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हिमालयन में हुई दूरबीन विधि से पहली लीवर सर्जरी

हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग ने दूरबीन विधि का इस्तेमाल कर लीवर की सर्जरी करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। चिकित्सकों के अनुसार उत्तराखंड सहित पूरे उत्तर भारत में पहली बार इस तरह की सर्जरी हुई है।

By Edited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 06:59 PM (IST)
हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट ने दूरबीन विधि का इस्तेमाल कर लीवर की सर्जरी करने में कामयाबी हासिल की है।

संवाद सूत्र, डोईवाला : हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग ने दूरबीन विधि का इस्तेमाल कर लीवर की सर्जरी करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। चिकित्सकों के अनुसार उत्तराखंड सहित पूरे उत्तर भारत में पहली बार इस तरह की सर्जरी हुई है। हिमालयन हॉस्पिटल के हेपेटो पेनक्रियाटिको बिलिरी (एचपीबी) सर्जन डॉ. मयंक नौटियाल ने बताया कि रायवाला निवासी 40 वर्षीय सरोज देवी तीन माह से पेट में दर्द व बुखार की शिकायत से पीड़ित थी। अस्पताल में जब वह आई तो डॉ. मयंक ने उनकी पूर्व में की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखी। रिपोर्ट के अनुसार लीवर के बाएं हिस्से में गांठ थी। ट्यूमर होने के शक के आधार पर उसकी सीटी स्कैन व पैट स्कैन जांच कराई गई। जांच में ट्यूमर स्पष्ट नहीं हो पाने के कारण सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। डॉ. मयंक नौटियाल के नेतृत्व डॉ. केएस बेदी, ऋषभ अरोड़ा, सौरभ प्रुथी, ऋषि द्विवेदी, ऐनेस्थेटिक डॉ. पारुल और डॉ. सोनू तोमर की टीम ने दूरबीन विधि से महिला के लीवर का बायां हिस्सा जो खराब हो चुका था, उसे सफलतापूर्वक निकाल दिया। डॉ. मयंक नौटियाल ने बताया कि निकाली गई गांठ की बॉयोप्सी रिपोर्ट में पता चला की लीवर में मवाद की गांठ बनी हुई थी। जिसने महिला के लीवर का बांया हिस्सा संक्रमित कर दिया था और इसे निकालना जरूरी था। महिला को तीसरे दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने पहली बार हुई इस तरह की सफल सर्जरी पर पूरी टीम को बधाई दी।

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दूरबीन विधि से सर्जरी की विशेषता

डॉ. मयंक नौटियाल ने बताया कि दूरबीन विधि से सर्जरी दर्दरहित, सुरक्षित, शीघ्र एवं किफायती है । सर्जरी के बाद मरीजों को ठीक होने और काम पर लौटने में कम समय लगता है। इससे मरीजों के अस्पताल में रहने के दिनों में तेजी से कमी आ रही है। किसी भी मेजर सर्जरी के बाद भी मरीज दो या तीन दिन में घर लौट जाता है। इस सर्जरी में बहुत ही सूक्ष्म चीरे लगाए जाते हैं एवं पेट की मांसपेशियों को नहीं काटा जाता है, अत: मरीज जल्दी ही अपनी दैनिक दिनचर्या में लौट जाता है।

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मरीजों को मिलेगा लाभ

डॉ. मयंक नौटियाल के अनुसार लीवर की इस तरह की सर्जरी उत्तराखंड सहित पूरे उत्तर भारत में पहली बार हुई है। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में यह सुविधा उपलब्ध होने से मरीजों को अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। पहले इसके लिए मरीजों को दिल्ली का रुख करना पड़ता था। दिल्ली जैसे महानगर में इस सर्जरी पर आने वाला खर्च भी लगभग आठ से 10 लाख रुपये आता है। जबकि हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में यह सर्जरी आयुष्मान योजना के तहत पूरी तरह निश्शुल्क की गई है।

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