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दून के साथ ही उत्तराखंड के चार शहरों में भवनों की जीआइएस मैपिंग शुरू, एक क्लिक में मिलेगी ये जानकारी

हैदराबाद और शिमला जैसे मेट्रो शहरों की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चार शहर में भवनों की जीआइएस यानी जियोग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम मैपिंग शुरू कर दी है। इनमें देहरादून हरिद्वार काशीपुर और हल्द्वानी भी शामिल हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 01:27 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 01:27 PM (IST)
दून के साथ ही उत्तराखंड के चार शहरों में भवनों की जीआइएस मैपिंग शुरू, एक क्लिक में मिलेगी ये जानकारी
दून के साथ ही उत्तराखंड के चार शहरों में भवनों की जीआइएस मैपिंग शुरू।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। शहरी निकाय में भवनों की स्थिति क्या है और उनसे कितना हाउस टैक्स मिल रहा है, अब इसकी सटीक स्थिति सरकार को जल्द मिल जाएगी। हैदराबाद और शिमला जैसे मेट्रो शहरों की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चार शहर में भवनों की जीआइएस यानी जियोग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम मैपिंग शुरू कर दी है। इनमें देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर और हल्द्वानी शामिल हैं। जीआइएस मैपिंग के जरिये न सिर्फ भवनों की लोकेशन का पता एक क्लिक पर लग सकेगा बल्कि यह पता लगाना भी आसान हो जाएगा कि कहां पर अवैध निर्माण हुआ है और कहां नियमों का उल्लंघन हो रहा। हाउस टैक्स न देने वालों की भी खैर नहीं होगी। देहरादून में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत कौलागढ़ वार्ड से की गई है।

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शहरी विकास निदेशालय के मुताबिक जीआइएस मैपिंग से हर भवन के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी। भवन का स्वरूप कैसा है, कितना निर्माण हुआ और कितना खाली है, यह सब पता लगेगा। इस योजना की खासियत यह भी है कि इसमें सरकारी भूमि पर होने वाले कब्जों का पता भी लग सकेगा। साथ ही अवैध निर्माण कराने वाले भवन स्वामियों को भी चिह्नित किये जाने में मदद मिलेगी। इसके लिए एक कंपनी से करीब 12 करोड़ रुपये में करार किया गया है। अगर चार शहरों में प्रोजेक्ट सफल रहा तो पूरे इसे सूबे में इसे लागू किया जाने का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।

इसके बाद इन सेवा की मोबाइल ऐप भी तैयार की जा रही है। इसमें प्रारंभिक चरण में प्रापर्टी टैक्स का सटीक आंकलन, भवनों की लोकेशन समेत आमजन को आनलाइन शिकायत दर्ज करने को लिंक उपलब्ध कराना शामिल है। इसके साथ ही विभागीय रिपोर्टिंग सिस्टम और डाटा को आनलाइन अपडेट रखना भी योजना में शामिल रहेगा। शहर के महत्वपूर्ण भवनों व कार्यालय की जानकारी इस मोबाइल एप के जरिए मिल सकेगी।

देहरादून नगर निगम के भवन कर अनुभाग अधीक्षक धर्मेश पैन्यूली ने बताया कि दून के सभी सौ वार्डो में सर्वे होगा। सर्वे टीम को नगर निगम की ओर से पहचान पत्र जारी किए गए हैं, जिससे किसी को परेशानी न आए। इसके साथ ही मुनादी भी कराई जा रही। टीम अपने मोबाइल एप पर भवन की फोटो अपलोड करने के साथ ही हाउस टैक्स की पुरानी रसीद समेत पानी व बिजली के बिल भी अपलोड कर रही।

असेसमेंट छुपाने वालों की खैर नहीं

जीआइएस मैपिंग से नगर निगम, पालिका या नगर पंचायतों को उन भवनों का पता तो चलेगा, जहां से हाउस टैक्स नहीं मिल रहा है, साथ ही उनका भी पता चलेगा, जो लोग सेल्फ असेसमेंट में घपला कर हाउस टैक्स की चोरी करते हैं। दरअसल, कईं लोग ऐसे हैं भवन के असेसमेंट में तथ्य छुपा लेते हैं।

यह लोग भवन के बहुमंजिल होने व ज्यादा निर्माण की जानकारी नहीं देते, लेकिन अब यह सबकुछ पकड़ में आ जाएगा। इतना ही नहीं जिन आवासीय भवनों में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रहीं, उनका हाउस टैक्स दोनों श्रेणी में अलग-अलग निर्धारित किया जाएगा। असेसमेंट में घपला करने व टैक्सी चोरी करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

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