धार्मिक यात्रा में पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश, बांटे ढाई हजार पौधे
धर्मपुर चौक स्थित प्राचीन श्री शिव मंदिर के वार्षिकोत्सव पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान पर्यावरण का संदेश देते हुए करीब 2500 पौधे भी वितरित किए गए।
देहरादून, [जेएनएन]: धर्मपुर चौक स्थित प्राचीन श्री शिव मंदिर के वार्षिकोत्सव पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गई। इस मौके पर ढोल-दमाऊ और बैंड-बाजों की धुन के आकर्षण के बीच नंदा राजजात का सुंदर दृश्य दिखाया गया। इसी के साथ पर्यावरण का संदेश देते हुए करीब 2500 पौधे भी वितरित किए गए। श्रद्धालुओं ने पौधे लगाकर प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया।
तेज बारिश के बीच भी श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। बुधवार को प्राचीन श्री शिव मंदिर से शोभायात्रा का शुभारंभ टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत भरत गिरी महाराज और कृष्ण गिरी महाराज ने किया। शोभायात्रा की अगुआई कलश सिर पर धारण कर 208 महिलाओं ने की। दुर्गा वाहिनी की सदस्य मोटरसाइकिल पर सवार होकर चल रहीं थीं। मंदिर की ध्वज पताका लहराते हुए घुड़सवार चल रहे थे। उसके पीछे बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद मंदिर समिति के कार्यकर्ता भगवा ध्वज लहराते हुए जय श्रीराम के नारे लगाते हुए चल रहे थे।
गुजराती परिवेश में महिलाओं ने सुंदर डाडिया नृत्य पेश किया। यात्रा आराघर से होते हुए नेहरू कॉलोनी, फव्वारा चौक होकर एलआइसी बिल्डिंग से होते हुए मंदिर परिसर में संपन्न हुई। यात्रा का जगह-जगह फूलों की वर्षा से स्वागत किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं की ओर से स्टॉल लगाकर जलपान वितरण किया गया। वहीं नमामि गंगे की टीम की ओर से स्वच्छता अभियान चलाया गया।
कार्यक्रम संयोजक सीताराम भट्ट ने बताया कि गुरुवार से मंदिर में सात दिवसीय कथा श्रीमद्भागवत शुरू होगी, जो आचार्य नत्थू प्रसाद उनियाल के मुखारविंद से सुनाई जाएगी। छह सितंबर को भंडारे का आयोजन होगा। शोभायात्रा में चौधरी भगवानदास, विकास ठाकुर, नीरज, सोनू जायसवाल आदि शामिल रहे।
झांकी में दिया सामाजिक संदेश शोभायात्रा में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, नशा उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण, देश प्रेम का संदेश दिया गया। मथुरा, वृंदावन, हरिद्वार के कलाकारों ने गणेश महाराज की झाकी, राम दरबार, महाभारत का युद्ध, जामवंत-हनुमान, वानर सेना का दृश्य, राधा-कृष्ण, शिव-बरात, देवी द्वारा महिषासुर संहार आदि झांकियों की प्रस्तुति दी। शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से भारत माता की झाकी निकाली गई।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध, इस्तेमाल पर होगी कार्रवार्इ
यह भी पढ़ें: अब पर्यावरणीय सेवाओं की कीमत के लिए अड़ेगा उत्तराखंड