नए प्रभारी के पहले दौरे में एक सुर रहे दिग्गज
2022 में सत्ता में वापसी का मजबूत इरादा कहें या भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत का डर प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गजों में आम सहमति बनने लगी है। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने अपने तीन दिनी दौरे में पार्टी की कमजोर नब्ज पर हाथ ही नहीं रखा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। 2022 में सत्ता में वापसी का मजबूत इरादा कहें या भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत का डर, प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गजों में आम सहमति बनने लगी है। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने अपने तीन दिनी दौरे में पार्टी की कमजोर नब्ज पर हाथ ही नहीं रखा, बल्कि कद्दावर नेताओं से लेकर प्रदेश संगठन को चेतावनी के अंदाज में एकजुटता का नुस्खा थमा दिया है। इसे यादव के पहले दौरे की कामयाबी कहा जा सकता है कि अलग-अलग तने रहने वाले पार्टी के सूरमा एक साथ कदम बढ़ाने का दम भर रहे हैं।
प्रदेश की सत्ता में दो बार काबिज रह चुकी कांग्रेस के लिए चौथी विधानसभा के चुनाव बड़ा झटका देने वाले साबित हुए हैं। धुर विरोधी भाजपा को मिले भारी बहुमत ने पार्टी और संगठन के मनोबल पर बुरा असर डाला है। पिछले साढ़े तीन साल से पार्टी अपनी मजबूत जड़ों को खोजने में जुटी तो है, लेकिन रह-रहकर हावी होने वाले अंतर्विरोधों को पाटने में कामयाबी नहीं मिली। अगले विधानसभा चुनाव से तकरीबन डेढ़ साल पहले प्रदेश के नए प्रभारी बनाए गए देवेंद्र यादव ने अपने पहले उत्तराखंड दौरे के लिए वक्त तो लिया, लेकिन आने के बाद मिशन 2022 को लेकर नेताओं से ज्यादा भरोसा कार्यकर्त्ताओं पर जताया है, उसे पार्टी नेतृत्व की बदली रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
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प्रदेश के दिग्गज नेताओं के साथ प्रभारी की पहली बैठक में अंतर्विरोधों को दूर करने के प्रयास किए गए। इस बैठक को बाद में दोनों मंडलों के जिलाध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों समेत क्षेत्रीय विधायकों व पूर्व विधायकों की मौजूदगी में जिलेवार हुईं बैठकों से जोड़कर देखा जा सकता है। बाद में होने वाली बैठकों में मनमुटाव, दिलों में दूरियां जाहिर हुईं, लेकिन उनके सुरों में तल्खी काफी हद तक कम रही। पार्टी की अंदरूनी कमजोरी को दूर करने की नए प्रभारी की शुरुआती रणनीति फिलहाल कामयाब मानी जा रही है। हालांकि यह रणनीति आगे कितना कारगर रहती है, यह आने वाले समय में जाहिर हो जाएगा।