जंगल बचाने में मददगार बनेगी एक लाख की फौज, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में प्रत्येक वन पंचायत में नौ लोगों की टीम है। इस प्रकार विभाग को 109512 लोगों की फौज की मदद मिल जाएगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में इस मर्तबा फायर सीजन में जंगलों को आग से बचाने की मुहिम में वन महकमे के पास पर्याप्त मानवशक्ति रहेगी। विभाग ने पहली बार दावानल नियंत्रण में राज्य की 12168 वन पंचायतों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है। प्रत्येक वन पंचायत में नौ लोगों की टीम है। इस प्रकार विभाग को 109512 लोगों की फौज की मदद मिल जाएगी। इसके एवज में महकमे ने दावानल नियंत्रण में बेहतर योगदान देने वाली वन पंचायतों को प्रोत्साहन राशि से नवाजने का निर्णय लिया है। उम्मीद जताई जा रही कि वन विभाग की इस पहल से जंगल अधिक महफूज रहेंगे।
उत्तराखंड ऐसा अकेला प्रदेश है, जहां वन पंचायतों की व्यवस्था है। 2387.991 वर्ग किलोमीटर में फैले वनों का जिम्मा पूरी तरह से 12168 वन पंचायतें संभाले हुए हैं। ये अपने अधीन वनों के संरक्षण के साथ ही उन्हें पनपाने में अहम योगदान दे रही हैं। अभी तक फायर सीजन (15 फरवरी से मानसून आने तक) वन पंचायतें अपने अधीन वन क्षेत्रों की आग से सुरक्षा करती आई हैं।
पहली बार अपने क्षेत्रों से इतर आसपास के आरक्षित वन क्षेत्रों में भी वन पंचायतों की वनों को आग से बचाव में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर फोकस किया गया है। वन विभाग के राज्य स्तरीय प्रवक्ता (वनाग्नि) आरके मिश्रा के अनुसार वन पंचायतें सीधे तौर पर वनों से जुड़ी हैं, जाहिर है कि उनके इस अनुभव का लाभ विभाग उठाएगा। उन्होंने बताया कि दावानल पर नियंत्रण में सक्रिय भूमिका निभाने वाली वन पंचायतों को प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा ग्रामीणों का भी सक्रिय सहयोग लिया जाएगा।
प्रदेश में वन पंचायतें
- जिला--------------संख्या
- पौड़ी--------------2450
- अल्मोड़ा----------2324
- पिथौरागढ़--------1621
- चमोली-----------1509
- टिहरी------------1290
- बागेश्वर----------822
- चंपावत------------654
- रुदप्रयाग----------509
- नैनीताल-----------413
- उत्तरकाशी--------406
- देहरादून-----------170
बोले मंत्री
डॉ.हरक सिंह रावत (वन एवं पर्यावरण मंत्री, उत्तराखंड) का कहना है कि दावानल पर नियंत्रण में वन पंचायतें अहम भूमिका निभा सकती हैं। इसीलिए इस बार उनका सक्रिय सहयोग वनों को आग से बचाने में लिया जाएगा। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। अच्छा कार्य करने वाली वन पंचायतों को प्रोत्साहन देने के साथ ही वहां रोजगारपरक कार्यक्रमों में तेजी लाई जाएगी।
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