दून अस्पताल में जल्द स्थापित होगा नेत्र बैंक, नेत्रदान से दो से तीन व्यक्तियों की जिंदगी में हो सकता है उजाला
गुरुवार सुबह कालेज में मुख्य अतिथि एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति डा. हेमचंद्र पांडे निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. आशुतोष सयाना ने जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि रैली एवं संगोष्ठी के माध्यम से नेत्रदान के जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में जल्द ही नेत्र बैंक स्थापित होगा। यहां कार्निया ट्रांसप्लांट की भी सुविधा मिलेगी। नेत्रदान पखवाड़े के समापन पर आयोजित जागरूकता रैली एवं गोष्ठी में यह जानकारी दी गई।
संगोष्ठी के माध्यम से भ्रांतियों को किया जा सकता है दूर
गुरुवार सुबह कालेज में मुख्य अतिथि एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति डा. हेमचंद्र पांडे, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. आशुतोष सयाना ने जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि रैली एवं संगोष्ठी के माध्यम से नेत्रदान के जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जा सकता है। अंगदान का विशेष महत्त्व होता है, सबसे सफल प्रत्यारोपण आंखों का ही किया जाता है।
दून मेडिकल कालेज में सोटो का कार्यालय बनाने का फैसला
दून मेडिकल कालेज में हाल ही में सोटो का कार्यालय बनाने का फैसला हुआ है, जिसका आवेदन भारत सरकार को भेज दिया गया है। सैद्धांतिक सहमति भी ईमेल के माध्यम से प्राप्त हो गई है।
नेत्रदान के लिए कार्य करने का किया आह्वान
दून अस्पताल में गोष्ठी में अस्पताल के एमएस एवं नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डा. युसुफ रिजवी, अतिथि वक्ता डा. गौरव लूथरा, डा. शांति पांडे, डा. सुशील ओझा ने विस्तार से अंगदान नेत्रदान की विशिष्टताओं के बारे में बताया। कहा कि मरने के बाद अगर आप नेत्रदान करते हैं तो दो से तीन लोग की आंखों में रोशनी देने का काम करेंगे। चिकित्सकों, छात्रों से नेत्रदान के लिए कार्य करने का आह्वान उन्होंने किया।
इस दौरान डा. अनुराग अग्रवाल डा. भावना पंत, डा. नीरज शर्मा, डा. दुष्यंत, डा. नूतन, डा. अशोक , डा. राजन मोहन, डा. शुलभ कुडियाल, अंकुश, विक्रम सिंह आदि मौजूद रहे।
दून व गांधी अस्पताल में चलाया जागरुकता अभियान
विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय व गांधी अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। मरीजों व उनके तीमारदारों को फिजियोथेरेपी के महत्व की जानकारी दी गई। फिजियोथैरेपी के माध्यम से दून अस्पताल में हर माह एक हजार और गांधी अस्पताल में आठ सौ मरीजों का उपचार ओपीडी व आइपीडी में हो रहा है।
इस बीमारी के इलाज में फिजियोथेरेपी ही सबसे कारगर
गांधी अस्पताल में वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट आलोक त्यागी और उद्यन कुमार ने कहा कि कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने के चलते सर्वाइकल और माइग्रेन की समस्या बढ़ जाती है। इस बीमारी के इलाज में फिजियोथेरेपी ही सबसे कारगर है। बताया कि मरीज का थेरेपी मशीनों से इलाज किया जाता है। नियमित अभ्यास की सलाह दी जाती है। प्रसव से पहले और बाद की स्थितियों में भी फिजियोथेरेपी कारगर साबित होती है। एंटीनेटल और पोस्टनेटल एक्सरसाइज ने इस थेरेपी ने सामान्य डिलीवरी की राह को भी आसान कर दिया है। इधर, दून अस्पताल के पीएमआर विभाग में मरीजों को फिजियोथेरेपी के बारे में जागरूक किया गया।
विशेषज्ञ चिकित्सक भी अब इस थेरेपी को मान रहे महत्वपूर्ण
फिजियोथेरेपिस्ट ने कहा कि फिजियोथेरेपी हड्डी और मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों में दर्द निवारक का काम करती है। विशेषज्ञ चिकित्सक भी अब इस थेरेपी को महत्वपूर्ण मान रहे हैं। कहा कि हड्डी से संबंधित पचास प्रतिशत बीमारियों में फिजियोथेरेपी कारगर है। कमर, गर्दन, कंधे, घुटने का दर्द हो या दुर्घटना की चोट, चक्कर आने से लेकर लकवा, दर्द, सर्जरी से प्रसव तक में फिजियोथेरेपी लाभदायक हो रही है। तनाव, सिरदर्द, माइग्रेन, गर्दन, कमर दर्द, अनिद्रा को खत्म करने में इससे थेरेपी से मदद मिल रही है। इस अवसर पर रुचि सेमवाल, उमा बलूनी, सुनील ठाकुर, दीपक आदि मौजूद रहे।