नहीं रहे पूर्व विधायक रंजीत सिंह वर्मा, जनता के हितों को लेकर हमेशा रहे संघर्षरत
जौलीग्रांट हॉस्पिटल में इलाज के दौरान पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा का निधन हो गया। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
डोईवाला, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के दौरान मसूरी विधानसभा सीट से विधायक रहे राज्य आंदोलनकारी रंजीत सिंह वर्मा का सोमवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। कुशल राजनीतिज्ञ और जन नेता के निधन से राज्य आंदोलनकारियों, राजनेताओं, किसानों और उनको जानने वाले हर वर्ग में शोक की लहर है। मंगलवार को राजेंद्रनगर स्थित निवास से उनकी अंतिम यात्रा लक्खीबाग श्मशान घाट के लिए निकलेगी।
मसूरी गोलीकांड की 25वीं बरसी पर राज्य आंदोलनकारियों को पूर्व विधायक रंजीत सिंह वर्मा के निधन की खबर मिली। वर्मा उत्तर प्रदेश के समय में मसूरी विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे। पहली बार वह जनता पार्टी से विधायक चुने गए। जनता पार्टी का वजूद खत्म हुआ तो वह 1989 में निर्दलीय विधायक बने। उस समय मसूरी विधानसभा देहरादून शहर से लेकर रायपुर, थानो, कैंट तक फैली थी।
विधायक रहते हुए वह हमेशा जनता के हितों को लेकर संघर्षरत रहे। इसके अलावा किसानों, मजदूरों और व्यापारियों के भी वह लोकप्रिय नेता थे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के लिए गठित संयुक्त संघर्ष समिति के वह अध्यक्ष रहे। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। जौलीग्रांट स्थित हिमालयन अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। जहां सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। पूर्व विधायक अपने पीछे पत्नी निर्मला देवी, दो बेटे अजय, अरुण और तीन बेटियों का भरापूरा परिवार छोड़ गए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत अन्य ने उनके निधन पर शोक जताया।
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रंजीत सिंह वर्मा एक सिद्धांतवादी राजनीतिज्ञ थे
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने पूर्व विधायक और उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख नेता रणजीत सिंह वर्मा के निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कांग्रेस कमेटी की ओर से उनके निवास स्थान राजेंद्र नगर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। धस्माना ने कहा, वर्मा को एक सिद्धांतवादी राजनेता और स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा का निष्ठावान अनुयायी बताया। उन्होंने कहा कि अपने लंबे राजनैतिक जीवन में वर्मा ने कभी सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया और पूरा जीवन सादगी और ईमानदारी से जिया। उन्होंने राजनैतिक मतभेद होने पर भी कभी निजी जीवन में मन में वैमनस्य नहीं रखा।
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