निरस्त हो सकता है कूड़ा उठान का टेंडर, मैसर्स सनलाइट पर कार्रवाई की तैयारी
फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र इस्तेमाल कर शहर के 15 वार्डों का कूड़ा उठान का टेंडर लेने के मामले में मैसर्स सनलाइट पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। निगम अधिकारियों की मानें तो मैसर्स सनलाइट को दिए टेंडर को निरस्त कर यह जिम्मेदारी दूसरी कंपनी को दी जा सकती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र इस्तेमाल कर शहर के 15 वार्डों का कूड़ा उठान का टेंडर लेने के मामले में मैसर्स सनलाइट पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। निगम अधिकारियों की मानें तो मैसर्स सनलाइट को दिए टेंडर को निरस्त कर यह जिम्मेदारी दूसरी कंपनी को दी जा सकती है। महापौर सुनील उनियाल गामा ने फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने समेत टेंडर प्रकरण की जांच मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी को देकर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है।
नगर निगम में कूड़ा उठान के टेंडर को लेकर हुए फर्जीवाड़े का मामला शासन तक पहुंच गया है। शहरी विकास निदेशालय ने मामले में नगर निगम से इसकी रिपोर्ट तलब की है। वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके सिंह की भूमिका मामले में पूरी तरह संदिग्ध मानी जा रही। दरअसल, डा. सिंह की ओर से मैसर्स सनलाइट को नगर निगम देहरादून के लिए जनवरी-2015 से मौजूदा समय तक के लिए कूड़ा उठान के कार्य का अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया गया है और इसी प्रमाण पत्र पर मैसर्स सनलाइट को 15 नए वार्डों में कूड़ा उठान का टेंडर दिया गया है।
आरोप है कि अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी है। दरअसल, निगम ने टेंडर के लिए पांच साल का कूड़ा उठान कार्य अनुभव होने की शर्त रखी थी। आरोप लग रहे हैं कि मैसर्स सनलाइट से सांठगांठ कर प्रमाण पत्र बनाया गया। जिस समय के लिए मैसर्स सनलाइट को अनुभव प्रमाण पत्र दिया गया, शहर में उस समय मैसर्स भार्गव फैसिलिटी कंपनी कूड़ा उठान का काम कर रही थी।
दिसंबर 2017 में सहस्रधारा ट्रेंचिंग ग्राउंड में कूड़ा डंप करना जब बंद हुआ, उस वक्त मैसर्स सनलाइट के ट्रक एवं ट्रैक्टर को किराए पर लगाया गया था। इनका काम शहर से कूड़ा लेकर शीशमबाड़ा प्लांट तक छोडऩा था, न कि कूड़ा उठान करना। ऐसे में सनलाइट को कूड़ा उठान के कार्य का अनुभव प्रमाण पत्र देने के पीछे बड़ी साजिश बताई जा रही है। ऐसे में फिलहाल मामला दबाने की कोशिश की जा रही और इसमें सबसे पहले मैसर्स सनलाइट को दी कूड़ा उठान की जिम्मेदारी छीनी जा सकती है।
सिर्फ परिवहन का मिल सकता है अनुभव प्रमाण पत्र
नगर निगम अधिकारियों की मानें तो मैसर्स सनलाइट को केवल कूड़ा परिवहन के लिए अनुभव प्रमाण पत्र मिल सकता है, वो भी दिसंबर-2017 से। जनवरी-2015 से उसके वाहनों का प्रयोग किया ही नहीं गया। कंपनी के वाहन किराए पर लिए गए थे, न कि उसे कूड़ा उठान करने का टेंडर दिया गया था।
जांच अधिकारी पर उठ रहे सवाल
स्वास्थ्य अनुभाग में घपला और स्वास्थ्य अधिकारी को ही जांच देने पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, इसकी जांच मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी करेंगे जबकि फर्जीवाड़ा भी उन्हीं के अनुभाग का है। उन्हीं के समकक्ष वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके सिंह पर लगे आरोपों और टेंडर में हुए फर्जीवाड़े की जांच में डा. जोशी प्रकरण का सच बाहर ला पाएंगे, इस पर संशय बना हुआ है।
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