कैबिनेट बैठक: मंडी समितियों के वित्तीय अधिकारों में होगा इजाफा
सरकार ने प्रदेश की 23 मंडी समितियों को बड़ी राहत दी है। इस पहल से मंडी समितियों के वित्तीय अधिकारों में भी इजाफा होगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार ने प्रदेश की 23 मंडी समितियों को बड़ी राहत दी है। मंडी समितियों की ओर से मंडी परिषद को दिए जाने वाले अंशदान के मामले में उत्तर प्रदेश के दौर से चल रही व्यवस्था को खत्म कर आय के आधार पर इसका निर्धारण करने के मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब 50 लाख तक की आय पर प्राप्तियों का 20 प्रतिशत अंशदान देना होगा। इसी प्रकार 50 लाख से पांच करोड़ और इससे अधिक की आय के लिए अंशदान दरों की श्रेणियां निर्धारित की गई हैं। सरकार की इस पहल से मंडी समितियों के वित्तीय अधिकारों में भी इजाफा होगा।
मंडी समितियों की ओर से मंडी परिषद को दिए जाने वाले अंशदान को लेकर 1990 की अधिसूचना के आधार पर व्यवस्था चली आ रही थी। इसके मुताबिक मंडी समिति को एक करोड़ की आय होने पर उसे 25 लाख का अंशदान अनिवार्य रूप से मंडी परिषद को देना होता था। इसे लेकर कई बार परिषद और समितियों के मध्य टकराव की स्थिति भी बनी। छोटी समितियां कई मर्तबा अपनी माली हालत व खर्चों के मद्देनजर कुछ राशि रोक लेती थीं, जबकि परिषद उन पर जवाबदेही तय कर देती थीं। इसे देखते हुए लंबे अर्से से इस व्यवस्था में बदलाव की मांग उठ रही थी। अब मंत्रिमंडल ने अंशदान के लिए आय के आधार पर दरें निर्धारित करने को मंजूरी दे दी है। इससे मंडी समितियों को खासी राहत मिली है। अब उनके पास बजट अधिक रहेगा और वे इसे खर्च भी कर पाएंगे।
अंशदान के लिए दरें
-मंडी समिति की आय पांच करोड़ से अधिक होने पर प्रथम डेढ़ करोड़ का 40 और इससे ऊपर 80 फीसद
-ढाई करोड़ से ज्यादा पर पांच लाख से कम आय पर प्रथम डेढ़ करोड़ का 40 फीसद और डेढ़ करोड़ से ज्यादा पर 75 फीसद
-डेढ़ करोड़ से अधिक किंतु ढाई करोड़ से कम आय पर प्रथम डेढ़ करोड़ का 40 और डेढ़ करोड़ से अधिक का 70 फीसद
-एक करोड़ से अधिक लेकिन डेढ़ करोड़ से कम आय पर 40 फीसद
-50 लाख से अधिक लेकिन एक करोड़ से कम आय पर 30 फीसद
-50 लाख की आय तक की आय का 20 फीसद
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