Move to Jagran APP

कर्मचारियों ने किया लड़ाई का एलान, महारैली से सरकार को दिखाएंगे ताकत

मकान किराये भत्ते में वृद्धि समेत दस सूत्री मांगों को लेकर प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारी व शिक्षकों ने आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया है। इस संबंध में सीेएम को नोटिस भेजा गया।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 12:22 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:22 PM (IST)
कर्मचारियों ने किया लड़ाई का एलान, महारैली से सरकार को दिखाएंगे ताकत
कर्मचारियों ने किया लड़ाई का एलान, महारैली से सरकार को दिखाएंगे ताकत

देहरादून, जेएनएन। मकान किराये भत्ते में वृद्धि समेत दस सूत्री मांगों को लेकर प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारी व शिक्षकों ने सरकार से आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया है। मुख्यमंत्री को भेजे आंदोलन नोटिस में उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति ने एलान किया है कि चार फरवरी को प्रदेश स्तरीय महारैली के जरिए से सचिवालय कूच कर सरकार के विरुद्ध प्रदेशव्यापी हड़ताल पर जाने का फैसला लिया जाएगा।

loksabha election banner

इससे पूर्व 31 जनवरी को सचिवालय समेत प्रदेश के समस्त कार्मिक और शिक्षक एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। समिति द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए नोटिस में सरकार को समाधान के लिए 30 जनवरी तक का समय दिया गया है। 

बता दें कि, उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा को मंगलवार को उत्तराखंड सचिवालय संघ का समर्थन भी मिल गया है। इसमें उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी समन्वय मंच भी शामिल हो गया है और समस्त कार्मिकों ने सर्व-सम्मति से उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति का गठन किया है।

इसके संयोजक मंडल में सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी व महासचिव राकेश जोशी, उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच के मुख्य संयोजक नवीन कांडपाल व सचिव संयोजक सुनील दत्त कोठारी, उत्तराखंड कार्मिक शिक्षक आउटसोर्स मोर्चा के मुख्य संयोजक ठाकुर प्रह्लाद सिंह व संयोजक सचिव संतोष रावत शामिल हैं। समिति ने मुख्यमंत्री को आंदोलन का नोटिस भेज जता दिए है कि अब वे सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराएंगे। 

कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

-मकान किराये भत्ते की देयता 8, 12 व 16 प्रतिशत के अनुरूप मंजूर करते हुए अन्य देय भत्तों में वृद्धि की जाए। 

-राज्य/निगम कर्मचारियों के लिए वर्तमान में लागू एसीपी की व्यवस्था के स्थान पर पूर्व व्यवस्था के अनुरूप 10, 16 व 26 वर्ष की सेवा पर प्रोन्नत वेतनमान दिया जाए। 

-ऊर्जा विभाग में पूर्व व्यवस्था 9, 14 व 19 वर्ष पर वेतन मैट्रिक्स के आधार पर एसीपी दी जाए। 

-सभी शिक्षकों को पूरे सेवाकाल में तीन प्रोन्नति और तीन एसीपी लाभ अनिवार्य किए जाएं। 

-प्रदेश में राज्य कर्मियों के पक्ष में जारी होने वाले शासनादेशों को एक समान रूप से सभी निगम, निकाय, संस्थान, प्राधिकरण व जिला पंचायत के कार्मिकों पर लागू किया जाए। 

-शिथिलीकरण नियमावली 2010 को यथावत लागू किया जाए। 

-नई पेंशन आयोजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।

-अटल आयुष्मान योजना के तहत लाभ पाने वाले सभी कार्मिकों को सरकारी चिकित्सालय से रेफर होने की अनिवार्यता की बाध्यता खत्म कर एक समान नीति को लागू किया जाए।

-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को अन्य संवर्गों की तरह स्टाफिंग पैर्टन का लाभ देते हुए ग्रेड वेतन 4200 का लाभ दिया जाए। 

-राजकीय वाहन चालकों को स्टाफिंग पैटर्न के प्रथम स्तर ग्रेड वेतन 2400 को नजरअंदाज कर 2800, 4200 व 4600 को मंजूर किया जाए। 

-एक जनवरी 2006 या उसके बाद सीधी भर्ती या पदोन्नति पाए कर्मचारियों के शुरूआती वेतन का निर्धारण वित्त विभाग के ताजा शासनादेश के आधार पर हो। 

-उपनल-आउटसोर्स कर्मचारियों को समान कार्य के अनुरूप समान वेतन दिया जाए।

-स्वायतशासी निकायों की तरह निगमों में भी पूर्व से कार्यरत कार्मिकों को पेंशन व्यवस्था का लाभ दिया जाए। 

हड़ताल को लेकर ऊर्जा निगम व कर्मचारी संगठन में ठनी

नियमितीकरण, एसीपी व समयबद्ध वेतनमान सहित विभिन्न मांगों को लेकर बिजली कर्मचारियों की प्रस्तावित हड़ताल को लेकर ऊर्जा निगम प्रबंधन और कर्मचारी संगठन आमने-सामने आ गए हैं। ऊर्जा निगम के महाप्रबंधक मानव संसाधन ने हड़ताल में शामिल होने वाले सभी कर्मचारी संगठनों को नोटिस भेजकर हड़ताल को असंवैधानिक बताया है। 

पत्र में निगम की ओर से हाईकोर्ट के आदेश की प्रति लगाई है। विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने नोटिस का जवाब देते हुए निगम को खुद भी हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने की नसीहत दी है।

उत्तराखंड विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले बिजली कर्मचारी संगठनों ने विभिन्न मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन और इसके बाद पांच मार्च की मध्य रात्रि से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। कर्मचारी 22 दिसंबर 2017 को हुए त्रिपक्षीय समझौते के अनुरूप बिजली कर्मचारियों को नौ, 14 व 19 साल की सेवा में एसीपी का लाभ और समयबद्ध वेतनमान दिए जाने सहित निगमों में उपनल के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करने और सभी संवर्गों को शिथिलीकरण का लाभ दिए जाने जाने की मांग कर रहे हैं। 

कर्मचारी संगठनों की इन मांगों को लेकर प्रस्तावित हड़ताल पर ऊर्जा निगम प्रबंधन सख्त हो गया है। निगम ने हड़ताल में शामिल होने वाले सभी संगठनों को नोटिस जारी किया है। महाप्रबंधक मानव संसाधन की ओर से जारी नोटिस में अगस्त माह में हाईकोर्ट के आदेश की प्रति लगाते हुए हड़ताल को अंसवैधानिक ठहराया गया है। 

संघर्ष मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने कहा कि कोर्ट के जिस आदेश की प्रति लगाकर निगम हड़ताल को असंवैधानिक बता रहा है, उसी में हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं कि कार्मिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए। आज तक इस आदेश का पालन निगम प्रबंधन ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों की मांगों पर कार्रवाई नहीं होती, आदोलन जारी रहेगा और मोर्चा हड़ताल से पीछे नहीं हटेगा।

निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर गए रक्षा कर्मी

केंद्र सरकार पर रक्षा क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत उत्तराखंड के करीब सात हजार रक्षा कर्मियों ने भी तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल के पहले दिन रक्षा कर्मियों ने अपने-अपने संस्थानों में गेट मीटिंग कर अपनी मांगों पर आवाज बुलंद की।

दून में ऑर्डनेंस फैक्ट्री, ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री, यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान, डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लिकेशन एंड लैबोरेटरी, एनएचओ, मिलिट्री इंजीनियङ्क्षरग सर्विस आदि संस्थानों के हड़ताल शुरू की। इनमें विशेष कर रक्षा उत्पादन करने वाली ऑर्डनेंस फैक्ट्री व ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री में तीन दिन में करीब पांच करोड़ रुपये का टर्नओवर प्रभावित होगा।

इस अवसर पर ऑल इंडिया डिफेंस इंपलॉइज फेडरेशन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जगदीश छिमवाल ने कहा कि केंद्र सरकार निजीकरण के नाम पर रक्षा प्रतिष्ठानों को बंद करती जा रही है, जिससे आज करीब 35 हजार कर्मचारी सरप्लस हो गए हैं। यहां तक कि लाभ में चल रही रक्षा उत्पादन की इकाइयों को भी बंद किया जा रहा है। 

इसके अलावा रक्षा कर्मियों की पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग पर भी गौर नहीं किया जा रहा है। यदि यही स्थिति रही तो रक्षा कर्मी बड़ा आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

यह भी पढ़ें: समस्याओं को लेकर तीन संगठनों ने हाथ मिलाकर सरकार को चेताया

यह भी पढ़ें: शासन ने फेंकी वार्ता की गुगली, महासंघ हुआ सतर्क

यह भी पढ़ें: सरकार ने मानी रोडवेज कर्मियों की मागें, हड़ताल टली


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.