समस्याओं को लेकर तीन संगठनों ने हाथ मिलाकर सरकार को चेताया
सचिवालय कर्मचारी संघ, उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा व उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय समिति एक मंच पर आ गए। साथ ही मांगों को लेकर मंच ने सरकार को चेतावनी दी।
देहरादून, जेएनएन। सचिवालय कर्मचारी संघ, उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा व उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच के बीच एक मंच पर आने पर सहमति बन गई है। संयुक्त सगंठन का नाम उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति रखा गया है। संगठनों ने एक मंच पर आते ही प्रदेश सरकार को 30 जनवरी तक वार्ता के लिए बुलाने का अल्टीमेटम दे डाला। साथ ही यह भी शर्त रखी कि वार्ता सिर्फ मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री स्तर पर ही की जाएगी। वहीं, एक फरवरी को कैबिनेट बैठक में कोई ठोस निर्णय न होने पर चार फरवरी को विशाल रैली की भी चेतावनी दी।
कचहरी स्थित लोनिवि संघ भवन में सचिवालय संघ की अध्यक्षता में संयुक्त मोर्चा व समन्वय मंच की संयुक्त वार्ता हुई। इसमें तीनों संगठनों की ओर से विभिन्न मांगें रखी गईं और आम सहमति बनाने की कोशिश की गई। लंबे विचार-विमर्श के बाद नौ मांगों पर सहमति बनी और तीनों संगठनों की एका का रास्ता साफ हो गया।
तीनों संगठनों की संयुक्त समिति में पांच सदस्यों का संयोजक मंडल का भी गठन किया गया। इसके बाद सदस्यों ने सर्वसम्मति से निर्णय आंदोलन की रूपरेखा तय की। इसमें प्रदेश सरकार को 30 जनवरी तक वार्ता के लिए बुलाने व एक फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक में मांगों पर निर्णय लेने की मांग की। साथ ही निर्धारित तिथियों में मांग पूरी न होने पर तीन फरवरी को सामूहिक अवकाश व चार फरवरी को विशाल रैली निकाल विरोध करने का एलान किया है।
इन मांगों पर बनी सहमति
-आवास भत्ते में 8,13,16 प्रतिशत वृद्धि।
-वर्तमान एसीपी के स्थान पर एसीपी की पूर्व व्यवस्था लागू हो।
-शिथिलीकरण को 2010 के यथावत रखें।
-पुरानी पेंशन की बहाली की मांग।
-सरकारी अस्पतालों में रेफर करने की व्यवस्था समाप्त हो।
-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 4200 ग्र्रेड-पे।
-वाहन चालकों को 4800 ग्र्रेड-पे दिया जाए।
-उपनल कर्मियों को समान कार्य-समान वेतन।
-2005 से पहले के निगम कर्मचारियों को स्वायत्तशासी निकायों के समान पेंशन।
निगम महासंघ की पांच मांगों पर शासन राजी
राज्य निगम कर्मचारी/अधिकारी महासंघ की 11 सूत्रीय मांगों में से पांच पर शासन ने सहमति जता दी है। जबकि, परिवहन निगम संबंधी मांगों पर 25 जनवरी को सचिव परिवहन के साथ वार्ता रखी गई है। पांच मांगों पर सहमति के बाद अब परिवहन निगमकर्मी भी शासन से खासी उम्मीद लगाए हुए हैं। इसी के साथ फिलहाल महासंघ ने प्रस्तावित आंदोलन टाल दिया है।
सचिवालय में प्रमुख सचिव उद्योग मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी के साथ महासंघ के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई। इसमें महासंघ की ओर से शासन के समक्ष राजकीय कर्मियों की भांति आवास भत्ता, ग्र्रेच्युटी सीमा 20 लाख करने समेत 11 सूत्रीय मांगें रखी गईं।
इस पर सचिव मनीषा पंवार व अमित नेगी ने संबंधित विभागों के सचिवों से गहन विचार-विमर्श किया। इसके बाद सचिव मनीषा पंवार ने पांच मांगों पर सहमति जाहिर की। जबकि अन्य मांगों पर भविष्य में विचार करने का आश्वासन दिया। वार्ता में परिवहन से कोई अधिकारी उपस्थित न होने की वजह से परिवहन निगम संबंधी मांगों पर विचार संभव नहीं हो पाया।
परिवहन निगम संबंधी मांगों के लिए महासंघ को 25 जनवरी की तिथि दी गई है। इनमें निगम का शासन पर अवशेष भुगतान, पर्वतीय मार्गों पर हानि की प्रतिभूति शासनादेश के अनुरूप हो, 424 संविदा परिचालकों की भर्ती से रोक हटाने संबंधी आदि मांगें शामिल हैं।
महासंघ ने किया स्वागत
पांच मांगों पर सहमति के फैसले का महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गुसाईं ने स्वागत किया है। गुसाईं ने कहा कि इन मांगों से करीब 15 हजार से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी लाभान्वित होंगे। उन्होंने 25 जनवरी को होने वाली वार्ता में भी परिवहन सचिव से ठोस आश्वासन मिलने की उम्मीद जताई है।
इन मांगों पर बनी सहमति
-राज्य सरकार के कार्मिकों की भांति निगमकर्मियों को भी आवास भत्ता सुविधा।
-एक जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग के एरियर की जिन निगमों से संस्तुति मिल चुकी है, उन्हें भुगतान के लिए आदेश दिए जाएंगे, अन्य निगमों के प्रबंधकों के भी प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए जाएंगे।
-संशोधित करियर प्रोन्नयन योजना (एमएसीपी) के तहत प्रोन्नत वेतनमान में उत्तम एवं अति उत्तम की बाध्यता में शिथिलता।
-राजकीय कार्मिकों की भांति निगमकार्मिकों की ग्र्रेच्युटी सीमा 20 लाख किए जाने के संबंध में उद्यम विभाग को निर्देशित किया जाएगा।
-राजकीय कार्मिकों की भांति निगम कार्मिकों को भी अटल आयुष्मान योजना का लाभ।
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