी को सम्मानित किया गया। 

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    इस मौके पर गीतकार राम प्रताप मिश्र ने अपनी रचना लहरों की करुण कथा सुनकर, अधरों की मौन व्यथा सुनकर, शायद गूंगा मन बोल पड़े सुनाई। विशिष्ठ अतिथि डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने विश्व हिंदी दिवस की सार्थकता और इसके प्रभावकारी पक्ष के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि हिंदी में प्रवासी भारतीयों का विशेष योगदान रहा है।

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