आबकारी विभाग ने देहरादून के सीएमओ को याद दिलाई नियमावली, जानिए पूरा मामला
आबकारी सेवा नियमावली के अनुरूप शारीरिक अर्हता के परिणाम जारी न करने पर आबकारी विभाग ने देहरादून के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) को नियमावली के प्रविधान याद दिलाए हैं।
देहरादून, जेएनएन। अधीनस्थ आबकारी सेवा नियमावली के अनुरूप शारीरिक अर्हता के परिणाम जारी न करने पर आबकारी विभाग ने देहरादून के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) को नियमावली के प्रविधान याद दिलाए हैं। आबकारी निरीक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए कराए गए शारीरिक अर्हता के परीक्षण का परिणाम जारी करने की जगह सीएमओ ने इसकी व्यावहारिकता पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। साथ ही विभाग को सुझाव दे डाला था कि इसमें बदलाव करने की जरूरत है।
नियमावली के आधार पर आबकारी मुख्यालय ने सीएमओ को 16 अभ्यर्थियों (कार्मिकों) के शारीरिक अर्हता परीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी थी। जिसमें पुरुष अभ्यर्थियों के लिए ऊंचाई व सीने की चौड़ाई, जबकि महिला अभ्यर्थियों के लिए ऊंचाई और वजन का मानक तय किया गया है। इसी के अनुरूप सीएमओ डॉ. बीसी रमोला ने विभाग के दो सहायक आयुक्तों की मौजूदगी में सभी 16 अभ्यर्थियों का परीक्षण किया, लेकिन इसके परिणाम जारी करने की जगह उन्होंने विभाग को नसीहत दे डाली कि नियमावली में परिवर्तन करने की जरूरत है। कहा कि आबकारी निरीक्षक फील्ड का पद है तो पदोन्नति के लिए फिजीशियन, नेत्र, ईएनटी, अस्थि रोग, स्त्री और प्रसूति रोग (महिला कार्मिकों के लिए) से जांच कराई जानी चाहिए।
इसको लेकर दैनिक जागरण ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि नियमावली के मुताबिक आबकारी विभाग में नियुक्ति के लिए स्वास्थ्य परीक्षण की बाध्यता है, जबकि पदोन्नति के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र को बाहर रखा गया है। इस खबर का संज्ञान लेकर अपर आबकारी आयुक्त (प्रशासन) उदय सिंह राणा ने सीएमओ को दोबारा पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने नियमावली की याद दिलाते हुए कहा कि पदोन्नति के लिए शारीरिक अर्हता जरूरी है न कि उनके पत्र की तरह स्वास्थ्य प्रमाण पत्र। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षण का परिणाम जारी करने की जगह वह तथ्यहीन बातों का उल्लेख कर रहे हैं। लिहाजा, दो दिन के भीतर परिणाम जारी कर दिया जाए।
पहले परीक्षण किया, फिर रोका परिणाम
आबकारी निरीक्षक के पदों पर पदोन्नति के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी ने एक जुलाई को अपर आयुक्त को पत्र लिखकर सभी कार्मिकों को परीक्षण के लिए आइडी प्रूफ के साथ भेजने को कहा था। पत्र में सेवा नियमावली के अनुरूप (ऊंचाई, सीने की माप और वजन) परीक्षण का जिक्र था। इसके बाद अचानक नियमावली पर सवाल उठा दिए गए। यह बात इसलिए भी गले नहीं उतरती, क्योंकि इससे पहले वर्ष 2017-18 में की गई पदोन्नति की प्रक्रिया भी यही थी।
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