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जोमैटो और स्विगी को खाद्य सुरक्षा विभाग ने भेजी नोटिस, पढ़िए पूरी खबर

जोमैटो और स्विगी को खाद्य सुरक्षा विभाग ने नोटिस जारी किया है। जिसका नियत समय में जवाब न देने पर उन पर विधिक कार्रवाई की जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 28 Feb 2019 06:53 PM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 08:57 PM (IST)
जोमैटो और स्विगी को खाद्य सुरक्षा विभाग ने भेजी नोटिस, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म जोमैटो और स्विगी को खाद्य सुरक्षा विभाग ने नोटिस जारी किया है। जिसका नियत समय में जवाब न देने पर उन पर विधिक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा जनपद के छह अन्य खाद्य कारोबारियों को भी नोटिस भेजे गए हैं।

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आजकल बड़ी संख्या में उपभोक्ता ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय खाद्य मानक प्राधिकरण ने राज्यों को ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म जोमैटो, स्विगी, फूड पांडा आदि पर नजर रखने व इनकी कार्यप्रणाली के विश्लेषण के निर्देश दिए हैं। ताकि इन प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड खाद्य कारोबारियों के लाइसेंस एवं पंजीकरण की जांच कर यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि वह वार्षिक कारोबार के आधार पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के प्रावधानों के तहत विभाग में पंजीकृत हैं या नहीं।

उनके द्वारा राजस्व की हानि तो नहीं की जा रही है। यह निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी तरह की अनियमितता या नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। जिस पर जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी जीसी कंडवाल ने खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की तीन टीमें गठित की हैं। इनमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी रमेश सिंह के नेतृत्व में टीम ने जोमैटो के न्यू कैंट रोड स्थित कार्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया, पर आपूर्तिकर्ता फर्म वांछित लाइसेंस नहीं दिखा पाया।

साथ ही उन सभी रेस्टोरेंट की सूची जो जोमैटो से जुड़े हुए हैं उनके लाइसेंस/पंजीकरण की प्रति भी वह उपलब्ध नहीं करा पाए। जिस पर फर्म को नोटिस भेज विधिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी जीसी कंडवाल ने बताया कि फूड प्लेटफॉर्म जोमैटो के अलावा स्विगी को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। इसके अलावा छह अन्य खाद्य कारोबारियों को भी नोटिस भेजे गए हैं। इनमें होटल, रेस्टोरेंट व थोक विक्रेता शामिल हैं। यह सभी मात्र पंजीकरण कराकर खाद्य कारोबार कर रहे हैं। जबकि वे अधिनियम के प्रावधानों के तहत लाइसेंस की श्रेणी में आते हैं। इस कारण राजस्व की भी हानि हो रही है।

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