Move to Jagran APP

देशभर के जंगलों ने दो साल में इतना जहर सोख कर दी प्राणवायु

देश के वनों ने दो साल की अवधि में वातावरण से 3.8 करोड़ टन कार्बन सोखकर खुद में समेट लिया है। यह क्षमता भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग की ताजा रिपोर्ट में उजागर हुई है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 10:37 AM (IST)Updated: Fri, 16 Feb 2018 11:40 AM (IST)
देशभर के जंगलों ने दो साल में इतना जहर सोख कर दी प्राणवायु
देशभर के जंगलों ने दो साल में इतना जहर सोख कर दी प्राणवायु

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: देश के वनों ने दो साल की अवधि में वातावरण से 38 मिलियन टन (3.8 करोड़ टन) कार्बन सोखकर खुद में समेट लिया है। वर्ष 2015 से 2017 की अवधि में वनों की कार्बन समेटने की दर 19 मिलियन टन प्रति वर्ष रही। अब देश के वनों की कुल कार्बन को स्टॉक करने की क्षमता 7044 से बढ़कर 7082 मिलियन टन हो गई है। वनों के कार्बन स्टॉक की यह क्षमता भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग (एफएसआइ) की जारी हुई ताजा रिपोर्ट में उजागर हुई है।  

loksabha election banner

एफएसआइ की रिपोर्ट के अनुसार दो सालों में सबसे अधिक कार्बन स्टॉक धरती के ऊपर पेड़-पौधों में मौजूद है और इसके बढ़ने की दर 09 मिलियन टन प्रति वर्ष रही। इसके बाद सबसे अधिक कार्बन जमीन के भीतर मिट्टी में दफन है। धरती के भीतर करीब 30 मीटर की गहराई में किए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई कि यहां कार्बन स्टॉक बढऩे की दर सालाना 05 मिलियन टन रही। 

इसके अलावा जंगल में पेड़ों की जड़ों समेत सूखकर गिर चुके पेड़ों, लकडिय़ों, जमीन पर पड़ी घासफूस आदि के रूप में दो साल में 10 मिलियन टन कार्बन का स्टॉक हुआ। इससे पता चलता है कि वनों में पेड़-पौधों से लेकर जमीन में गिरे पेड़ों, लकडिय़ों के साथ ही जमीन के भीतर भी न सिर्फ कार्बन जमा है, बल्कि वनों के संवर्धन के साथ उनकी कार्बन स्टॉक क्षमता भी बढ़ रही है।

वनों में कार्बन स्टॉक (मिलियन टन में)

वर्ग------------------वर्ष 2015-----वर्ष 2017------बढ़ोतरी

जमीन के ऊपर-------2220----------2238----------18

जड़ों आदि में-----------695------------699-----------04

मृत पेड़ आदि------------29--------------30-----------01

घास-फूस आदि---------131-------------136----------05

मिट्टी में दफ्न----------3969-----------3979--------10

कुल स्टॉक-------------7044------------7082---------38

कार्बन स्टॉक में टॉप राज्य कार्बन मिलियन टन में व क्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर में)

राज्य---------------------वन क्षेत्र-----------स्टॉक

अरुणाचल प्रदेश----------66964---------994.53

मध्य प्रदेश----------------77414---------695.66

छत्तीसगढ़-----------------55547---------560.98

महाराष्ट्र-------------------50682---------493.02

कर्नाटक-------------------37550---------475.08

ओड़ीसा--------------------51345---------452.90

उत्तराखंड-----------------24295----------284.66

जम्मू एंड कश्मीर-------23241-----------275.92

आंध्र प्रदेश---------------28147-----------262.69

केरल---------------------20321-----------255.88

प्रति हेक्टेयर स्टॉक में अंडमान आगे

एफएसआइ की रिपोर्ट में प्रति हेक्टेयर कार्बन स्टॉक का आकलन भी किया गया है। इसमें केंद्र शासित राज्य अंडमान निकोबार पहले स्थान पर है, जबकि कुल कार्बन स्टॉक में अव्वल स्थान पर आए अरुणाचल प्रदेश प्रति हेक्टेयर स्टॉक में दूसरे नंबर पर है। खास बात यह कि प्रति हेक्टेयर स्टॉक में भी उत्तराखंड का स्थान सातवां है।

हालांकि कुल स्टॉक में उत्तराखंड से एक पायदान पीछे जम्मू एंड कश्मीर प्रति हेक्टेयर स्टॉक में एक पायदान आगे है। वहीं, कुल स्टॉक की सूची में टॉप टेन से बाहर हिमाचल प्रदेश का स्थान प्रति हेक्टेयर कार्बन स्टॉक में उत्तराखंड के बाद आठवां है। टॉप टेन की सूची से बाहर सिक्किम ने भी यहां अपनी जगह बनाने में सफलता हासिल की है और सिक्किम को टॉप थ्री में जगह मिली है। 

प्रति हेक्टेयर कार्बन स्टॉक की तस्वीर (टन प्रति हेक्टेयर में)

राज्य----------------------कार्बन स्टॉक

अंडमान निकोबार---------170.68

अरुणाचल प्रदेश----------148.52

सिक्किम-------------------145.14

कर्नाटक-------------------126.52

केरल----------------------125.92

जम्मू कश्मीर------------118.72

उत्तराखंड----------------117.17

हिमाचल प्रदेश-----------116.41

नागालैंड-------------------100.14

महाराष्ट्र--------------------97.28

यह भी पढ़ें: बांध बनेगा उत्तराखंड में, क्षतिपूर्ति को दूसरे राज्यों में उगाएंगे जंगल

यह भी पढ़ें: आबादी के निकट सिमटने के बावजूद जंगल के क्षेत्र में इजाफा

यह भी पढ़ें: वन कानून से आई जंगल के रिश्तों में खटास 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.