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उत्तराखंड में 1000 करोड़ के खेल पर शराब सिंडिकेट की नजर

शराब सिंडिकेट की नजर करीब 1000 करोड़ रुपये के राजस्व वाली दुकानों पर है। ये वह दुकानें हैं जिनके लिए ई-टेंडरिंग में कोई भी आवेदन नहीं आया है।

By Edited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 11:50 AM (IST)
उत्तराखंड में 1000 करोड़ के खेल पर शराब सिंडिकेट की नजर
उत्तराखंड में 1000 करोड़ के खेल पर शराब सिंडिकेट की नजर

देहरादून, सुमन सेमवाल। शराब सिंडिकेट की नजर करीब 1000 करोड़ रुपये के राजस्व वाली दुकानों पर है। ये वह दुकानें हैं, जिनके लिए ई-टेंडरिंग में कोई भी आवेदन नहीं आया है। ऐसे में शराब कारोबारियों का गठजोड़ 200 से अधिक दुकानों की दरों में प्रतिस्पर्धा गिराने की फिराक में भी दिख रहा है। 

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इस आशंका को भांपते हुए आबकारी मुख्यालय के अधिकारी सतर्क हो गए हैं। हालांकि, फिलवक्त दुकानों के आवंटन के लिए मुख्यालय के अधिकारी शासन की शरण में जा रहे हैं, ताकि बिना किसी राजस्व क्षति के शराब की दुकानों का आवंटन किया जा सके। 

16 मार्च से 28 मार्च के बीच दो फेज में ई-टेंडरिंग के माध्यम से प्रदेश की करीब 462 दुकानों के लिए आवेदन मांगे गए थे। 619 में से 157 के करीब दुकानों का नवीनीकरण पहले ही 20 फीसद अधिक दर पर कर दिया गया था। बावजूद इसके भी शेष में से 50 फीसद दुकानों के लिए टेंडर खाली ही रह गए। साथ ही करीब 1000 करोड़ रुपये के राजस्व पर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। 

दून में भी 38 दुकानों का आवंटन टेंडर न मिल पाने के कारण लटका पड़ा है। आमतौर पर शराब की दुकानों को लेकर खासी जोड़-तोड़ रहती थी और लॉटरी होने पर किसी की भी किस्मत खुल सकती थी। 

पिछले दो वित्तीय वर्ष में ई-टेंडरिंग की व्यवस्था होने से सीधे तौर पर यह तय हो गया कि जो जितनी ऊंची बोली लगाएगा, दुकान उसे ही मिलेगी। बावजूद इसके 50 फीसद दुकानों के लिए टेंडर न मिल पाना कई सवाल खड़े करता है।

ऐसा नहीं है कि शराब कारोबार में सिंडिकेट खत्म हो गया है, बल्कि यह बात भी सामने आ रही है कि अब उच्चतम दर की जगह दुकानों को बेहद कम प्रतिस्पर्धा या मनमाने दाम पर हथियाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। 

आबकारी आयुक्त दीपेंद्र कुमार चौधरी भी इस बात से इन्कार नहीं करते कि इतनी बड़ी संख्या में दुकानों का आवंटन न हो पाने के पीछे किसी न किसी चाल को अंजाम देने के प्रयास जरूर किए जा रहे हैं। 

यही कारण भी रहा कि पिछली दफा भी इस तरह के समीकरणों के चलते कई दुकानों को कम दर पर भी आवंटित करने की स्थिति खड़ी हो गई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि इस दफा शराब सिंडिकेट के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। पूरे प्रयास किए जाएंगे कि जिस दुकान का जो आधारभूत राजस्व तय किया गया है, उसकी वसूली हर हाल में कर दी जाए। 

दून में 38 दुकानों का आवंटन नहीं 

राजस्व के लिहाज से सबसे बड़े जिले देहरादून में भी 94 में से 38 दुकानों का आवंटन शेष है। पिछली दफा दून को 510 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य मिला था, जो अब बढ़कर 561 करोड़ रुपये हो गया है। ऐसे में दुकानों के आवंटन को लेकर अधिकारी टेंशन में नजर आ रहे हैं। 

राजस्व लक्ष्य से अधिक हासिल, अब सता रही चिंता 

वित्तीय वर्ष 2016-17 व 2017-18 में आबकारी विभाग के राजस्व का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया, जबकि इस दफा 2650 करोड़ रुपये के सापेक्ष 28 मार्च तक ही 2754 करोड़ रुपये हासिल कर लिए गए थे। 

नए वित्तीय वर्ष 2019-20 की बात करें तो अकेले शराब की दुकानों से ही 2135 करोड़ रुपये (कुल 3100 करोड़ से अधिक) का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में करीब आधे लक्ष्य पर तस्वीर साफ न हो पाने से अधिकारी चिंतित नजर आ रहे हैं। 

हालांकि, बचाव के तौर पर अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि पिछली दफा ई-टेंड¨रग होने पर कारोबारियों ने बेहद अधिक बोली लगा दी थी, लिहाजा क्षमता से अधिक दर तय होने के चलते इन पर हाथ डालने से शराब कारोबारी बच रहे हैं, या इन्हें कम दर पर प्राप्त करने की जुगत में हैं।

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