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उत्तराखंड सरकार को ज्यादा कर्ज के लिए इन चार सुधारों को लागू करने की चुनौती, जानिए

प्रदेश के लिए कर्ज लेने की सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का तीन फीसद से बढ़ाकर पांच फीसद भले ही कर दी गई लेकिन इस सुविधा का लाभ लेने में सरकार के दम फूलना तय है।

By Edited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 02:58 PM (IST)
उत्तराखंड सरकार को ज्यादा कर्ज के लिए इन चार सुधारों को लागू करने की चुनौती, जानिए
उत्तराखंड सरकार को ज्यादा कर्ज के लिए इन चार सुधारों को लागू करने की चुनौती, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के लिए कर्ज लेने की सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का तीन फीसद से बढ़ाकर पांच फीसद भले ही कर दी गई, लेकिन इस सुविधा का लाभ लेने में सरकार के दम फूलना तय है। दो फीसद ज्यादा कर्ज का पूरा फायदा तब ही मिलेगा, जब राज्य सरकार चार या चार में से तीन सुधारों को लागू करेगी। इन सुधारों को लागू करना ही बड़ी चुनौती है। 

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प्रदेश में उत्तराखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम संशोधन अध्यादेश पर राजभवन की मुहर लग चुकी है। इसका नोटिफिकेशन लागू होते ही राज्य दो फीसद कर्ज ज्यादा लेने का पात्र हो जाएगा। कोरोना संकटकाल में सालाना राजकोषीय घाटे की सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद के तीन फीसद से बढ़ाकर पांच फीसद किया गया है। इस घाटे में हुई इस वृद्धि में 0.50 फीसद ही शर्त रहित है। शेष 1.50 फीसद वृद्धि पाने के लिए राज्य सरकार को चार सुधार करने होंगे। चार में से तीन सुधार करने अनिवार्य हैं। 
वन नेशन वन राशनकार्ड प्रणाली के क्रियान्वयन पर 0.25 फीसद, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधार पर 0.25 फीसद, शहरी स्थानीय निकायों में सुधार पर 0.25 फीसद और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार पर 0.25 फीसद वृद्धि का लाभ मिलेगा। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि संबंधित विभागों को सुधारों पर तेजी से काम करने के निर्देश हैं।
1700 दुकानों में बायोमेट्रिक नहीं
वन नेशन वन कार्ड प्रणाली को राज्य सरकार बीती एक जुलाई से लागू कर चुकी है। राज्य में कुल 9225 सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों (एफपीएस) में से अभी 7500 में ही बायोमेट्रिक मशीन लगी है। साथ ही 13.40 लाख राशनकार्ड धारकों के तहत 61.94 लाख यूनिट या व्यक्तियों की आधार सीडिंग अनिवार्य है। अभी यह काम पूरा नहीं हुआ है।
सिंगल विंडो दूर की कौड़ी
इसी तरह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी राज्य का प्रदर्शन बीते वर्षों में सुधरा है, लेकिन देश में राज्य की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। बावजूद इसके अभी तक उद्योगों को हरी झंडी दिखाने को जरूरी सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने में कई अड़चनें बनी हुई हैं। इसीतरह शहरी स्थानीय निकायों में संपत्ति कर को लेकर सुधार करने होंगे। वर्तमान में संपत्ति कर के साथ ही जल और सीवरेज के कर में विसंगतियां हैं। इन विसंगतियों को दूर करने के बाद ही 0.25 फीसद कर्ज की पात्रता राज्य को मिल सकेगी।
लाइन लॉस कम करने की चुनौती
ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार की कवायद चल रही है, लेकिन बिजली की चोरी और लाइन लॉस रोकने की चुनौती सरकार के सामने है। साथ में बिजली उत्पादन लागत और बिक्री में सामंजस्य स्थापित करने की चुनौती है, जिससे ऊर्जा के निगमों की सब्सिडी पर निर्भरता कम हो सके।

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