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अपने लाजवाब स्वाद से पूरे भारत में मशहूर है घेवर

घेवर सावन मास की विशेष मिठाई है। राजस्थान की यह विशेष मिठाई अपने लाजवाब स्वाद की वजह से पूरे भारत में मशहूर है ।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 12:35 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 07:46 AM (IST)
अपने लाजवाब स्वाद से पूरे भारत में मशहूर है घेवर

देहरादून, [जेएनएन]: सावन का मौसम हो और घेवर की मिठास न घुले तो फिर बात ही क्या। घेवर सावन मास की विशेष मिठाई है। राजस्थान की यह विशेष मिठाई अपने लाजवाब स्वाद की वजह से पूरे भारत में मशहूर है और अब लगभग सभी जगह बनने लगी है। घेवर की सबसे अधिक डिमांड सावन में ही रहती है। 

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बाजार की मांग पूरी करने के लिए हलवाई कई दिन पहले से काम शुरू कर दते हैं। हालांकि इस मिठाई का स्वाद रक्षाबंधन के समय भी खाने को मिलेगा, मगर सावन सबसे ज्यादा खास माना जाता है। आज आपको बताते हैं घेवर की खास रेसिपी। घेवर को बनाने के लिए स्पेशल कढ़ाई प्रयोग में लाई जाती है। जिसका तला एक समतल होता है।

इसकी गहराई 12 इंच और चौड़ाई पांच से छह इंच होती है। इस कढ़ाई में छह इंच ऊंचे बेलन के आकार के गोले डाले जाते हैं। घी से भरी कढ़ाई में ये गोले पड़े रहते हैं और इन्हीं गोलों में घोल डालकर घेवर तला जाता है। घेवर बनाने के लिए मैदा, घी, दूध, पानी, चीनी का इस्तेमाल होता है। यह मिठाई दिखने में ऐसी लगती है कि लोग एक पल के लिए सोचते हैं, इसकी रेसिपी बहुत जटिल होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। हल्द्वानी बाजार में भी मौसम की सावनी अंगड़ाई के बीच घेवर की खुशबू बिखरने लगी है। हालांकि हल्द्वानी में ये मिठाई कुछ ही दुकानों पर बनाई जाती है, लेकिन इंतजार सबको रहता है।

घर पर घेवर बनाने की विधि आसान है। सबसे पहले मैदा छानकर किसी बर्तन में निकाल लीजिए। घी को किसी बड़े बर्तन में डालने के बाद बर्फ के साथ हाथों से फेंटना पड़ता है। जब तक घी क्रीम की तरह न हो जाए, तब तक इसे फेंटने की जरूरत है। फिर इसमें मैदा डाला जाता है। गाढ़ा होने पर दूध मिलाइए और फिर थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर खूब फेंटिए।

हल्द्वानी के घेवर कारीगर बताते हैं कि यह प्रक्रिया चार या पांच बार करनी है। मैदा को इस तरह फेंटना है कि कोई भी गुठली घोल में न रह जाए और यह घोल एकदम चिकना हो जाए। घेवर बनाने के लिए घोल तैयार हो तो कढ़ाई में आधे से कम ऊंचाई तक घी भरिए। उसके बाद मैदे का घोल कढ़ाई में मिलाइए और फिर तैयार कीजिए लजीज घेवर।

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