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पदोन्नति को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय पर गरजे राज्य कर्मचारी

सरकार के आदेश के बाद भी पदोन्नति न होने के विरोध में राज्य कर्मचारियों ने स्वास्थ्य महानिदेशालय निदेशालय आयुर्वेद व होम्योपैथी तथा पंचायती राज निदेशालय का किया घेराव किया।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 12:36 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 12:36 PM (IST)
पदोन्नति को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय पर गरजे राज्य कर्मचारी

देहरादून, जेएनएन। सरकार के आदेश के बाद भी पदोन्नति न होने के विरोध में राज्य कर्मचारियों ने स्वास्थ्य महानिदेशालय, निदेशालय आयुर्वेद व होम्योपैथी तथा पंचायती राज निदेशालय का किया घेराव किया। कर्मचारियों ने जल्द पदोन्नति प्रक्रिया बहाल न होने की स्थिति में 15 जुलाई के बाद आंदोलन की चेतावनी दी है। 

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आयुर्वेद निदेशालय के घेराव के दौरान संयुक्त निदेशक डॉ. एसएन रतूड़ी ने बताया कि विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया आज ही पूर्ण कर दी गई है। उनका आभार व्यक्त करने के बाद कर्मचारी पंचायती राज निदेशालय पहुंचकर नारेबाजी करने लगे। 

यहां प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह आंदोलित कर्मचारियों से मिलने पहुंचे। संयुक्त निदेशक राजीव त्रिपाठी ने बताया कि जिला पंचायत में लेखाकार के दो रिक्त पदों पर पदोन्नति की जा चुकी है। अपर मुख्य अधिकारी की पदोन्नति का प्रस्ताव डीपीसी की तिथि तय करने को शासन को भेज दिया गया है। तकनीकी संवर्ग के सभी अवर अभियंता, सहायक अभियंता की पदोन्नतियां पूर्ण हैं। 

जिला पंचायत राज अधिकारी के दो पदों के सापेक्ष पदोन्नति के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। सहायक विकास अधिकारी के 26 पदों पर विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा निर्णय कर लिया गया है, जिसकी कार्यवृत्ति जारी की जा रही है। घेराव के दौरान शक्तिप्रसाद भट्ट, एसपी सेमवाल, सुभाष शर्मा, गुड्डी मटुडा, ओमवीर सिंह, राकेश ममगाईं, पुष्पा सैनी व अन्य मौजूद रहे।

कर्मचारियों ने की विनियमितीकरण की मांग

सैनिक कल्याण विभाग (पूर्व सैनिक संगठन) ने विभाग में पांच साल की सेवा पूरी कर चुके पूर्व सैनिक, सैन्य विधवाओं व वीर नारियों के विनियमितीकरण और पदोन्नति की मांग की है। अपनी जायज मांग उठाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी संगठन ने विरोध किया है। 

संगठन के अध्यक्ष गजपाल सिंह नेगी का कहना है कि शासनादेश के अनुरूप पांच साल की सेवा पूर्ण कर चुके कर्मचारियों का विनियमितीकरण नहीं किया जा रहा है। जो सरासर गलत है। सैनिक कल्याण निदेशालय ने गत वर्ष इसे लेकर एक समिति का गठन किया है, जो न्यायसंगत नहीं है। सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को सातवां वेतनमान स्वीकृत कर दिया गया, मगर कर्मचारियों को इससे अछूता रखा गया है। एक ही विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए अलग-अलग कानून चल रहा है। 

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उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों का वेतन निर्धारण भी नियमानुसार नहीं किया गया है। पहले के वर्षों की भांति पूर्व सैनिक कर्मचारियों को 2018-19 के तदर्थ बोनस का भुगतान, एक जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों को उनकी सेवाओं के अनुसार सॢवस ग्रेच्युटी, पूर्व में सेवानिवृत्त और सेवारत कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति की तिथि से ईपीएफ का भुगतान, एक जनवरी 2016 के पश्चात सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति के माह का पूर्ण वेतन स्वीकृत करने, पूर्व जारी शासनादेश के अनुसार दोहरी पेंशन, वाहन भत्ता, अतिरिक्त सेवा विस्तार, बीमा लाभ आदि की मांग भी उन्होंने की। 

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